आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
चन्दामामा से मिल सब,
दूध-बतासा ले लें।
चुन-चुनकर 'तारे' सब,
झोली में हम भर लें,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
सूरज की किरणों से मिल,
नई राह दिखलायें,
प्रकाश ज्ञान का फैले,
ऎसा मार्ग बनायें।
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
बादल के ओटों में छुप-छुप
आँख मिचौली खेलें,
बरस रहे बादल को,
होटों से हम पीं लें।
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
पौ फटने से पहले ही हम
नये गीत को रच लें,
चन्दामामा-तारे सब,
रंगों से हम भर लें,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
स्वर की रचना,
नित्य नवगीत बनाना,
नाच रहे हो कृष्ण-कन्हाई
ऎसे भाव जगाना,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता - 700106
सोमवार, 9 जून 2008
एक गीत: आसमान को छू लें
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 11:14 pm
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 विचार मंच:
हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा