यह बात उसी समय स्पष्ट हो गई थी जब राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले श्री कपिल सिब्बल एवमं श्री सुबोधकांत सहाय के साथ गुप्त रूप से समझौता कर लेने के बाद योगी-ढोंगी बाबा रामदेव का पांच सितारा सत्याग्रह विवाद के घेरे में आ गया। देश की करोड़ों जनता को धोखा देने वाले अविश्वासी बाबा के विश्वास पात्र आचार्य बालकृष्ण जी का लिखा पत्र देखकर सारी दुनिया चकित रह गई। पहले ही सत्याग्रह के नाम पांच सितारा पंडाल को लेकर एक लम्बी बहस को बाबा ने जन्म दे दिया। अब किस मुँह से ‘विश्वासघात और धोखेबाजी’ का आरोप सरकार पर मंढ़ रहे हैं? बाबा! । बाबा जी द्वारा अनशन के ठीक पहले दिन की गई गुप्त बैठक का गुप्त एजेन्डा सरकार की दो तरफा चाल का एक हिस्सा था। एक अन्ना हजारे समूह को कमजोर कर उनमें फूट डालना, दूसरा बाबा को सामने लाकर बाबा से गुप्त समझौते के तहत अन्ना हजारे द्वारा तैयार किये जा रहे मौसदे में विवाद पैदा करने के लिए तीसरे पक्ष को सामने खड़ा करना। जब बाबा ने इस गुप्त समझौते में इस बात की मांग रखी कि उनके द्वारा संचालित न्यास एवं ट्रस्ट को बैगर क्षति पंहुचाये सरकार उनको अन्ना हजारे के समकक्ष प्रधानता प्रदान करें। बस क्या था बाबा की कमजोर नस को राजनीति के खिलाड़ी तत्काल भांप गये कि यह योग बाबा योगी नहीं, ‘एक ढोंगी बाबा है।’ सरकार ने तत्काल अपने पैंतरे बदलने शुरू कर दिये। जैसे-जैसे दिन गुजरता गया ढोल की पोल खुलती गई।
कल मैंने चार प्रश्न किये थे उसे आज फिर से दोहरा रहा हूँ-
- निर्भिक पत्रकार शम्भु चौधरी, कोलकाता।
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