नानी सुनाएगी कहानी, दादी लोरी गायेगी,
बुआ-मासी मुझपे जैसे बलहारी जाएँगी......
बेटी हूँ तो क्या हुआ काम वो कर जाऊँगी ,
सबका नाम रोशन करूंगी, देश का गौरव कहलाऊँगी ,
पर..................?
सुन कर मेरा नन्हा हृदय कंपकपाया,
माँ का दिल कठोर हुआ कैसे, एक पिता यह फ़ैसला कैसे कर पाया,
"लड़की " हूँ ना इस लिए जन्म लेने से पहले ही नन्हा फूल मुरझाया ..!!!!!!!!!
रंजना भाटिया का हृदय जानने के लिये शीर्षक " नन्हा फूल मुरझाया " पूरी कविता नीचे लिंक में दिया हुआ है। आप भी भाग लेवें इस बहस में। आगे देखें - बहस : भ्रूण हत्या
शनिवार, 19 जुलाई 2008
नन्हा फूल मुरझाया - रंजना भाटिया
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:49 am
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3 विचार मंच:
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bahut accha likha hai
बढिया!!
बहुत बढ़िया..रंजू जी को बधाई.