1. सरकार से बात करने के लिए पहले चुनकर आयें-
सरकार के चुने हुए सांसदों और सिविल सोसाईटी के तानाशाहों के बीच कल मैराथन बैठकों का दौड़ समाप्त हो गया। चुने हुए केंद्रीय भ्रष्टाचार संरक्षक मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने बैठक के बाद मीडिया के माध्यम से अचुने हुई जनता को जानकारी दी की सरकार जल्द ही भ्रष्टाचार संरक्षक कानून संसद के अगले मानसून सत्र में ले आयेगी। कांग्रेसी सरकार के चुने हुए केंद्रीय भ्रष्टाचार संरक्षक मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने कल पुनः प्रमाणित कर दिया कि समाज के सदस्यों के साथ बैठकों का वे सिर्फ नाटक का रहे थे करना उनको वही है जो कांग्रेस का गुप्त एजेण्डा है। इसके लिए अब कांग्रेस किसी से भी हाथापाई करने को तैयार है। भला हो भी क्यों नहीं लोकतंत्र में किसी दूसरे को समानान्तर सरकार चलाने की इजाजत तो नहीं दी जा सकती। सरकार को गुमान हो गया है कि वे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि है जिन लोगों को सरकार से बात करना हो चाहे वे पत्रकार ही क्यों न हो पहले उनको भी चुन कर आना होगा। ये मीडिया और अखबार वाले हमेशा सरकार से किसी न किसी बात पर बवाल मचाती है कि देश की जनता यह जानना चाहती है! वह जानना चाहती है! अब आपको इस तरह के सवाल करने का कोई हक नहीं बनता। आप चुने हुए जन-प्रतिनिधि तो है नहीं? फिर सरकारी पक्ष से आपको बात करने का कोई हक नहीं बनता। आपको जो कुछ पूछना हो चुनाव के समय ही पूछ लिया किजिये। सरकार गठन कर लेने के बाद वे चुने हुए प्रतिनिधि बन जाते हैं। अब हर कोई आकर उनसे कानून बनाने के लिए कहेगा तो कैसे होगा। जैसे मानो 64 सालों में सरकार को कानून बनाने के लिए हर बार जनता ही आकर ही कहती रही। अब देखिये कानून तो जनता बना नहीं सकती सलाह और सूझाव भी नहीं दे सकती और आन्दोलन भी नहीं कर सकती।
2. पोलियोग्रस्त लोकपाल बिल लायेगी केन्द्र की भ्रष्ट सरकार-
चुने हुए भ्रष्टाचार संरक्षक मंत्री श्री कपिल सिब्बल का मानना है कि टीम अन्ना की मांगे देश में समानान्तर सरकार चलाने की है जो किसी भी स्थिति में मानी नहीं जा सकती। इसलिए वे लोकपाल बिल के टीम अन्ना द्वारा प्रस्तावित उन सभी पहलुओं को खुद ही समाप्त करते हुए इसे समानान्तर सरकार चलाने की संज्ञा दे दी। संसद में इस बात की बहस की कोई जरूरत उनको नहीं लगती। शब्दों के खिलाड़ी कांग्रेस के चुने हुए भ्रष्टाचार संरक्षक मंत्री श्री कपिल सिब्बल को बिल बनने से पुर्व ही अन्ना का भूत उनको सताने लगा कि कहिं इस बिल के आते ही उनके उस बयान की भी जाँच शुरू न हो जाय जिसमें उन्होंने 3जी मामले में केग की जाँच रिर्पोट को पलक झपकते ही गलत करार दे दिया था। आज जब उसी रिर्पोट के आधार पर संयुक्त संसदीय जाँच समिति बैठ गई और सत्ता पक्ष के एक के बाद एक मंत्री जेलों में बन्द होते जा रहें है और श्री मान् भ्रष्टतम सरकार के गृहमंत्री श्री पी. चिदम्बरम जी का नम्बर आने ही वाला है को लेकर इनको अभी से ही चिन्ता सताने लगी की कहीं उनकी पोल भी न खुल जाए। शायद इसीलिए चुने हुए भ्रष्टाचार संरक्षक मंत्री श्री कपिल सिब्बल व इनकी टीम ने मन बना लिया है कि लोकपाल बिल तो लाया जाय चुंकि जनता की आंखों में धूल अब तो झोंकना तो पड़ेगा ही अन्यथा इससे पिंड नहीं मिलेगा। अतः बिल के सभी प्रवाधनों को इस प्रकार तोड़-मरोड़ कर संसद में पेश किया जाए कि लोकपाल बिल की भ्रूणहत्या न भी की जा सके तो उसे पोलियोग्रस्त तो बनाया ही जा सकता है।
लेख आगे भी जारी रहेगा.....2
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