धर्मनिरपेक्षता की आढ़ में ,
देते हैं ये
आतंकवाद को पनाह,
मानो यह सुरक्षा कवच हो,
देश के गद्दारों का
जो करते हैं गद्दारी देश से,
फैलाते हैं आतंक,
इसलाम के नाम पर
अपने ईमान को भी
देते हैं दगा,
करते ये शरीयत की बात
वोट का यह ड्रामा कब और कैसे
समाप्त होगा?
कब मुसलमान अपने को
भारती समझेगा?
धर्मनिरपेक्षता की आढ़ में ,
कब तक लेगा पनाह
कब वो हिन्दुस्तानी बन,
एक मन बना पायेगा ?
आजादी के इतने सालों बाद भी
एक आम मुसलमान,
अपनी बस्ती से अलग नहीं रहा पाता।
एक आम हिन्दु, मुसलमानों की बस्ती में-
टहल नहीं पाता।
फिर भी कहते हैं हम देश को
धर्मनिरपेक्ष?
सिर्फ वोट के लिये?
सिर्फ वोट के लिये?
रविवार, 6 जुलाई 2008
धर्मनिरपेक्ष?
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 12:10 am
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4 विचार मंच:
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आपने बिल्कुल सही कहा. आजादी के ६० साल बाद भी एक आम मुसलमान हिन्दुस्तानी नहीं बन पाया. अल्पसंख्यकवाद का जहर उसके शरीर में अन्दर तक भर गया है. अब तो मुझे कोई समाधान नजर नहीं आता. ऐसे ही चलेगा जब तक चल पायेगा.
मेरे विचार से भारत के १८ करोड़ मुसलमानों में १७ करोड़ ९९ लाख निश्चत रूप से दिल और दिमाग से हिंदुस्तानी हैं। कुछ की वजह से सबको कटघड़े में खड़ा करना उचित नहीं। और जो १ लाख मुस्लिम खुद को दिल से हिंदुस्तानी नहीं बना पाए तो वे गुनाहगार हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे ९५ करोड़ हिंदुओ में १ करोड़ हिंदु गुनाहगार हैं।
बिक्रम भाई कितने मुसलमानो ने हिन्दुओं पर कश्मीर में हुए अत्याचार पर बोलते सुना है?
मेरे मन की बात कह दी आपने.