इंसान बना एक दिन
खोज रहा था मैं -
अंधेरे में....
भटकती हुई गुफाओं में,
गुंजती हुई हवाओं में,
समुद्री तुफानों में,
मन्दिर-मस्जिद, गुरुद्वारों में
गिरजा, वीणा-सितारों में
तबला, ढोल-नगाड़ों में
संसद के गलियारो में
कानून के पहरेदारों में
सत्ता के हिस्सेदारों में
इंसान बना एक दिन
खोज रहा था इंसान।
अंधेरे में....
[प्रकाशित - दैनिक विश्वमित्र : 13 जनवरी 2000]
-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता - 700106
रविवार, 8 जून 2008
अंधेरे में.......
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:02 pm
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