अन्तिमयात्रा के विदाई समारोह में,
भावभीनी श्रद्धांजलि।
बीती बातों को याद कर,
श्मशान घाट पर सब
एक-दूसरे को सुना-बता।
कितना गहरा संबंध ?
सबके सब आत्मप्रसंसा में लगे,
कोई अपनी तो कोई उनकी,
कुछ देर में लकड़ियां जलकर,
राख का ढेर हो चुकी थी
अवशेष के नाम पर बचा था-
मांस का एक लोथड़ा,
कुछ यादें, कुछ बातें,
हाथ जोड़ - सहज ही लोट जाना
सबको अच्छा लगता है।
पंचतत्व में विलिन
आग की लपटों से लिपटा
एक पूरा शरीर -
जिसे कल तक खुद पर गुमान था,
आज चुपचाप पड़ा था
सच! बड़ा दुर्लभ होता है।
दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं
सांत्वना के शब्द
स्मृति पटल से खोज दे देते हैं
विदाई....
भावभीनी श्रद्धांजलि।
-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता - 700106
रविवार, 8 जून 2008
श्रद्धांजलि
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:01 pm
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