हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
आधुनिक जो हो गया हूँ;
वन को काट कर,
जल को गंदा कर,
पर्यावरण को प्रदुषित कर,
वातावरण को दुषित कर
हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
रिस्ते को तौड़कर,
अपने-पराये को भूल,
सुख-दुःख को त्याग,
अपने और सिर्फ अपने ही
स्वार्थ में खोया हुआ हूँ।
हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
करता हूँ मानवता की बात,
निद्वंद्व बन,
खा जाता हूँ वेजुबानों को
और जपता ....
मानव.. मानव,
हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
निर्दोषों की हत्या करता,
दोषी को पनाह देता हूँ,
मेरा नाम है "मानवाधिकार"
इसलिये मानवता के नाम पर
मानवता की हत्या करता हूँ।
हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता - 700106
शनिवार, 7 जून 2008
हाँ! मैं आधुनिक इंसान हूँ।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:45 pm
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1 विचार मंच:
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नियाजे -इश्क की ऐसी भी एक मंजिल है ।
जहाँ है शुक्र शिकायत किसी को क्या मालूम । ।