इंटरनेट ने सूचना के प्रचार-प्रसार का काम तो आसान किया ही है, एक सोच के बिखरे पड़े लोगों अथवा समूहों को एकजुट करने में भी भरपूर योगदान दिया है। इंटरनेट की दुनिया में अंग्रेजी व अन्य भाषाओं का वर्चस्व तो है मगर हिन्दी ने पिछले कुछ सालों में जिस कदर इंटरनेट पर अपनी जगह बनायी है, यह तो कहा ही जा सकता है कि आने वाले समय में कम-से-कम हिन्दी को इस बात का मलाल नहीं रहेगा कि वो तकनीक की दौड़ में किसी भी अन्य भाषा से कमतर है।
इस क्रम में इलाहाबाद के तीन युवक जिन्होंने एक दूरदर्शी सपना संजोया और जुट गए हिन्दी कि सेवा में, एक ब्लॉग बनाया ‘‘हिन्दयुग्म’’ इसीलिए नहीं कि अपनी भड़ास निकालें, बल्कि इसीलिए कि ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषी लोगों की बात विश्वभर के हिन्दी भाषी लोगों तक पहुँच सकें और अपनी बात रख सकें। सफर अभी शुरू ही हुआ था कि दिल्ली में ब्लॉग की दुनिया में सक्रिय कुछ हिन्दी-प्रेमियों की नजर इन युवाओं के प्रयास पर पड़ी। फिर राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल आदि जगहों से भी इंटरनेट पर सक्रिय कुछ लोग जुट गए। ब्लॉग के बड़े उद्देश्यों पर चर्चा हुई और शुरू हो गया महाप्रयास हिन्दी को तकनीक की दुनिया में परचम लहराने का। इनका मूलमंत्र ये था कि हिन्दी के नाम पर खास तारीखों पर रोने और गोष्ठियों-समारोहों में चीख मचाने से इस भाषा को कोई खास फायदा नहीं होने वाला बल्कि इसके लिये एक सार्थक पहल करने की जरूरत है। पर ऐसा देखा गया है कि हिन्दी की रोटी खाने वाले लोगों की जमात ही ऐसी सभाओं में अपनी भाषा को कैसे समृद्ध किया जाय पर चर्चा न कर आमतौर पर दूसरी या अन्य भाषाओं को कोसते नजर आते हैं। चीनी भाषा को आज दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में हम सभी जानते हैं, इसका हाल भी हमारा जैसा ही है, परन्तु ये लोग निराशावादी न होकर आशावादी हैं, दूनिया की कई भाषाओं में अपनी बात रखते हैं, जिसमें हिन्दी भी है। चाइना रेडियो इन्टरनेशनल (CRI ) पुराना नाम रेडियो पेकिंग की स्थापना 3 दिसंबर 1941 को हुई ने हिन्दी भाषा में अपनी सेवा देना शुरू भी कर दिया। यह इस लिये नहीं कि उसे अपनी भाषा से प्यार नहीं वरण इसलिये कि ये लोग चीनी भाषा के विकास में हिन्दी का भी सहयोग ले सकें। खर! ये बात एक बहस का विषय है। चुकिं इस बहस में लाखों हिन्दी भाषी जिनकी रोजी चल रही है, वे अपना पालन-पोषण कर रहें हैं उनके हित को चोट पहुँच सकती है। बंगाल में जब कम्पूटर की बात शुरू हुई थी तो मुझे यह बात अच्छी तरह से याद है कि यही माकपा सरकार ने सबसे ज्यादा शोरशराबा मचाना शुरू कर दिया था, कि इससे लाखों युवक बेकार हो जायेगें, आज स्थिति कुछ ओर ही नजर आती है। आइये हम बात करते हैं, इन्टरनेट की दुनिया में हिन्दी के विकास की।
हिंद-युग्म एक परिचय
‘हिन्द-युग्म’ यानी हिन्दुस्तानियों का युग्म (समूह), जिसे हिन्दी भाषा में विश्वास है। ऐसे हिन्दी प्रेमियों का समूह जो कि केवल हिन्दी की बात नहीं करते बल्कि हिन्दी का प्रयोग करके, प्रयोग को प्रोत्साहित करके हिन्दी की सेवा करते हैं। जिन्हें आज पर भरोसा है। जो हिन्दी की दुर्दशा पर रोने से ज्यादा इसे बेहतर करने की कोशिश में लगें हैं।
इंटरनेट के जरिये देश भर में अपनी बात पहुंचाने के लिए धन की जरूरत महसूस की आपस में ही समूह के लोगों ने अंशदान करना शुरू कर दिया, कई और लोग भी आर्थिक मदद को आगे आए और मिशन जारी रहा । हिन्दयुग्म के सफर में सबसे सक्रिय शैलेश भारतवासी के अनुसार हिन्दी को इंटरनेट की भाषा बनाने और हर वर्ग को जोड़ने के लिए हम गाँव-गाँव तक जाते हैं, बेशक हमारे पास अभी पैसे नहीं हैं मगर हौसला तो है और फिर हिंदीप्रेमियों को जब हमारे उद्देश्य समझ आते हैं तो वह खुद ही मदद को तैयार हो जाते हैं। संपर्कः
वेबसाईट- www.hindyugm.com ईमेल- hindyugm@gmail.com
तो फिर देर किस बात की, आप भी जुट जाएँ हिन्दी की सेवा में, इंटरनेट पर जाएँ तो इन प्रयासों को जरुर देखें और सहयोग भी करें। -शम्भु चौधरी
इस क्रम में इलाहाबाद के तीन युवक जिन्होंने एक दूरदर्शी सपना संजोया और जुट गए हिन्दी कि सेवा में, एक ब्लॉग बनाया ‘‘हिन्दयुग्म’’ इसीलिए नहीं कि अपनी भड़ास निकालें, बल्कि इसीलिए कि ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषी लोगों की बात विश्वभर के हिन्दी भाषी लोगों तक पहुँच सकें और अपनी बात रख सकें। सफर अभी शुरू ही हुआ था कि दिल्ली में ब्लॉग की दुनिया में सक्रिय कुछ हिन्दी-प्रेमियों की नजर इन युवाओं के प्रयास पर पड़ी। फिर राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल आदि जगहों से भी इंटरनेट पर सक्रिय कुछ लोग जुट गए। ब्लॉग के बड़े उद्देश्यों पर चर्चा हुई और शुरू हो गया महाप्रयास हिन्दी को तकनीक की दुनिया में परचम लहराने का। इनका मूलमंत्र ये था कि हिन्दी के नाम पर खास तारीखों पर रोने और गोष्ठियों-समारोहों में चीख मचाने से इस भाषा को कोई खास फायदा नहीं होने वाला बल्कि इसके लिये एक सार्थक पहल करने की जरूरत है। पर ऐसा देखा गया है कि हिन्दी की रोटी खाने वाले लोगों की जमात ही ऐसी सभाओं में अपनी भाषा को कैसे समृद्ध किया जाय पर चर्चा न कर आमतौर पर दूसरी या अन्य भाषाओं को कोसते नजर आते हैं। चीनी भाषा को आज दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में हम सभी जानते हैं, इसका हाल भी हमारा जैसा ही है, परन्तु ये लोग निराशावादी न होकर आशावादी हैं, दूनिया की कई भाषाओं में अपनी बात रखते हैं, जिसमें हिन्दी भी है। चाइना रेडियो इन्टरनेशनल (CRI ) पुराना नाम रेडियो पेकिंग की स्थापना 3 दिसंबर 1941 को हुई ने हिन्दी भाषा में अपनी सेवा देना शुरू भी कर दिया। यह इस लिये नहीं कि उसे अपनी भाषा से प्यार नहीं वरण इसलिये कि ये लोग चीनी भाषा के विकास में हिन्दी का भी सहयोग ले सकें। खर! ये बात एक बहस का विषय है। चुकिं इस बहस में लाखों हिन्दी भाषी जिनकी रोजी चल रही है, वे अपना पालन-पोषण कर रहें हैं उनके हित को चोट पहुँच सकती है। बंगाल में जब कम्पूटर की बात शुरू हुई थी तो मुझे यह बात अच्छी तरह से याद है कि यही माकपा सरकार ने सबसे ज्यादा शोरशराबा मचाना शुरू कर दिया था, कि इससे लाखों युवक बेकार हो जायेगें, आज स्थिति कुछ ओर ही नजर आती है। आइये हम बात करते हैं, इन्टरनेट की दुनिया में हिन्दी के विकास की।
हिंद-युग्म एक परिचय
‘हिन्द-युग्म’ यानी हिन्दुस्तानियों का युग्म (समूह), जिसे हिन्दी भाषा में विश्वास है। ऐसे हिन्दी प्रेमियों का समूह जो कि केवल हिन्दी की बात नहीं करते बल्कि हिन्दी का प्रयोग करके, प्रयोग को प्रोत्साहित करके हिन्दी की सेवा करते हैं। जिन्हें आज पर भरोसा है। जो हिन्दी की दुर्दशा पर रोने से ज्यादा इसे बेहतर करने की कोशिश में लगें हैं।
इंटरनेट के जरिये देश भर में अपनी बात पहुंचाने के लिए धन की जरूरत महसूस की आपस में ही समूह के लोगों ने अंशदान करना शुरू कर दिया, कई और लोग भी आर्थिक मदद को आगे आए और मिशन जारी रहा । हिन्दयुग्म के सफर में सबसे सक्रिय शैलेश भारतवासी के अनुसार हिन्दी को इंटरनेट की भाषा बनाने और हर वर्ग को जोड़ने के लिए हम गाँव-गाँव तक जाते हैं, बेशक हमारे पास अभी पैसे नहीं हैं मगर हौसला तो है और फिर हिंदीप्रेमियों को जब हमारे उद्देश्य समझ आते हैं तो वह खुद ही मदद को तैयार हो जाते हैं। संपर्कः
वेबसाईट- www.hindyugm.com ईमेल- hindyugm@gmail.com
तो फिर देर किस बात की, आप भी जुट जाएँ हिन्दी की सेवा में, इंटरनेट पर जाएँ तो इन प्रयासों को जरुर देखें और सहयोग भी करें। -शम्भु चौधरी
1 विचार मंच:
हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा
शम्भू जी
युग्म का परिचय देने के लिए आभार।