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मंगलवार, 7 जून 2011

कांग्रेस की घिनौनी रणनीति

तीन जून को दिल्ली के होटल के अन्दर काग्रेस नंगी हो कर बैठी थी। बाबा रामदेव तीन दिन की कांग्रसी मेहमानबाजी का आनन्द उठा रहे थे, मन ही मन सोच रहे थे कि ये चमत्कार कैसे और क्यों हो रहा है। एक बार तो इनको सपने में भी विश्वास नहीं हुआ कि ये भ्रष्ट और बेईमान लोग इतनी आसानी से कैसे उनकर मांगे मान रहें हैं। कहावत है ‘‘चोर चोरी से जाए - हैरा फेरी से न जाए’’ इस बात को आज पत्रकारों के लिए कोट करता हूँ कि ‘‘कलम जब चलती है तो उसकी स्याही खुद व खुद निकलती है, जब रुक जाती है तो स्याही सुख जाती है।’’ भारतीय पत्रकारिता विदेशी पत्रकारिता की तर्ज पर काम न करें। भ्रष्टाचार मिटाने का सारा जिम्मा अन्ना हजारे, बाबा रामदेव जी व अरविन्द केजरीवाल ने ही नहीं उठा रखा है। इस यज्ञ में हमारी भी आहुति होनी चाहिये। देश भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के जाल से जकड़ा हुआ है। उनकी इच्छाशक्ति कभी भी इस व्यवस्था को समाप्त करने की नहीं होगी। हमें चौतरफा हमला करना होगा ताकी तमाम राजनीतिज्ञों के नकाबपोश को उतारा जा सके। 2जी, या कॉमनवेल्थ घोटाले का हमें कभी पता न चलता यदि हमारे पास ‘‘सूचना का अधिकार कानून’’ नहीं होता। हमें जनता को बताना होगा कि ये कितने नकाबपोश देश के गद्दार हैं जो देश को भीतर ही भीतर खोखला किये जा रहें है। बाबा रामदेव जी के साथ 3 जून को दिल्ली के होटल के भीतर क्या घटना घटी इस सच को उजागर करते मेरे पत्रकार मित्र श्री हंसराज सुज्ञ जी का लेख यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया आप अपने समाचार व ब्लॉग पर इसे स्थान दें। - शम्भु चौधरी


- हंसराज सुज्ञ -


बाबा रामदेव ने जबसे चार जून को आंदोलन का ऐलान किया था। तब से ही सरकार ने अपनी घिनौनी रणनीति बनानी शुरु कर दी थी। रही बात माँगो की तो मांगे तो कांग्रेस कभी भी किसी भी हालत में नही मान सकती थी। क्यों कि क्या कोई चोर और उसके साथी कभी भी ये मान सकते है कि वो अपनी चोरी का खुलासा करें।
जब सुप्रीम कोर्ट कह कह के थक गया कि कालेधन जमा करने वालो की सूची जारी करें। जब इस भ्रष्ट सरकार ने आज तक सूची तक नही जारी की। तो काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना और उसको वापस लाना तो बहुत दूर की बात है। क्यों कि ये बात 100 % सही है की खुद इस गांधी फैमिली का अकूत धन स्विस बैँक में जमा है। इस बारे में सनसनी खेज खुलासे बाबा रामदेव की 27 फरवरी की रामलीला मैदान की विशाल रैली में भी हुये थे। जिसमें विशाल जनसमूह उमड़ा था और इस बिके मीडिया ने उस रैली को प्रसारित नही किया था। और जब आस्था चैनल ने उस रैली को दिखाया तो तुरंत इस सरकार ने आस्था चैनल पर इस रैली को दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके बाद से कांग्रेस का केवल एक ही उददेश्य था कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे बाबा रामदेव पे लोगों का विश्वास उठ जाये।
क्यों कि कांग्रेस जानती थी की उसको किसी भी विपक्षी पार्टी से इतना खतरा नही है जितना बाबा रामदेव से है। क्यों कि उनके साथ विशाल जन समर्थन है। इसलिये कांग्रेस ने एक ऐसी घिनौनी साजिश रची । कि जिससे लोगों का विश्वास रामदेव से उठ जाये। एक जून को जब चार मंत्री एयरपोर्ट पर बाबा को लेने गये तो आम जनता या मीडिया को तो छोड़ो । स्वयं बाबा रामदेव भी नही समझ पाये। कि ये उल्टी गंगा कैसे बही? जब कि कांग्रेस के इस पैतरें का केवल एक ही उद्देश्य था। कि किसी तरह बाबा को प्रभावित करके एक चिटठी लिखवा ली जाये। ताकि बाद में ये साबित किया जा सके। कि अनशन फिक्स था और लोगों का विश्वास बाबा से उठ जाये।
लेकिन बाबा ने कोई पत्र नही लिखा।
कांग्रेस ने हार नही मानी दुबारा मीटिँग की फिर भी असफल रही। और फिर उसने तीसरी मीटीँग होटल में की । वहाँ उन नेताओं के पास बाबा की गिरफ्तारी का आदेश भी था। और होटल के बाहर काफी फोर्स भी पहुच गयी थी। नेताओं ने बाबा पर बहुत दबाब बनाया। और ये कहा कि आप की सारी मांगे मान ली जायेँगी लेकिन आप एक पत्र लिखे कि आप अपना अनशन खत्म कर देँगे। आपको ये पत्र लिखना बहुत जरुरी है। क्यों कि ये पत्र प्रधानमंत्री को दिखाना है।और ये एक आवश्यक प्रक्रिया है।
बिना पत्र लिखे वो बाबा को छोड़ ही नही रहे थे। इसीलिये उस मीटीँग में 6 घंटे का समय लग गया। उस समय बाबा रामदेव ये समझ गये थे कि कुछ षडयंत्र बुना जा रहा है। तब उन्होने संयम से काम लेते हुये पत्र लिखवाने पर तो मान गये लेकिन खुद साइन नही किया बल्कि आचार्य बालक्रष्ण से करवाया। हालाकि कांग्रेस बाबा से खुद साइन करने का दबाब डालते रहे लेकिन बाबा ने समझदारी से काम लेते हुये खुद साइन नही किया।
तब जाकर बाबा उस होटल से बाहर निकल पाये। उन्होने रामलीला मैदान पहुचते ही ये बता दिया कि उनके खिलाफ षडयंत्र रचा जा रहा है और वक्त आने पर खुलासा करेँगे। उसके बाद चार तारीख को नेताओं ने बाबा को फोन करके झूठ बोल दिया। कि आपकी अध्यादेश लाने की मांगे मान ली गयी है और आप अनशन खत्म करने की घोषणा कर दे। कांग्रेस इस बात का इंतजार कर रही थी कि एक बार बाबा अनशन खत्म की घोषणा कर दे तो उसके बाद वो पत्र मीडिया में जारी कर दिया जाये जिससे ये साबित हो जाये की अनशन फिक्स था और लोगों की नजर में बाबा नीचे गिर जाये। बाबा ने फिर घोषणा भी कर दी की सरकार ने हमारी माँगे मान ली है और वो जैसे ही हमें लिखित में दे देगी ।हम अनशन खत्म कर देँगे। सरकार फिर फस गयी क्यों कि उसने बाबा से झूठ बोला था कि वो अध्यादेश लाने की बात
लिख कर देगी ।जब कि वास्तव में उसने कमेंटी बनाने की बात लिखी थी। और बाबा जब तक अध्यादेश लाने की बात लिखित रुप से नही देखेँगे। तब तक वो आंदोलन नही खत्म करेँगे। तब कांग्रेस के चालाक वकील मंत्री सिब्बल ने तुरंत मीडिया को पत्र दिखाया और ये जताया कि ये अनशन पहले से फिक्स था। क्यों कि
सिब्बल जानता था कि मीडिया बिना कुछ सोचे समझे बाबा की धज्जियाँ उड़ाने में लग जायेगा। हुआ भी यही मीडिया ने बिना कुछ समझे चिल्लाना शुरु कर दिया की बाबा ने धोखा किया। लोगों की भावनाओं से खेला आदि।
जब बाबा को पता चला कि सिब्बल ने एक कुटिल चाल खेली है। तब उन्होने बड़ी वीरता से उस धज्जियाँ उड़ाने को आतुर मीडिया को सारे सवालो के जबाब दिये और स्थिति को संभाल लिया। कांग्रेस अपनी इतनी बड़ी चाल को फेल होते हुये देख बौखला गयी। और उस मूर्ख कांग्रेस ने मैदान में रावणलीला मचा कर अपनी कब्र खोदने की शुरुआत कर दी।

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