हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ उस व्यवस्था से है जो इसका पोषन करती आ रही है। न कि किसी व्यक्ति विशेष या सरकार के नुमाईदों के साथ है। बाबा रामदेव ने जब काले धन और भ्रष्ट तंत्र की बात शुरू की तो एक विचारधारा के सभी लोगों का एक मंच पर जमा होना स्वभाविक सा था। इस क्रम में स्वामी अग्निवेश जी, श्री अन्ना हजारे, श्री अरविन्द केजरीवाल एवं किरण बेदी का एक साथ एक मंच पर आना इस लड़ाई को बल देने लगा।
अपने स्वभाव से उग्र श्री अन्ना हजारे ने इस लड़ाई को आर-पार की लड़ाई कर अनशन का मार्ग चुन लिया जबकि श्री बाबा रामदेव जी सरकार को सिर्फ खोखली धमकी देते रहे। अन्न जी ने जैसे ही इसका दिल्ली में अनशन शुरू किया बाबा को एकबार लगा कि उनका मुद्दा अन्ना जी ने हाईजेक कर उसे किनारे कर दिया है। वे एकबार मंच पर दिखे पर बड़े वेमन से मंच आये। तब तक देश की जनता पुरी तरह से अन्ना के आंदोलन से जुड़ चुकी थी। एक ही रात में अन्ना के नाम से केन्द्र सरकार हिल चुकी थी। पहले दिन आनाकानी करने वाल श्री सिब्बल जी एवं प्रनव दा के स्वर बदलने लगे। सरकार सभी बातों को क्रमवार मानते चली गई। बाबा को लगा कि उसे किनारा कर दिया गया हो, फिर ड्राफ्टींग कमिटि में खुद के नाम को न पाकर सिविल सोसाइटी द्वारा नामांकित कुछ नामों पर अपनी आपत्ति तक दर्ज करा दी। यही कसक बाबा को नागवार गुजरा जिसको लेकर वे एक योजना के तहत कार्य करने लगे। इस घटना के बाद अन्ना सहित उन सभी लोगों को बाबा के मंच पर आने न तो निमंत्रन दिया गया। न ही बाबा की तरफ से कोई ऐसी पहल की गई। कांग्रेस के चतुर राजनीतिज्ञों ने इस बीच के दरार को दो फाड़ करने के लिए जहाँ एक तरफ बाबा को एक ही मुद्दे पर तुल देने लगे तो दूसरी तरफ सिविल सोसाईटी के सदस्यों के साथ कड़ाई से पेश आने लगे। अन्ना के साथीगण इस दोहरी राजनीति के शिकार हाने लगे। इनको लगा कि बाबा की इस पहल से कांग्रस पार्टी इस ड्राफ्टिंग कमिटि की हवा निकाल देगी।
सबकुछ सिलसिले बार चल रहा था। बाबा को लगा कि अब वे कांग्रेस पार्टी के कहे चलकर अपना उल्लू सीधा कर लेगें। परन्तु वे अपने और पराये का फर्क नहीं समझ पाये। वे कांग्रेस के श्री कपिल सिब्बल एवं श्री सुबोधकांत सहाय को अपना विश्वासपात्र मान उनके बुलावे पर उनके मांद में वैगर किसी को बताये चुपचाप समझौता कर आये। मजे कि बात यह कि अपने एक सहयोगी द्वारा लिखित समझौते को पुरे दिनभर मीडिया से छुपाये रखा। खर! हम बाबा रामदेव की इस भूल को हमारी हार मानते हुए पुनः संगठित रूप से इस लडा़ई को आगे जारी रखेगें एवं बाबा रामदेव जी की प्रतिष्ठा को सम्मान करते हुए हम श्री अरविन्द जी को विश्वास दिलाते हैं कि हम सभी आपके साथ हैं। पूर्व में लिखे मेरे दोनों लेख को हटाने की घोषणा करते हुए आगे के आदेश की अपेक्षा करता हूँ। शम्भु चौधरी, कोलकाता
रविवार, 5 जून 2011
हम श्री अरविन्द जी को विश्वास दिलाते हैं
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:06 am
Labels: शम्भु चौधरी, Baba Ramdev
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