Translate

रविवार, 10 नवंबर 2024

Father day

-शंभु चौधरी-


पिता, पिता ही रहे ,

माँ न बन वो सके,

कठोर बन, दीखते रहे 

चिकनी माटी की तरह।


चाँद को वो खिलौना बना 

खिलाते थे हमें,

हम खेलते ही रहे,

बच्चों की तरह।


देख हमारा ये दर्द 

खुद झटपटाते रहे,

आँखों से आंसू 

टपक न जाय कभी,

सारा गम 

खुद ही पीते ही रहे।


जब बड़े हम हुए,

भूल ही हम गए,

माँ-बाप भी हैं हमारे 

घर में, एकेले पड़े,

जो देते थे लाकर,

खुशियाँ हमें,

अब पराये हो गए 

पतझड़ की तरह।


नौकरी ने हमें 

इस कदर जकड़ दिया 

घर जाने के लिए,

वक्त भी कम पड़ा 

घिरनी की तरह।


जिस चाँदा मामा से 

करते थे बातें दिन-रात,

आज हमको वो देखने भी,

तरस वो गए।


टीमटीमती थी 'लौ'

रौशनी की तरह,

बाढ़ के बीच 

लिए एक आस, 

जिंदगी की तरह।


हम भी जिन्दा हैं अभी 

इस बाढ़ के बीच,

बचा लो 'कोई' 

सब बह गया यहाँ,

आंधी की तरह।


देखते-देखते 

आ गया बुढ़ापा यहाँ 

हाथ की लाठी बन 

सहारा की तरह।


पिता, पिता ही रहे ,

माँ न बन वो सके,

कठोर बन, दीखते रहे 

चिकनी माटी की तरह।

शंभु चौधरी

भीड़

-शंभु चौधरी-

मैं अब भीड़ में खो गया था।
अलग-थलग दिखने के लिए,
बुझाने आग पेट की
उस आग में ही पक गया था।

मैं अब भीड़ में खो गया था।
चारों तरफ हर कोई दौड़े जा रहे थे,
कुछ काम के लिए जा रहे थे,
कुछ काम पाने के लिए जा रहे थे,
सब अपनी-अपनी पसंद की 
भीड़ को ही तलाश रहे थे।

एक तरफ -
कल जिस लोकतंत्र को 
देखा था संसद के दरवाजे पर झूलता, 
झूलसता, तड़पता, झटपटाता,
मृत्युदण्ड का अपराधी बन कर 
अंतिम सांसों के दिन गिनता।

दूसरी तरफ -
अहंकार, पैसा, सरकार
400 पार करने वाली मीडिया 
उस हत्यारे के साथ ख़डी 
मना रही थी जश्न,
अपराधी को उसके अपराध से बचाने के लिए, 
दूसरों को ही अपराधी ठहरा रही थी।

करवट बदला
आज वही लोकतंत्र 
आपकी आवाज बन 
उनके गले की घंटी बन गई थी,
सच सुनते ही 
अपने जान की दुहाई मांग रही थी।
एक संसद की गरिमा का पाठ पढ़ा रहा था,
दूसरा संसद के नियम सुना रहा था।
तीसरा तिलमिला के खड़ा हुआ,
दलाल ने बचाव में कुछ कहा 
चौथा अध्यक्ष महोदय जी को ही 
आँखें दिखा रहा था।
लोकतंत्र की आवाज वापस से 
कैसे जिन्दा हो गई?
इस पर उनसे सफाई मांग रहा था।

अब वह लोकतंत्र की भीड़ में 
खुद को दबा पा रहा था।
जिस भीड़ में लोकतंत्र को 
खुद ही दबा रहा था।

दिनांक : 02/07/2024


सोमवार, 14 अगस्त 2023

अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा

 अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा


लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो करता ही है। प्रेम के अंधों के लिए गाना लिखा गया था है ‘‘जो तुमको हो पसंद, वही बात कहेंगे, तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे’’ आज हम यही देख सुन रहें हैं। मोदी सरकार की मंसा में दो सवाल खड़ा करता हूँ।
1. कानून का शीर्षक हिन्दी में किया गया, कानून को अंग्रेजी में प्रस्तुत क्यों किया गया?
2. भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में परिवर्तन की इतनी ही जल्दी थी तो उच्च अदालतों  व उच्चतम अदालतों में कार्यवाही अंग्रजी में ही क्यों?
जब उच्चतम अदालत की सभी कुर्सियों को काट कर रातों-रात बराबर किया जा सकता है तो कानून लिखने वाले को भी रातों-रात हिन्दी लिखने व पढ़ने के लिए बोला तो जा ही सकता है।
संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन यानि कि  11 अगस्त 2023 को भारत के केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने तीन बिल  लोक सभा में प्रस्तुत किए। इस बिल का ड्राफ्ट अंग्रेजी में जारी किया गया, जबकि बिल का शीर्षक अंग्रेजी से बदल कर हिन्दी में कर दिया गया। जैसे-
आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और एविडेंस एक्ट  की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 कर दिया गया। सीआरपीसी कानून पुराने कानून की कुल 511 धाराओं की जगह अब नये कानून में मात्र 356 धाराएं ही होंगी ।
1. भारतीय न्याय संहिता, 2023
(The Bharatiya Nyaya Sanhita Bill, 2023)
2.भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और
(The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita Bill, 2023)
3.भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023
The Bharatiya Sakshya Bill, 2023

इस बिल के ड्रफ्ट पर और विभिन्न वैधानिक उपायों के साथ-साथ इसके कानून बन जाने पर समाज को इससे कितना न्याय मिलेगा या इस कानून से समाज पर जूल्म की एक नया अध्याय जूड़ जाएगा, इस पर भी हम यहाँ विस्तार से चर्चा करेंगे। दण्ड शब्द के बदल देने मात्र से समाज को न्या मिल जायेगा। यह सोचना ही हमारी विकलांग मानसिकता को दर्शता है। आपने बहरा-गूंगा और एक अंधे की कहानी से इसके तथ्य को समझाता हूँ। जब बहरा-गूंगा और अंधे लोग, सब मिलकर किसी बात पर अपनी विद्वता दिखाने की कोशिश करते हैं तब उस देश का पतन शुरू निश्चित तय है। संसद में जिस प्रगकार आनन-फानन में इन तीनों बिल को प्रस्तुत किया इससे राजनीतिक लाभ लेने को प्रयास इनाक भले ही सफल हो, पर पुराने कानून को बदलने के पीछे उनकी जो मंशा है की देश के लिए कितनी घातक साबित होगी यह तो भविष्य ही बता पायेगा, परन्तु हम यदि अभी से सजग नहीं हुए तो देश को गर्त में डालने के इनके सारे प्रयास सफल हो जाएंगे।
जिस प्रकार इन लोगों ने चुनाव आयोग के ऊपर कानून लाया गया, दिल्ली के ऊपर कानून बनाया गया, किसान के तीन काले कानून बनाये गए, जमीन हड़पने का कानून बनाया गया, ये सब इनकी मानसिकता को ही दर्शाता है कि इनके दिमाग में आखिर चल क्या रहा है?

इनका कहना है कि इन लोगों ने एक लंबी प्रक्रिया अपना कर इन तीन कानून को अमली जामा पहनाने का प्रयास किया है जिसमें 18 राज्यों 6 संघ शासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 हाई कोर्ट, 5 न्यायिक, अकादमी, 22 विधि विश्वविद्यालय, 142 सांसद, लगभग 270 विधायकों और जनता ने इन नए कानूनों पर अपने सुझाव दिए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि 4 सालों तक इस कानून पर गहन विचार विमर्श हुआ और वे स्वयं इस पर हुई 158 बैठकों में उपस्थित रहे। भारतीय दंड संहिता-1860, दंड प्रक्रिया संहिता (1898) -1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम.1872 जो कि ब्रितानी हुकूमत के द्वारा बनाया गया था, हम इसके गुण व अवगुणों पर भी यहां चर्चा करेंगे।

फिलहाल हम आईपीसी की धारा 124ए  जो ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय के ऊपर एक काला कानून था जिसके इस्तेमाल इन दिनों जमकर विभिन्न सरकारें पत्रकारों के खिलाफ करने लगी थी जिस पर उच्चतम अदालत ने प्रतिबंध लगाकर सरकार को इसे समाप्त करने का आदेश दिया था इसके बदले जो नये प्रावधान लाये गये हैं हम इसके ऊपर विस्तार से बात करते हैं।
जब सरकार बोलती है कि भारतीय पीनल कोड -1860 (आइ.पी.सी एक्ट) को पूरी तरह ही समाप्त कर देगी और इसकी जगह नया कानून भारतीय न्यायिक संहिता-2023 ले लेगी, तो यह प्रचारित करना कि इस (धारा 124ए) कानून को समाप्त कर दिया जाएगा। यह बात गले नहीं उतरती।

सरकार साफ-साफ यह क्यों नहीं बताती कि अब देश के जितने भी कानून ब्रिटिश हुकूमत के प्रचलित हैं। जो भी व्यवस्था उनके द्वारा बनी हुई है जिसमें अंगूठा छाप राष्ट्रपति के लिए 380 कमरे के आलीशान भवन, राज्यपालों के द्वारा चुनी हुई सरकारों पर हुकूमत चलाने के सभी नियमों को समाप्त कर वास्तव में लोकतंत्र की स्थापना की जाएगी। परंतु जिस प्रकार दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार के अधिकारों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आनन-फानन में बिल लाकर संसद में जिस प्रकार पास किया गया, इससे से तो यही लगता है कि सरकार को बिल के माध्यम से, अपने दलाल राज्यपालों के द्वारा सरकार चलाना चाहती है। जिसे हम संवैधानिक व्यवस्था की आड़ देकर देश की संपदा को बेचने और विपक्ष की आवाज को दबा कर माओवादी प्रथा को लागू करना ही कहा जाएगा। यह जो कुछ भी आज देश में घट रहा है, यह ना तो आर.एस.एस. के सिद्धान्तों को प्रतिपादित करता है ना की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है। भारत के संविधान की तो कदापि नहीं। 


जारी...

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

जन सुराज अभियान -4

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -4

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

जुड़ने के लिए कॉल करें : 91216-91216


जय बिहार - जय जय बिहार 

PK कनेक्ट

22/04/2023

बिहार का मॉडल कैसा हो?

जब पूरी दुनिया के लोग बिहार आते थे पढ़ने, वो मॉडल लागू होना चाहिए जब पुरे देश की शासन व्यवस्था बिहार से चलती थी। वो मॉडल लागू होना चाहिए जब देश का सबसे गौरवशाली  राज्य बिहार था, वो मॉडल नहीं चाहिए, जहाँ बिहार को अनपढ़ोँ का प्रदेश बना दिया गया। इस मॉडल से हमें बचना चाहिए जहाँ बिहार को मजदूरों की फैक्ट्री बना दी गई है। यह मॉडल बदलना चाहिए।
हमलोगों को ऊ.पी या मध्यप्रदेश देखने की जरुरत नहीं है,  हमलोगों को उस बिहार को देखने की जरूरत है जिसे हमारे पूर्वजों ने इस राज्य के लिए बनाया था। हमलोगों को किसी दूसरे राज्य को देखने की जरुरत नहीं।

आप खुद को बिहारी बोलतें है, आपको पता ही नहीं आपके बच्चों को कभी ट्रैन में, कभी शहर में धर-पकड़ के दूसरे प्रान्त के लोग मार रहें हैँ। अभी में पांच माह से घर-द्वार छोडें है तो लगे उसी में हम हैंकड़ी मारने, आपके-हमारे बच्चे मजदूर बनने के लिये कितने साल से घर-द्वार छोडें हैं, उनके दर्द को देखा है किसी ने?  - प्रशांत किशोर (25/04/2023)


कांग्रेस बिहार में है कहीं?
कॉंग्रेस के सन्दर्भ में बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि एज ए आर्गेनाइजेशन कांग्रेस बिहार में है कहीं? कोई नेता जमीन पर दिखा है, कुछ किया है, सरकार में शामिल है। सरकार में तो बहुत लोग शामिल है।

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को कैसे सुधारें?
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए यह समतामूलक शिक्षा व्यवस्था से अलग हट के, जहाँ पर आप विद्यालयों को बच्चों तक पंहुचा रहें हैं, हमलोग जो मॉडल बनाने की बात कर रहें हैं, उसमें बच्चों को अच्छे विद्यालयों तक की बात है, इसका मतलब है कि आप हर पंचायत, हर गाँव में स्कूल बनाने के बजाय, अगर प्रखंड स्तर पर, अच्छे से मैपिंग कर के पांच अच्छे स्कूल बना दिए जायँ  तो हर बच्चे को 15 मिनिट में बस के माध्यम से स्कूल तक पहुँचाया जा सकता है।  इसका फायदा यह होगा कि एक प्रखंड में आपने 20 विद्यालय बनाये, जो कोई नहीं चल रहा, इसकी जगह  पांच अच्छे विद्यालय बनाये, विश्वस्तरीय विद्यालय बनाये, और लोगों को यह सुविधा दें कि वे बच्चों को विद्यालय तक बसों से भेज सके। ज्यादातर बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहें हैँ।

21/04/2023

जाति, धर्म, पुलवामा के नाम पर वोट 

लोकतंत्र में यदि आपको अपनी जिंदगी सुधारनी है तो जब आप अपनी समस्याओं पर वोट दीजियेगा, अगर आप अपने बच्चों की चिंता नहीं करियेगा तो कोई नेता, कोई दल, कोई विचारधारा नहीं करेगा। हम सात महीना से 2000 गावों में पैदल चल कर गए हैं। मेरे सामने 50-100 बच्चे दौड़ते हैं, आधे से ज्यादा बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा तक नहीं पहनने के लिए। ज्यादातर बच्चों के पैर में चप्पल तक नहीं है। लेकिन जब बिहार की जनता वोट करती है, तो वोट के दिन जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, लालू के डर से भाजपा को, भाजपा के डर से लालू को, आपका कहना है कि यह हम इसलिए करते हैं कि हमारे पास विकल्प नहीं है। अगर आपके पास विकल्प नहीं है तो, आपको, हमको किसने रोका है विकल्प बनाने से?





बुधवार, 19 अप्रैल 2023

प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

जुड़ने के लिए कॉल करें : 91216-91216



जय बिहार - जय जय बिहार 

PK CONNECT

पत्रकार वार्ता

@नीतीश कुमार 19/04/2023
इन सबसे ज्यादा, मानवता के आधार पर, जिस नीतीश कुमार की  2014-15 में हमने मदद की थी, यह वो नीतीश कुमार हैँ जो, बाजपेई जी के प्रधानमंत्री रहते हुए, आप तब रेल मंत्री थे, उस समय गैसल स्टेशन के पास एक विषण रेल दुर्घटना हो गई थी,...

  (देखें पश्चिम बंगाल सीमा पर गैसाल रेलवे स्टेशन के समीप भीषण रेल हादसा हुआ था. गैसाल स्टेशन पर दो अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध आसाम एक्सप्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई थी. दोनों ट्रेन एक ही लाइन पर आ गई थी. इस घटना में करीब 290-291 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया था।)
तब नीतीश कुमार जी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से यह कह कर इस्तीफा दिया था कि 291 लोगों की दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद मैं इस पद पर कैसे रह सकता हूँ। आज ये वही नीतीश कुमार है जो करोना (Covid) के दौरान ज़ब हजारों लोग आँखों के सामने मर गए, रोड पर हमने देखा पुरे बिहार के लाखों बच्चे मारे-मारे फिर रहे थे, गरीब लोग, नीतीश कुमार ने अपने बंगले से निकल कर उनकी मदद का कोई प्रयास नहीं किया।
आज बिहार में जहरीली शराब से हर दिन लोग मर रहें हैं, यह वही नीतीश कुमार है जो विधानसभा में पोकेट में हाथ डाल कर हँसते हुए कहतें हैं -"जो पियेगा -वही मरेगा"।
तो आपको 2014-15 के नीतीश कुमार ओर आज के नीतीश कुमार में फर्क नहीं समझ में आ रहा है?
लोकतंत्र आपको क्या बताता है कि, जिस दल, जिस किसी नेता, और विचारधारा पर आपको भरोसा है, आप उसकी मदद कीजिये, उसको वोट दीजिये, लेकिन वह मदद पांच वर्ष के लिए है, जीवन भर की बंधुआ मजदूरी नहीं की है, क्योंकि लोकतंत्र आपको यह भी बताता है कि अगर उसने काम नहीं किया तो जितनी मजबूती से आपने उसकी मदद की थी, उतनी ही मजबूती से उसका विरोध भी करें। अगर ऐसा नहीं होता तो पांच वर्ष के बाद वापस चुनाव की जरूरत ही क्या? अपने एक बार नेता को चून दिया जीवन भर वही
 रहेगा।
सवाल : राजद को कैसे देखतें हैं आप?
राजद की बात आप छोड़ दीजिये, जिस राजद के पास जीरो एम. पी है, वह देश में प्रधानमंत्री बनाएगा? चार विधायक ज्यादा जीत लेने से बड़का दल, आपको ऐसा लग रहा है कि #राजद इतना बड़ा दल है, अरे हर राज्य में ऐसे लोग हैं। उनकी कितनी ताकत है?
आप जो सवाल उठा रहें हैं यही नीतीश कुमार के बारे में बात हो रही है कि 2014 का नीतीश कुमार  15 में आपको बता रहा हूँ ऑन रिकॉर्ड समझ लीजिये, कैबिनेट बनते समय मैं शामिल था राजद के चार ऐसे विधयाक को मंत्री बनाने का प्रस्ताव लालू जी ने भेजा था।उनको इसलिए रोक दिया गया, कि उन चार लोगों का चरित्र, करेक्टर सही नहीं पाया गया। आज वही चार लोग फिर जीत कर मंत्री बने हुए हैँ। नीतीश कुमार, मुख़्यमंत्री हैं। यही बात तो आपको समझाने क़ी कोशिश कर रहा हूँ की जिस नीतीश कुमार को सुशासन के नाम पर जिसको जनता ने आशीर्वाद दिया आज वह हर वो काम कर रहा है, जो जंगल राज,.. जिसके खिलाफ उनको वोट मिला है। चाहे वो क़ानून को तौड़ना-मौड़ोना हो,  अपीधियों को शरण देना हो, भ्रस्टाचार को बढ़ावा देना हो, जनता की चिंता ना करना हो, शराब ओर बालू माफिया को प्रश्रय देना हो, यही काम तो #जंगलराज में हो रहा था, वही आज हो रहा है। फर्क बस इतना ही दिख रहा है पहले जनता को दिक्कत अपराधियों से हो रही थी, आज बालात्कारियों से हो गई। लेकिन बालू माफिया तो जितना जंगल राज में था, उससे ज्यादा आज है। शराब माफिया जितना पहले था, उतना आज है।  वही लोग अब सफ़ेदफॉस हो कर हजारों, करोड़ों की लूट कर रहें हैँ। पहले वह बालू बेच कर पैसा कमा रहें थे अब शराब और बालू बेच कर पैसा कमा रहें हैं, और नीतीश कुमार की नाक के नीचे, उनके जानकारी में हो रहा है।

अतीक अहमद और अशरफ अहमद

सवाल मीडिया (बिहार): उत्तर प्रदेश के (माफिया) अतीक अहमद और अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में सरेआम हत्या कर देने पर आपकी क्या राय है?
उत्तर प्रशांत किशोर : मैं रूल आफ लॉ को मानता हूँ.. यह भी देख रहा हूँ कि समाज का एक वर्ग ताली बजा रहा है, यह, यह दिखता है कि जनता कितनी त्रस्त थी। लेकिन आप त्रस्त हैँ किसी बात से, उस परेशानी से निकलने के लिए ओर दूसरी गलती करें, उससे आपका कोई फायदा नहीं हो सकता। ज्यादा बेहतर होता ऊप सरकार एक फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनाती, उनका एक माह में ट्रायल करती, उनको सजा होती, वह ज्यादा अच्छा होता, पुलिस राज अच्छा नहीं, संविधान संगत जो व्यवस्थाएं बनाई गई है, उन कमियों को सुधारने के लिए आप संविधान को ही बदल दीजिये वह ठीक नहीं। संविधान में जो व्यवस्था बनी हुई है, उन व्यवस्थाओं में कुछ कमी आ सकती है,  उन कमियाँ से जनता को परेशानी भी है, तो आप उन प्रावधानों को सुधारने के बजाय आप संविधान के उन प्रावधानों को ही हटा दें, और बिहार को या देश को पुलिस राज्य बना दें?
मैं आपको बता रहा हूँ, आपके माध्यम से दर्शकों को भी बता रहा हूँ, कि आज भले आपको अच्छा लग रहा है, समाज के एक वर्ग को, यह समाज के हक में नहीं।

20/04/2023

PK युथ क्लब 

जन सुराज, पद यात्रा के तरकस का तीसरा तीर है युथ क्लब की परिकल्पना,  यह मान ले हर प्रयास से दूसरा प्रयास, ज्यादा ताकतवर होगा, ज्यादा असर वाला होगा। ज़ब हम गाड़ी से घूमना शुरू किया था, उसके मुकाबले पद यात्रा बहुत बड़ा प्रयास है। पद यात्रा के दौरान युथ क्लब बनाना शुरू किये हैं, अभी इसका ट्रायल रन चल रहा है। अभी जमीन पर इसका टेस्ट चल रहा है, ज़ब इसको खोलेंगे, पुरे बिहार में एक लाख युथ क्लब पांच महीने में खोल दिए जायेंगे। एक लाख युवाओं को चयनित किया जा रहा है, आपको पुरे बिहार की समझ हो या न हो, अपनी समझ तो जरूर है, यदि एक-एक लड़के, दस-दस लड़के को जोड़तें हैं तो पुरे बिहार में 10 लाख ऐसे लड़के जो समाज में अपने बाबू जी के नाम पर नहीं आ रहें राजनीति में, अपने जाति, अपने धर्म के आधार पर नहीं आ रहें राजनीति में। सिर्फ और सिर्फ अपने क्षमता के आधार पर, अपने जज्बे के आधार पर और समाज में नया कुछ करने के लिये राजनीति में आ रहें हैँ।

हमने कहा है बिहार में यदि नई राजनीति व्यवस्था बनानी है तो खाली MP, MLA, बदलने से बात नहीं बनेगी, पिछले 30 वर्ष में, बिहार में जितना लोग MLA बना है, जितना लोग MP बना है चाहे जिस दल का बना हो, सबका नाम आप लिखियेगा, तो पता चलेगा  साढ़े बाहरा सौ परिवार के लोग ही यहाँ पर MLA / MP  बनतें हैं।

जबकि बिहार में साढ़े तीन करोड़ परिवार है और 13 करोड़ आबादी है। तो साढ़े बारह सौ परिवार का राजनीति में एकाधिकार क्यों है? जो पहले लालू जी के साथ था, वही उछल कर अब आ गया है नीतीश जी के साथ।  नीतीश का खेल खतम होगा तो वही लड़का चला जाएगा, भाजपा के साथ। नये लड़के को अवसर ही नहीं है, अगर यदि आपके बाबूजी विधयाक नहीं है, आपके पास रुपया नहीं है, तो आप राजनीति में नहीं आ  सकते। यदि राजनीति में किसी प्रकार आ भी जाइएगा तो कार्यकर्त्ता बनकर झोला ढोना पड़ेगा।

हम यह व्यवस्था बना रहें हैं कि आपके पास पुराना राजनीति आधार हो या ना हो, जाति हो या न हो, पैसा हो या हो, अगर आपमें क्षमता है तो पैसे की चिंता आप मत कीजिये। संसाधन की चिंता आप मत कीजिये, हम आपके पीछे खड़े रहेंगे।

21/04/2023

 मैं कोई नेता नहीं हूँ -

मेरा नाम है प्रशांत किशोर, मैं कोई नेता नहीं हूँ, जन सुराज कोई दल नहीं है, हम बिहार के एक साधरण परिवार का लड़का हूँ, हमरे दादा बैलगाड़ी चलाते थे, मजदूर थे। हमारे बाबू जी यहाँ डॉक्टर थे, यहीं सरकारी स्कूल से पढ़कर हम निकले हैं। माता-पिता का, ऊपर वाले का कुछ आशीर्वाद है, जीवन में कुछ हासिल किया है, लेकिन अब तय किये हैं, दस वर्ष काम करने के बाद, यह तय किया, अब अगर भगवान ने मुझे  कुछ शक्ति, बुद्धि दी है,  तो जिस मिट्टी में जन्मे, जिस बिहार में हमारा जन्म हुआ, जहाँ हमलोग पले-बढ़े, यहाँ और यहाँ के लोगों की जिंदगी उसको सुधारने के लिए कोई प्रयास करें, इसीलिए जीवन का सबकुछ छोड़कर यह पदयात्रा शुरू की है।

हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा। -प्रशांत किशोर 


पैदल क्यूँ चल रहे, यह संकल्प लिया है, पुरे बिहार में, गाँव, शहर, कस्बा, देहात हर जगह पैदल चल कर जायेंगे, हम पैदल क्यों चल रहे, हमारे पैदल चलने से आपका कोई फायदा नहीं, हमारे पैदल चलने से आपकी गरीबी दूर नहीं होगी, बेरोजगारी दूर नहीं होगी, बच्चों को पढ़ने की अच्छी सुविधा नहीं होगी। हमारे पैदल चलने से, आपका नाली, गली नहीं बानेगा। आपको अनाज नहीं मिलेगा, आपको पेंशन नहीं मिलेगा।
तो हम पैदल क्यों चल रहे? पैदल इसलिए चल रहे हैं कि जिस राज्य,  जिस समाज के लोगों की जिंदगी को सुधारना चाहतें हैं, कम से कम एक बार जाकर अपनी आँख से देखें आप और आपके बच्चे किस दशा में जी रहें हैं।
हमने कहानियाँ में सुना है कि पुराने जमाने में राजा लोग भेष बदल कर रात के समय अपनी प्रजा को देखने निकलते थे.. आज के समय हम जिनको चुनते हैं, वह रात के समय तो छोड़ दीजिये, वह दिन में भी आपका सुध लेने नहीं आ रहा है।
यदि कोई आ भी गया, बड़े नेता को तो छोड़ दीजिये, छोटा नेता, इतना सिपाही लेकर घूमता है कि सबको जान का खतरा है, जनता से उनका भेंट ही नहीं हो पता। सबको जान का खतरा है, कहता है ऐसा, हम आज 200 दिन से पैदल चल रहें हैँ, आप यहाँ रात के 10 बजे आ कर बैठे हैँ, इतनी बड़ी व्यवस्था है लेकिन यहाँ पर एक भी सिपाही नहीं है।
हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा।
नेता सिपाही लेकर इसलिए चलते हैं कि कहीं कोई पूछ न ले कि भैया जो काम का वादा किया था, वह काम तुमने किया नहीं। तो यह दुर्दशा है हमलोगों की, लेकिन मैंने कहा है यह राजनीति दल नहीं है, यह वोट मांगने का अभियान नहीं है, इसलिये हमलोग किसी नेता के खिलाफ गाली-गलौच नहीं करते। जो नेता आतें हैं वह यही कहतें हैं, हमने अच्छा काम किया, हमारे विरोधी ने अच्छा काम नहीं किया। हमको वोट दीजिये, हम आपका काम कर देंगे।
यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है।

यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। -प्रशांत किशोर 

मैं आपको बिलकुल उलट बात कह रहा हूँ, जिसको भी आपने वोट दिया या जिसकी सरकार बनाई, जिसने जो काम किया या करने का दावा कर रहा है, सबको सही मान लीजिये। यह बहस मत कीजिये कि उसने काम किया कि नहीं, सबके बात को सही मान लीजिये, यह मान लीजिये कि #कांग्रेस ने 40 वर्ष बिहार में बहुत काम किया, यह भी मान लीजिये कि #लालूजी के राज में 15 साल में बिहार में सामाजिक तौड़ पर पिछड़े वर्ग को आवाज मिल गई। सामाजिक न्याय आ गया। यह मान लीजिये कि नीतीश जी और भाजपा के शासन में सुशासन आ गया, लेकिन यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। 

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -2

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -2

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

जुड़ने के लिए कॉल करें : 91216-91216

सवाल 

एक बात प्रशांत किशोर जी को सार्वजनिक करना चाहिए कि इतने टेंट, गाड़ी, माइक, बैनर, शानदार सभागार बनाने की व्यवस्था, साथ में 200-300 आदमी के भोजन बनाने  उनके सोने, नहाने बाथरूम की व्यवस्था, के लिए किस-किस राज्य के मुख़्यमंत्री, या राजनीति दल आपको पैसा दे रहा है?

आपने खुद यह बात कई सभा में की, कि आपको चुनाव जितने के लिये राजनीति दल करोड़ों में नहीं कई सो करोड़ों में धन देते थे.. आप यह भी सार्वजनिक करें कि आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जितने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?

आप नैतिकता की बात करते हैं. बिहार को बनाने की बात करते हैँ, कहीं आप अनैतिक तरीके से प्राप्त धन का उपयोग किसी खास उद्देश्य के लिये तो नहीं कर रहें हैँ?

आपने बड़ी चालाकी से केजरीवाल को भ्रष्टाचार में लिप्त घोषित कर दिया.. आप मुझे बस इतना ही बता दें रोजाना आपके काफिले पर, ताम-झाम पर, सड़कों पर आपके पोस्टर, कहीं गाँधी जी के नाम पर अपना राजनीति एजेंडा तो पूरा करने में नहीं लगे हो आप? आपके ऊपर रिपोर्टिंग बिना किसी भेदभाव के जारी रहेगी...

जन सुराज अभियान पार्ट -1 इस लिंक को देखें 

जन सुराज़
जय बिहार - जय-जय बिहार 
ये जब तीनों रास्ते बंद है -शिक्षा, भूमि और पूंजी, तो आप कितना भी मेहनत कर लें बिहार को गरीबी से कोई नहीं निकाल सकता।

यह दलितों का मंच नहीं है। 18/04/2023
जन सुराज कोई पिछड़ा समाज का अभियान नहीं है, यह दलितों का मंच नहीं है। यह सवर्णो का मंच नहीं है। यह किसी जाति विशेष का मंच नहीं है। यह बिहार के सर्वसमाज का मंच है। आपका, हमारा सबका मंच है। इसमें आपको किसी के पीछे नहीं चलना है, जो चलेगा, बराबरी में ही चलेगा। दल हम नहीं आप सब मिल कर बनाएंगे। आपका इस्तेमाल इस लिये अब तक होता रहा कि दल बनने में आपका कोई भागीदारी नहीं होती, जब कोई दल बन रहा है उसमें आपका मालिकाना हक नहीं है, तो जबतक आप पीछे चलिएगा, तो तब तक हमारा मन रहेगा तबतक आपको साथ रखेंगे, ज़ब मेरा मन नहीं होगा तब-तब आपके साथ धोखा होगा ही होगा, और कोई आदमी आपको कह रहा है कि हम आपके साथ धोखा नहीं करेंगे तो आपको झूठ बोल रहा है।
यह संभव ही नहीं जब हमको, अपने और आपके बच्चे में से एक को चुनना है तो आपके बच्चे को चून लेंगे। कभी नहीं चुनेंगे।

सवाल : भ्रष्टाचार कैसे खतम होगा?
17/04/2023
उत्तर : बहुत सवाल पूछा जाता है कि भैया भ्रष्टाचार, बिहार में कैसे खतम होगा? प्रशांत किशोर या किसी एक व्यक्ति से, या कोई एक क़ानून बना देने से भ्रष्टाचार नहीं सुधरेगा। आपने देखा अन्ना आंदोलन को, लोकपाल के नाम पर इतना बड़ा आंदोलन हुआ, सबको लागा कि बस अब लोकपाल आते ही भ्रष्टाचार खतम हो जाएगा। कुछ लोगों को लगा कि मोदी आई तो भ्रष्टाचार खतम हो जाई। मोदीजी प्रधानमंत्री है, कोई भ्रष्टाचार ख़तम नहीं हुआ, और जो इस आंदोलन में सक्रिय था, आज वह मुख्यमंत्री (#केजरीवाल @ArvindKejriwal) है, खुदे न अभी भ्रष्टाचार में जेल जा रहे हैँ।

"सवाल : आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जिताने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?"

दुनिया में भ्रष्टाचार को खतम करने के लिये चार बातें की - दुनिया में इमानदारी का इंडेक्स जारी होता है कि कौन देश उनमें जो देश प्रथम चार-पांच पर आते हैं उन लोगों ने चार बातें लागू की।
1. अच्छे लोगों को जनप्रतिनिधि के रूप में चून कर लाना।
2. सत्ता और संसाधनों का विकेंद्रिकरण, जो पंचायती राज के मूल जो बात लिखी गई है कि जो पावर है ज़ब तक आप निचले स्थर पर नहीं देंगे, कोई सुधार नहीं होगा।
3. जन भागीदारी
4. तकनिकी का उपयोग।

गुजरात में फैक्ट्री लग रहा है और आपके बच्चे?
आपको लग रहा है नेता ठग रहा है, सब नेता यही भाषण देता हैं, हम अच्छे हैँ  पीछे वाला ख़राब था। हम आपको दूसरी बात कह रहें, मान लीजिये जितना नेता है, सब अच्छा है। जिसने भी राज किया सबने अच्छा काम कर दिया। लालू जी ने कर दिया, नीतीश जी ने कर दिया, कांग्रेस ने भी बहुत विकास कर दिया। सबने जो काम कर दिया, उसको सही मान लीजिये, तब भी हमलोगों की जो दुर्दशा है वह आंख के सामने ही है।
सबके काम के बाद भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब, सबसे पिछड़ा, सबसे अशिक्षित, सबसे ज्यादा भुखमरी और बेरोजगारी वाला राज्य है। इतनी सी बात आप को समझ में आ जानी चाहिए कि जिस रास्ते से चल कर आप पिछले 50 साल से चल रहें हैँ, उस रास्ते से आपका कल्याण नहीं होने वाला। अगर होना होता तो कोई तो सुधार देता, और आज तो लग रहा है, सब नेता ठग है, सब नेता अपराध कर रहा है, ऐसा नहीं है। आप जिस बात के लिए वोट दें रहें हैं, वह चीज आपको मिल रही है।
आपने, हमने, सबने पांच किलो अनाज पर मोदी जी को वोट दिया है, तो बिहार में कितना भी भ्रष्टाचार है, एक किलो चोरी कर के चार किलो अनाज तो आपको मिल ही रहा है।
आपने वोट दिया है, राममंदिर के नाम पर, बिहार में स्कूल बने, चाहे ना बने, फैक्ट्री लगे चाहे ना लगे, आयोध्या में राममंदिर तो बन ही रहा है न?
आपने वोट दिया है बिजली के नाम पर, बिजली बिल चाहे 6 हजार आये या आठ हजार, घर-घर बिजली आ ही गई न?
आपने वोट दिया है उज्जवला ने गैस सिलिंडर पर, भले ₹1250/- अब आपको भरना पड़ता है, गैस सिलिंडर आपको मिला कि नहीं?
आपने वोट दिया है जात के नाम पर तो आज घरे-घरे जात की चर्चा, जात के गिनती हो रही है न?
आपने वोट दिया है, मोदीजी का 56" का सीना देखकर, रोज सुबह-शाम आपको टीवी पर मोदी जी दिखाई देते हैँ कि नहीं?
आपने वोट दिया है गुजरात के विकास की कहानी सुनकर, तो गुजरात में फैक्ट्री लग रहा है और आपके बच्चे गुजरात में जाकर मजदूरी कर रहें हैँ कि नहीं?
तो जौन (जिस) बात पर आपने वोट दिया, वह आपको नहीं मिला तो हमको बता दीजिए। किस बात पर आपने वोट दिया जो अब तक आपको नहीं मिला, बताईए।
आपने, अपने बच्चों के पढ़ाई ओर रोजगार के लिए वोटें ही नहीं दिया तो आपका जीवन सुधरेगा कैसे?
यही बताने के लिए पैदल चल रहा हूँ। आपसे वोट नहीं मांग रहें, मेरे भाई, यदि आप अपने बच्चों की चिंता नहीं कीजिये तो, कोई दल, कोई नेता, आपके बच्चों की चिंता नहीं करने वाला। काहे करेगा.?


आज समस्या पढ़-लिख कर बेकार बैठा है-
15/04/2023
हमारे सामने 20-25 छोटे-छोटे बच्चे दौड़तें हैं, आधा से ज्यादा बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा नहीं, बच्चों के पर में चप्पल नहीं है। आज समस्या आधा पेट* खा कर सो रहा है, आज समस्या पढ़-लिख कर बेकार बैठा है, लेकिन आपके शरीर आपके दिमाग़ में जाति-धर्म घुस गया है कि आपको अपने बच्चे की तकलीफ भी नहीं दिखाई दे रही। आपको घर में बैठा बेरोजगार लड़का नहीं दिख रहा है, आपको यहाँ से बैठे-बैठे चाइना दिख रहा है। यहाँ से पुलवामा-पाकिस्तान दिख रहा है, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है वह क्या प्रशांत किशोर के लिये खड़ा होयेगा? कभी नहीं खड़ा होईयेगा, इसीलिए आपको हाथ जोड़ कर कहतें हैं, पहले अपने बच्चों के लिये खड़ा होइए। मेरे लिए नहीं, किसी दल के लिए नहीं, अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए खड़ा होइए।
एकबार संकल्प लीजिये कि, नेता के लिए नहीं, किसी जाति के लिए नहीं, किसी विचारधारा के लिये नहीं, एकबार अपने बच्चों के लिये वोट कीजिये, तभी बिहार सुधरेगा, नहीं तो इसको कोई नहीं सुधार सकता।

लोकसभा चुनाव 2024

प्रश्न : लोकसभा चुनाव 2024 में जन सुराज बिहार में 40 लोकसभा सीट पर क्या अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी ?
उत्तर : यह तो हम अभी नहीं बता सकतें, कारण की मेरी यह यात्रा अभी कितने दिन चलेगी, यह मेरे बस में नहीं, यदि मैं बीमार नहीं पड़ा तो भी अभी 1.5 साल लगेगा.. इससे पहले कोई दल बना के चुनाव लड़ना संभव नहीं होगा.. हाँ यदि आप जो जन-सुराज के संस्थापक सदस्य कोई उम्मीदवार खड़ा करता है और हमारी मदद मांगता है तो जरूर की जाएगी.. लेकिन अभी दल बना कर जल्दीबाज़ी में चुनाव लड़ने की मेरी कोई योजना नहीं है।

आपका आत्मविश्वास ही खतम हो गया है।
15/04/2023

बिहार की कोई ऐसी समस्या नहीं है जो आपको पता नहीं, कोई नेता, कोई विद्वान, कोई व्यक्ति आकर कोई ऐसी बात आपको बिहार के बारे में  बता सकतें जिसको आप जानते नहीं। सबको मालूम है कि यहाँ समस्या क्या है। सबलोग ये भी चाहतें हैं कि ये सुधार हो। लेकिन यह सुधर नहीं रहा। समस्या यह है कि यह सुधरेगा कैसे? और लोगों को उसका उपाय भी पता है। लोग रोज कह भी रहें हैं कि भईया जाति ख़तम हो जाएगा तो सुधर जाएगा। अच्छा आदमी हमलोग चुन देंगे तो सुधर जाएगा। लेकिन आप कर नहीं पा रहें, आपका आत्मविश्वास ही खतम हो गया है।

अभी जो जन सुराज के लिए जुड़ रहें हैं, वो समाज के लिए जुड़ रहें हैं  ऐसा मैं नहीं मानता, आपमें से बहुत अच्छी भावना रखने वाले लोग भी है, लेकिन ज्यादातर आदमी, मुझे इस बात का एहसास है, ज्यादातर आदमी इसलिए जुड़ रहा कि 10 साल जो काम को उसने सुना है, उसको मालूम है कि इस आदमी को ओर कुछ आये ना आये, चुनाव जिताने आता है।

इसलिए कुछ आदमी उत्साह में, कुछ आदमी बैमन से ही सही लेकिन डर से कि कहीं कुछ नया खड़ा न हो जाए तो हम छुट न जायँ। इस बात का हमको अहसास है, लोग बड़ी-बड़ी बात कहतें हैं, समाज सुधारने के लिए, बिहार सुधारने के लिए, देश सुधारने के लिए। भैया हर आदमी देख रहा है कि अपना अवसर हमको तुरंत मिल जाए, जल्दी आगे बढ़ जायँ। हमसे ज्यादा लोग घबराहट में है। हम कह रहें हैं अभी पैदल चलने में दो वर्ष लगेगा, पर आदमी लोग जुड़ता है हमसे आकर कहता है भईया इसको जल्दी कीजिये। कल हमको विधयाक का टिकट दे दीजिये, 🤑🤑 परसो मंत्री बना दीजिये। और

आप समाज सुधार की बात कर रहें हैं, तो यह पूरा अभियान है यह नेताओं को गाली देने का अभियान नहीं है। यह जन आंदोलन भी नहीं है।यहाँ सब आंदोलन करनेवाले लोग बैठें हैँ। ये अपने अनुभव से आपको बताएँगे, पर मैंने जो जीवन में सीखा है, मेरा आंदोलनों में कोई यकीन नहीं।

जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है।

15/04/2023

आप मानव सभ्यता के इतिहास को पढ़ियेगा तो पता चलेगा, पुरे विश्व के आंदोलनों के इतिहास में में एक फ़्रांस के आंदोलन को अपवाद के तौर पर आप हटा दीजिये, तो किसी आंदोलन से मानव सभ्यता का कोई सृजन नहीं हुआ है, आंदोलन से आप किसी को सत्ता से हटा सकतें हैं, आंदोलनों से आप बड़े से बड़े सल्तनत को उखाड़ सकतें हैं,

जैसा आपने देखा जेपी का आंदोलन हुआ, उससे आपने इंदिरा गाँधी की सत्ता को उखाड़ दिया। उससे नया भारत, नया बिहार नहीं बना। क्योंकि आंदोलन वह तेज़ हथियार है जिससे आप बड़े से बड़े वृक्ष को काट सकतें हैं, कितना भी तेज़ हथियार आपके पास हो, पौधे को पेड़ नहीं बना सकतें। सृजन का अपना एक समय है।

आप खेत में बीज डालतें हैं तो तीन महीने के बाद ही वो फसल होगा। इसलिये घबड़ाने से नहीं होने वाला, इसलिए मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं। दस साल के कामों के अनुभव से मैंने इसकी एक परिकल्पना की है, जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है। जन सुराज, समाज की मदद से एक नई व्यवस्था बनाने का प्रयास है।



बिहार के लोगों का दल हो। (14/04/2023)
194 Days हाजीपुर, लालगंज, जिला - वैशाली 
जन सुराज क्या है, यह दल नहीं है, यह चुनाव लड़ने का अभियान नहीं है, यह कोई जन-आंदोलन भी नहीं है। मेरा आंदोलनों में कोई यकीन नहीं। मानव सभ्यता के इतिहास को आप पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि फ्रांस के आंदोलन को अपवाद के रूप में आप छोड़ दें तो, किसी आंदोलनों से, किसी भी क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। आंदोलन और क्रांति, लोगों को सत्ता से हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिए नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है, जिससे बड़े से बड़े वृक्ष को आप काट सकतें हैं, लेकिन कितना भी तेज़ हथियार होगा, उससे पौधे से वृक्ष नहीं बनाया जा सकता।

जन सुराज, ना एक दल है ना कोई आंदोलन, यह समाज की मदद से एक नई राजनीति व्यवस्था बनाने का एक प्रयास है। जिसमें दल तो बने, लेकिन उसे समाज के सही लोग मिलकर बनायेँ। कोई प्रशांत किशोर, कोई जाति का दल न हो। वो बिहार के लोगों का दल हो। 14/04/2023

बिहार के गौरव को वापस लाना है: (14/04/2023)
इसका नाम है जन सुराज, प्रशांत किशोर का सुराज नहीं है। नेता का बेटा बढ़िया स्कूल में पढ़ रहा है, आपका बेटा BA भी करेगा तो चपरासी बानेगा..आपके बच्चा पढ़-लिख कर घर में बैठा है, शरीर पर कपड़ा नहीं है, और आप जाति, धर्म, पुलवामा में लगे हैं। आप अपने लिये नहीं अपने बच्चों के लिये कुछ कीजिये..

यदि दम है तो यह भी बोलिए कि हमको अपने जाति का ही नेता चाहिए नहीं तो बोलिए "आपको अपने बच्चों के लिए रोजगार चाहिए कि पांच किलो अनाज चाहिए? आपको जाति चाहिए कि बच्चों के लिए शिक्षा चाहिए? आपको समझ में आये तो ठीक है, नहीं तो आप ऐसे ही रहेंगे। बिहार में किसी आदमी की हिम्मत नहीं की पैदल चलकर आपको जगा सके, पिछले 190 दिनों से पैदल चल रहा हूँ।

अभी एक-डेढ़ साल और पैदल चलूँगा.. नारा लगाएं जय बिहार -जय जय बिहार। यह नारा बिहार के गौरव को वापस लाना है.. बिहार के बच्चे आपके हमारे घर के लोग जब काम करने जातें हैं तो बिहार के बहार हमें गाली दिया जाता है.. यह धरती देवताओँ की धरती है.. यह नारा गूंजना चाहिए.. पुरे देश को सुनना चाहिए.. जिसको मेरे साथ चलना है हाथ मिलाएं, नहीं तो सोचते रहें। 14/04/2023🌹👌


गाँव की समस्या : 13-04-2023
प्रश्न :
1. बिहार में जंगली जानवरों की समस्या है।
खेती ही हमारी मुख्य आमदनी है।
2. गन्ना की समस्या है.. गन्ना 90% रिजेक्ट (घटोली) में तौला जाता है.. हम लाचारी में गन्ना उसी मिल को बेचना पड़ता है।
3. तीसरी समस्या है यहाँ क्रॉप्शन की समस्या है।
आपकी सोच का मैं कायल हूँ.. अच्छे लोग को सामने लाने का प्रयास कर रहें हैँ, पर समाज तो खुद बहुत भ्रष्ट हो चूका हो।

जबाब : अच्छे लोग के साथ सही लोग भी लगा है। हम मजबूत आदमी को नहीं खोज रहें हैं, यदि 100 में 1 आदमी अच्छा है तो बिहार में डेढ़ लाख तो अच्छे आदमी आज भी बचे हैं न? पुरे बिहार को 1500 लोग ही चलाते हैं.. यदि मेरी यात्रा से 15000 अच्छे और सही आदमी मिल जाय तो हम सफल हो सकतें हैं।

पेड़ की टहनी की बात करने समस्या नहीं सुलझेगी, पेड़ के जड़ की बात करनी होगी। 
हमलोगों ने गुजरात के आदमी को 40 में 39 सीट दिए जिसको शुरू में हम जानते तक नहीं थे, फिर वह धर्म के नाम पर वोट माँगा, देने लगे, अब तो 100 में 50 आदमी मोदीजी को वोट देने के लिए पागल है, मानो इनका धर्म ही कोई लूट के ले जायेगा, यदि मोदी जी को वोट नहीं दिया तो, जो मोदी को वोट नहीं देना चाहते, उनको लालटेन की रोशनी में ही रास्ता दीखता है, कभी आपको राममंदिर दिखने लगता है, कभी पुलवामा, आप अपने बच्चों के साथ खड़े ही नहीं, आप हमारे साथ खड़े होंगे? किसको मुर्ख बना रहें हैं.. पहले अपने बच्चों के लिए तो वोट डालिये, वोट देने के समय आपको सब आ कर बोलेंगे, पाकिस्तान पिछवाड़े में आ गईल बाड़े, मोदीजी को वोट देवो.. सब भूल जाइए बच्चोवा के स्कूल को, शिक्षा के, रोजगार के। उद्योग गुजरात में लगी, और बिहार के लोग वहाँ मजदूरी कर के ख़ुश.. 
रही बात पदयात्रा के खर्च की बात, तो समझ लीजिये, पैसा लगता है, हेलीकाप्टर पर चलने में, भीड़ जुटाने में, विज्ञापन देने में, हम तो पैदल चल रहें हैँ, ना भीड़ जुटाने में मेरी कोई इच्छा है, ना ही कोई विज्ञापन देने में। जो लोग मुझे पैसा दे रहा है वह क्यों देगा मुझे पैसा? बिहार में बचा ही क्या जो लोग हमको पैसा देगा, हम उनका काम करतें हैं, उसका पैसा मुझे मिलता है।

आपको घर में बैठा बेरोजगार लड़का नहीं दिख रहा है, आपको यहाँ से बैठे-बैठे चाइना दिख रहा है। यहाँ से पुलवामा-पाकिस्तान दिख रहा है, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है वह क्या प्रशांत किशोर के लिये खड़ा होयेगा? 15/03/2023

बिहार में फैक्ट्री क्यूँ नहीं
जानते हैं बिहार में फैक्ट्री क्यूँ नहीं? मोदीजी चाहतें ही नहीं कि यहाँ फैक्ट्री लगे, देखते नहीं गुजरात में ही उनका सारा फोकस है.. आप यह बात न समझ रहें हैँ, ना समझने की कोशिश कर रहें हैं.. बिहार में विकास हो जाएगा तो सबसे सस्ता लेबर इनको मिलेगा कैसे? 10 हजार 12 हजार में आपके बच्चे गुजरात जा कर काम कर रहें हैं, और वहाँ से बना उत्पादन,  बिहार में बेचा जाता हैं। जो काम अंग्रेज कर रहें थे वही काम तो ये सब नेता कर रहें हैं, अंग्रेज भी यही करते थे, लेबर, कपास यहाँ का, फैक्ट्री विदेश में, कपड़ा बना कर फिर हमें ही बेचना.. आप ज़ब तक समस्या को जड़ से नहीं काटेंगे, कितना भी आप प्रयास कर ले बिहार की गरीबी कोई नहीं दूर कर सकता.. आप जिनको जाति, धर्म, पुलावामा के झांसे में वोट दे रहें हैं, आगे भी ऐसे ही देते रह जायेंगे। हर पांच साल में ये लोग कोई नया मुद्दा लाएंगे, 10-15 दिन उस मुद्दे में उलझायेंगे, फिर पांच साल आपकी समस्या गौण रह जाएगी.. आपने वोट ही जब दिया हिन्दू-मुस्लिम पर, जाति पर, राममंदिर पर तो आपको दूसरी उम्मीद करनी भी नहीं चाहिए। फैक्ट्री, स्कूल, शिक्षा, गली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य ज़ब आपकी समस्या ही नहीं तो इसमें नेता का क्या दोष? लोकसभा में वोट धर्म के नाम पर, पाकिस्तान के नाम पर मोदीजी वोट ले जायेंगे, विधानसभा में जाति, पाती.. नाती.. पोता.. तो खिचड़ी ही न मिलेगी बच्चों को शिक्षा तो मिलने से रही। स्कूल में खिचड़ी, कॉलेज में डिक्री.. फिर 10 हजार की नौकरी गुजरात में, बंगलौर, दिल्ली में, यही आपके भाग्य में लिखा है, तो नेता को गाली देने से क्या होगा?



शुक्रवार, 31 मार्च 2023

प्रशांत किशोर -जन सुराज अभियान

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर


जन सुराज़
जय बिहार - जय-जय बिहार 
1. ये जब तीनों रास्ते बंद है -शिक्षा, भूमि और पूंजी, तो आप कितना भी मेहनत कर लें बिहार को गरीबी से कोई नहीं निकाल सकता।
मैं बहुत संघर्ष से आगे बढ़ा हूँ, पहली बार 11वीँ में अंग्रेजी बोलना सीखा, इसके बाद से धीरे-धीरे अंग्रेजी बोलने लगा, अब जर्मनी, फ्रेंच भी बोलते हैं। कई भाषा सीखी... अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ.. नेताओं के जितने से आपका भाग्य नहीं बदलेगा, वो जीत कर चले जातें हैं, आपका कुछ नहीं बदलता, मैंने नेताओं को बहुतों को जिताया। अब 2022 में घोषणा की, कि में जन सुराज अभियान शुरू करूंगा.. यह ना कोई दल है न कोई आंदोलन नहीं, आंदोलन से सत्ता बदली जा सकता है, इससे आपका भविष्य नहीं बदलेगा... 
- प्रशांत किशोर 

2.  ज्यादातर लोग यह खोजते हैं कि उसमें कमी क्या है? - जिस किसी से भी आप मिलते हैं, तो समाज में ज्यादातर लोग यह खोजते हैं कि उसमें क्या कमी है। आप यह कोशिश किजिए, देखिये कि उस आदमी में अच्छी बात क्या है। मैंने इस चीज को बहूत सिरे से आत्मसात किया हुआ है। जिन लोगों के साथ मैंने काम किया, वे अच्छे थे, बुरे थे, कुछ न कुछ जरूर उन्होंने मुझे सिखाया, मेरे से श्रेष्ट रहें होंगे, तभी उनके साथ काम किया। लेकिन 10 साल काम कर के जो अनुभव किया, देखा कि नेताओं के और दलों के जीतने से समाज बदल जाएगा यह जरूरी नहीं। सत्ता का परिवर्तन हो जाए, और उससे व्यवस्था बदल जाए यह जरूरी नहीं।

जन सुराज युथ क्लब कैसे खोलें-

कोई आदमी आपको नेता नहीं बनाता, नेता आपको समाज बनाता है, आपको सबसे पहले अपने स्थर पर समाज से जुड़ना होगा..इसके लिए सबसे पहले अपने गाँव में आप कम से कम 30 युवाओं को जोड़ें, उसमें एक अध्यक्ष का चुनाव करें, एक टीम बनाये, फिर एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाये, जिसमें कम से कम 100-200 समाज के लोगों को जोडें, आप उन्हीं का नाम जोड़ें जो आपको या आपके टीम के सदस्य को जनता हो..ऐसे व्यक्ति को ना जोड़ें जो आपसे जुड़ना ही नहीं चाहता हो, फिर आपको जन-सुराज की तरफ से एक किट भेजी जाएगी. जिसमें एक केरमबोर्ड, संविधान की प्रस्तावना, गाँधीजी और बाबा अम्बेडकर की एक-एक तस्वीर किट के साथ भेजी जाएगी.. आप स्थानीय युवाओँ को जोड़ें.. इसी तरह से गाँव में सेना में भर्ती के लिए सुबह-सुबह दौड़ने वाले युवाओँ, खेलने वाले बच्चों को उनकी जरूरत के समान जैसे खेलने के समान या t-shirt आदि दें, उनको प्रोत्साहित करें, प्रतियोगिता का आयोजन करें.. ताकि वह आपसे जुड़ जाए, आपको अच्छे से जानने लगे .. इसके साथ-साथ ही हर क्लब में गरीब बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था भी करें.. जन सुराज आपको इसके लिए आर्थिक मदद भी करेगा।

3. मेरा राजनीति से दूर-दूर को कोई सबंन्ध नहीं रहा - 10 साल संयुक्त राष्ट्र संध में काम किया। 10-11 साल कुपोषण पर काम किया, पहले भारत में था, फिर अमेरिका, फिर अफ्रिका में पांच साल काम किया था। फिर मुझे वापस भारत में काम करने का अवसर मिला ।

4. पैदल चलने (यात्रा) से दो फायदेः पैदल चलने से दो फायदे है कि समाज की समस्या को आंखों से देखना और उसको अनुभव करना और कुछ ऐसी बात सिखना जो पहले से नहीं सुना ना देख हो।

5. चुनाव में जितने के लिए लोग सैकड़ों करोड़ देते हैं -  चुनाव जितने के लिए ये लोग मुझे बहुत पैसा देते थे, पांच-दस लाख नहीं, पांच-दस करोड़ नहीं चार हजार लड़के मेरे साथ काम करते थे । चुनाव में जीतने के लिए, लोग सैकड़ों करोड़ देते हैं । 

6. दल बनाने से पहले समाज को जोडें : मुझे लगा कि अब जीवन में यह काम नहीं करेगें। अब लोगों के जीवन बदलने का काम करें। ऐसा कुछ करें जिससे लोगों के जीवन में कुछ बदलाव करें।  मेरे साथ यह दुविधा होती थी कि चुनाव जितने के बाद नेता अपने सारे वादे भूल जाते थे। मेरा दस साल का अनुभव रहा है कि दल बनाने से पहले समाज को जोडें, पहले लोगों को जोड़ें, फिर उनसे समझे कि दल कैसे बनाए ।

मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं- प्रशांत किशोर 11/04/2023

मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं, मानव सभ्यता के इतिहास आप पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा, इससे पूरी दुनिया में मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। फ्रांस की क्रांति को अपवाद के रूप में छोड़ दें, आंदोलन या क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ है। आंदोलन और क्रांति लोगों को  सत्ता हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिये नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है जिससे वृक्ष तो काटा जा सकता है, पौधा नहीं रोपा जा सकता।

7. देश में मोतियाबिंद हो गया : मोतियाबिंद में लोगों को पाकिस्तान, हिन्दू-मुस्लिम दिखता है, घर का चूल्हा, गैस, पेट्रोल महंगा हो गया नहीं दीखता.. अब सबसे पहले लोगों का मोतियाबिंद का ईलाज जरूरी है।

8. मेरे पैदल चलने का कारण : मेरे पैदल चलने से आपको पक्की सड़क नहीं मिलेगी, आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी, आपकी ग़रीबी दूर नहीं होगी, आपकी नाली-गली ना बनी, राशन कार्ड में राव नाम ना जुड़ाई, इंदिरा आवास ना मिली। आपके बच्चों की पढ़ाई ठीक नहीं होगी, रोजगार नहीं मिलेगा।

तो हम पैदल क्यों चल रहे? पैदल इस लिए चल रहें हैँ कि जिस समाज की, लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहतें हैँ, जाकर एक बार अपनी आंख से देखें कि आप किस कष्ट में ज़ी रहें हैं। आपके बच्चों को कितनी तकलीफ है। जब आदमी जानेगा ही नहीं कि आपको दिक्क़त क्या है, तो उसका उपाय क्या निकलेगा?

9. पुलवामा, जाति-धर्म, याद रहता है.. (18/01/2022)

लडके के पढ़ने की कोई व्यवस्था नहीं, काम नहीं, किसान के खेत में पानी नहीं है, फसल का दाम नहीं है, सड़क नहीं, लोगों को काम नहीं, अनाज नहीं मिल रहा, लोगों को आवास नहीं मिल रहा, कोई सुविधा नहीं है। यह पांच वर्ष आप बहुत चर्चा करतें हैं, पर चुनाव के दिन आप को कुछ याद नहीं रहता, अगला-पिछड़ा, हिन्दू-मुस्लिम, पुलवामा, जाति-धर्म, याद रहता है.. आपको अपने बच्चे का भविष्य भी याद नहीं रहता..

लोकतंत्र की ताकत

आप ने वोट दिया पुलवामा, पाकिस्तान के नाम पर तो आपकी गली-नाली ठीक कैसे होगी, सबकोई बोल रहा था ऊपर देखो ऊपर, मोदीजी को देखो, तो अब नीचे काहे को देखन तानी? मोदीजी के 56 इंची के सीना के वोट देई तो टीवी पर मोदीजी ना दिखाई तो रइवा की समस्या दिखाई? लोकतंत्र की यह ताकत है जिस चीज पर आप वोट डालेंगे आपको मिलेगी.. आपने राममंदिर पर वोट किया, आपको स्कूल तो नहीं मिलेगा, राममंदिर मिल गया।

नौ वर्ष से मोदीजी प्रधानमंत्री हैं -

बिहार के लोगों ने मोदी जी को 40 में 39 सीट दिए, 9 साल में हो गए मोदी जी को, एक घंटा भी बिहार के लिये समय दिए तो बतायें? आपने वोट दिया हिन्दू-मुस्लिम के जाल में फंस कर, फूलवामा के धोखे में आ कर, अच्छे दिन का सपना देख कर तो टीवी खोलेंगे तो यही सब ने दिखेगा? आपकी समस्या पर विचार करने का समय किसके पास है?


10. बिहार में पूरी शिक्षा व्यवस्था ही ध्वस्त है, (28/01/2023) स्कूल में खचड़ी बंट रहा है, कॉलेज में डिक्री बंट रहा है.. शिक्षा है ही नहीं.. मोटे तौर पर एक उधारण के रूप में एक तिहाई फण्ड नेतरहाट जैसी स्कूल खोल दी जाय तो पूरी व्यवस्था 10 साल में सुधर जाएगी.. पंजाब के लोगों ने खुद का विकास किया, बिहार की जमीन, पंजाब से ज्यादा उपजाऊ है, बिहार के किसान भी सम्पन्न हो सकतें हैं, यहाँ भी केरल जैसी शिक्षा व्यवस्थ हो सकती है.. यहाँ भी कल-कारखाने फल-फूल सकतें हैं। इसके लिये हमें अच्छे आदमी की जरूरत होगी, जो बिहार को बिहार बना सके..

11. घी से दीया जल सकता, घी से खाना नहीं बन सकता, (29/01/2023) खाना तो मंद लकड़ी की आंच से बनता है.. पद यात्रा तो पहला बुलेट है, अभी तो 6 में एक ही बुलेट चला है, इसी में सब दल घबड़ा रहा है, बीजेपी सोचती है महागठबंधन का वोट कटेगा, महागठबंधन सोचता है भाजपा का वोट कटी, उनको पता ही नहीं एक साल में इतना बड़ा जलजला पैदा कर दूंगा कि सब साफ हो जाएगा..- प्रशांत किशोर.

12. आप खुद ठगे जाने के लिए तैयार बैठे हैँ-

(14/02/2023)

जिस राज्य को, जिस समाज को हम सुधारना चाहतें हैं कि अपने आँख से देखें कि आपकी समस्या क्या है। ज़ब पदयात्रा समाप्त होगी तब हम बताएँगे कि आपकी समस्या का समाधान क्या है। आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा कैसे मिलेगी, बिहार के किसान की आमदनी पंजाब के किसानों के बराबर कैसे हो। हमारे युवाओं को कैसे रोजगार दिया जा सके। लेकिन वोट के दिन आपको जात, धर्म, हिन्दू-मुस्लिम, पुलवामा के नाम वोट देने लग जाते हैं। या फिर लालू के डर से बीजेपी को वोट देने लग जाते हैं. कि फिर लूटपाट न शुरू हो जाए.. मुसलमान हैं जो बीजेपी को वोट नहीं देंगे तो चलो लालू को वोट डाल दें... नेता को यह चिंता है कि कैसे दंगा हो जाए तो वोट हमको मिल जाए। यदि आप अपने बच्चों की चिंता नहीं करेंगे तो आपके बच्चे का चिंता कौन करेगा? आप तो जात का, धर्म का झंडा उठा रखें हैं। आप खुद ठगे जाने के लिए तैयार बैठे हैँ, तो नेता तो ठगने को तैयार ही बैठा है, आज ज़ब गाँव में चल रहा हूँ तो देखता हूँ गाँव में बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा तक नहीं है। 

13. मेरा इस जन स्वराज का उद्देश्य (16/12/2022) : 2 अक्टूबर 2022 से पैदल चल कर आज 68 दिन पूरा हो गया, पुरे बिहार में एक-डेढ़ साल और लगेगा। इस यात्रा को सिर्फ चलते रहने का अभियान नहीं, सही लोगों की पहचान की जाय, हर पंचयात की समस्या का संकलन करना तथा उसकी अगले 10 साल की योजना बनाई जाएगी।

समाज को मथ कर एक ऐसा सगठन बनाना जो कि यह तय करे कि वह इस अभियान का संस्थापक सदस्य बनाना चाहता हो।

🙏🏻एक दार्शनिक था प्लेटो-

बिहार के हर लोग को स्वार्थी बनने की जरुरत है, अपने बच्चों के लिए स्वार्थी बनिए। ये लोग कभी कहतें हैं कि आपका बच्चा सी. एम बानेगा? कोई बोलता है, जाति पर वोट दो, कोई बोल रहा धर्म पर वोट दो। ग्रीस में एक दार्शनिक था प्लेटो, उसने लिखा था कि आप राजनीति में भागीदारी नहीं लेंगे तो मुर्ख आपका नेता बानेगा, और वह अपने बुद्धि से आपको नचाएगा।

14.मेरी पदयात्रा का मकशद: (17/12/2022): यह है कि समाज के मध्य से ऐसे लोगों को ढूंढ निकाला जाय, जो गाँधी विचारधारा को पुनर्जवित कर सके। विधायक का लड़का ही विधायक नहीं बानेगा, इस व्यवस्था को हम आपकी मदद से बदल देंगे। हम आपको जीता कर लाएंगे... तभी बनेगी जनता की सरकार, इसका नाम है जन स्वराज, इसके बैनर पर गाँधी ज़ी की फोटो लगी है.. हम आपका वोट लेने नहीं आये हैँ, यदि बिहार में कोई जीतेगा तो हम ही जीतेंगे, आज आपको निमत्रण देने आया हूँ.. जो दूर से देखना चाहतें हैं वह अपना वोट उसे ही देते रहें.. आप जिस भाजपा को हराना चाहतें हैं वह तो झाग है, असल तो आरएसएस की विचारधारा है.. बीजेपी को हराना है तो आरएसएस की विचारधारा पर चोट देना होगा.. जो गाँधी ज़ी की विचारधारा से पहले भी परास्त हुआ, आज भी होगा...

15. समस्या का समाधान विकास नहीं है: (17/02/2023)

हमने संकल्प किया है पैदल चल कर जायेंगे, पदयात्रा का पहला उद्देश्य है, बिहार के हर पंचायत की अलग योजना बनाएंगे.. समस्या का समाधान विकास नहीं है, हम उस योजना में हम ये बताएँगे कि आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा, रोजगार, किसान की समस्या पर भी काम करेंगे। हम समस्या नहीं गिनाएँगे, उसका निदान कैसे होगा, यह भी बताएँगे।

16. हम आप से पूछते हैँ राष्ट्रवाद के नाम पर वोट देंगे तो आपकी चिंता कौन करेगा? (02/03/2023) -तमिलनाडु आज देश में सबसे धनी राज्य है, मोदीजी ने तमिलनाडु बनाया? उसकी पार्टी तो वहाँ सरकार भी नहीं, नौ वर्ष में मोदी ने बिहार के विकास के लिये एक दिन भी विचार किया है कि बिहार की ग़रीबी कैसे दूर होगी? बुलेट ट्रैन के आने से बिहार का क्या विकास होगा? ट्रैन तो गुजरात के लिये बनेगी, आपको यह समझना होगा विकास के नाम पर वोट आपसे लेंगे, विकास गुजरात का होगा, तो आपका लड़का सूरत में जाकर मजदूर नहीं बनेगा तो क्या मालिक बनेगा? सारा विकास तो उनके लिये है। हम उछल कर वोट देने जातें हैं बुलेट ट्रैन आएगी, यहाँ तो पैसेंजर ट्रेन का भी पता नहीं है.. हम सबको इसका रास्ता खोजना होगा। हमें अपने बच्चों के लिये वोट करना होगा.. कोई नेता आये, जाय.. 


17. बिहार की गरीबी कैसे दूर होगी? (03/03/2023) : हम यह सोच रहें हैं कि हमलोगों की ग़रीबी दूर करने का हमारे पास सिर्फ तीन ही रास्ता है, शिक्षा, जमीन, या पैसा यह तीनों ही बिहार में नहीं है, इसलिए हम मजदूर बन गए, हर साल 40 हजार करोड़ सरकार खर्चा करती है हमारी पढ़ाई पर और 40 लकड़ा को भी नहीं पढ़ा पाती... बिहार में 100 में 5 आदमी ऐसे हैं जो खेती करतें हैं बाकी सब मजदूरी.. तीसरी बात है पैसा, बिहार में हर आदमी की असौतन 35 हजार रुपया सालाना आय, तो वो खाएगा क्या, बचाएगा क्या?, बिहार को ग़रीबी से निकलने के लिये, अच्छी शिक्षा, जमीन, पैसा ये सभी तभी आ सकता है जब बिहार में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था हो।

18. जन सुराज ना तो कोई दल है, ना कोई आंदोलन है। (05/03/2023):

जन सुराज ना तो कोई दल है, ना कोई आंदोलन है। यह एक प्रयास है..जो समाज के मदद से एक नई राजनीति व्यवस्था बनाई जाय, जिसमें दल तो बने, परन्तु जो समाज के सहयोग से सही लोगों का हो।

कुछ लोग कहतें हैं रोड जरूर अच्छा हो गया, पर 1200 गाँव पैदल चल कर यह बोल सकता हूँ, गाँवों में सड़क आज भी एक भी सड़क नहीं बनी है।

हम एक साल से निकले हैं, जबकि बिहार के अधिकांश परिवार ऐसे हैं कि साल-साल भर अपने बच्चों का मुँह भी नहीं देख पाते।

100 बच्चों में 100 बच्चों के शरीर पर आज भी कपड़ा नहीं.. बिहार में इतनी ग़रीबी है क्यों? पिछली सरकार क़ो दोष दे सकतें हैं.. बिहार में यह ढलान 1967 के बाद से है।1967- 1990 के बीच कुल 25 सरकार बनी, दो महीने, तीन महीने, छह महीने, कौन मुख्यमंत्री बने, कौन नहीं.. फिर लालूजी 1990 में आये, लेकिन 1990 से पहले ही बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज बन गया.. 1967 से 1990 के 23 साल के कालखंड में बिहार में अस्थिरता बनी रही। कुल 25 सरकार आई और गई, आपको जयप्रकाश नारायण का आंदोलन याद है, बिहार ने छः दिन का भी मुख़्यमंत्री देखा है.. दो महीने, तीन महीने, नौ महीने, बिहार के विकास क़ो पीछे किया और लोग इसी चक्कर में लगे रहे अब कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन अगला बनाना चाहता है।

लालू जी का काल देखे, उनका अपना नज़रिया था कि सामाजिक न्याय के जरिये बिहार क़ो सुधारा जा सकता है, जो लोग बिहार के जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं, इनको यह मानने में कुरेज नहीं होना चाहिए कि शुरुआती समय में समाज के वंचित लोगों क़ो कुछ आवाज़ मिली, इसे मानने में कोई दिक्कत नहीं है।

फिर आया नीतीश जी का राज आया नीतीश जी के राज क़ो दो काल में बाँट देते हैं.. नीतीश जी का अच्छा कार्यकाल  सुशासन बाबू, फिर मोदी जी आये और फिर बिहार में अराजकता का कालखंड चला.. नीतीश कुमार वही है.. इस बात क़ो समझिये, बिहार की यह समस्या एक कालखंड की नहीं, मोदी जी के उदय के साथ बिहार में राजनीति अस्थिरता फिर से वापस आ गई।  मैं सही गलत की बात नहीं कर रहा, यह बता रहा हूँ कि कैसे राजनीति अस्थिरता से बिहार का विकास नहीं हो सकता या तो हम बिहार की समस्या क़ो समझना ही नहीं चाहतें..।

मोदी जी के उदय के साथ बिहार में राजनीति अस्थिरता फिर से वापस आ गई। मैं सही गलत की बात नहीं कर रहा, यह बता रहा हूँ कि कैसे राजनीति अस्थिरता से बिहार का विकास नहीं हो सकता या तो हम बिहार की समस्या क़ो समझना ही नहीं चाहतें..।

19. जनता की सरकार बनाये। (09/03/2023)

आपको लगता है नेता ठगता है, आप वोट देते हैँ हिन्दूस्थान-पाकिस्तान पर, वोट देंगे पांच किलो अनाज पर, आपने वोट दिया है राम मंदिर पर, आपने वोट बेचा पांच किलो अनाज में तो नेता आपके बच्चों की शिक्षा पर काम करेगा कि हिन्द-मुस्लिम करेगा। मोदी जी बोले पाकिस्तान के सबक सिखाये, चलो भाजपा को वोट दिए, फूलवामा हो गयेल.. और मुसलमान बोलते हैँ चाहे जो हो भाजपा को वोट नहीं दे तो चलो लालटेन को दियल जाय..

नेता आता है तो बोलता है देश को देखिये, हिन्दू को बचाना है, हम कहतें हैँ आप स्वार्थी बनिए, अपने बच्चों के लिए वोट दीजिये.. 14 में हल्ला होवा था, मोदी आएंगे तो देश सुधर जाय ? 

आपको खुला निमंत्रण दे रहा हूँ, नौ वर्ष में मोदी ने क्या किया, क्या नहीं किया, पर मुझे बतायेँ बिहार के लिये मोदीजी ने एक घंटा भी बैठक किया कि कैसे बिहार में सुधार हो? आप मुझे बता दें, कल से मोदीजी का झंडा लेकर घूमने लगूंगा।

मैं दल बनाने नहीं आया हूँ, गाँधी जी के आदर्श पर हमको चलना होगा, हर उस सही आदमी को खोज के निकालिये जो आपके बच्चों के लिये सोचे..

बिहार से हर साल दो करोड़ लड़के पुरे भारत में 10-12 हजार के लिये नौकरी के लिए प्रदेश, दूसरे राज्यों में भेंढ-बकरी की तरह ट्रैन में लदकर जातें हैं, बुलेट ट्रैन में चढ़ने के लिए पैसा ही नहीं इनके पास.. तो बुलेट ट्रैन के लिए वोट करने से क्या मिलेगा आपको? ट्रैन तो चली गुजरात के लोगों के लिए, वोट देवतानी मोदीजी को बिहार में। 

लोकतंत्र में जनता हनुमान है, एक बार आप खड़े हो गए तो कोई आपको नहीं हरा सकेगा.. समाज जिसे चून कर हमें देगा, हम उसके ऊपर पूरी ताकत लगा देंगे.. जनता की सरकार बनाये।

आपका वोट मागने तो सब आते हैं, हम आपको न्योता देने आये हैं, निमंत्रण देने आये हैं। यह व्यवस्था जो मैं बना रहा हूँ, आप इसमें भागीदार बनिये, इसके हिस्सेदार बनिए, इसके मालिक बनिए। इसमें अपने बच्चों को भी जोड़िये, यह वह पौधा है, इसको बड़ा कीजियेगा, इसको सिंचियेगा, तो बड़ा होकर यही आपको फल भी देगा और आपको छाया भी देगा। (22/03/2023)

20. आप और हम सब पांच साल बैठ कर बात करतें हैं, (27/03/2023) लेकिन ज़ब वोट होता है सब बात भूल जातें हैं, बस चार बात ही याद रहता है, जात-पात, जो जात-पात से बचा वह धर्म के नाम पर फंस जाता है, या फिर ये लालटेन वाला है, मोदीजी की भाजपा, इसको दो या उसको दो, नीतीश जी तो ना इधर है ना उधर, चुनाव के बाद बस कुर्सी चाई, चौथा बचा मुसलमान भाई, जो बोलेगा कुछ भी हो मोदीजी को वोट नहीं देगें, तो बचा कौन? लालटेन तो वोट लालटेन को डाल दिया, नेता किसी को नहीं ठगता, ठगता तो एक बार, दो बार लेकिन 70 साल से जो ठगा रहा है यह नेता का दोष नहीं, आपका खुद का दोष है.. आप वोट डालते हैँ  बुलेट ट्रैन का नाम सुनकर, पुलवामा के नाम पर, हिन्दू -मुस्लिम के नाम पर, आप विकास के नाम पर वोट डालते हैं, विकास हो रहा गुजरात में, तो आपका बच्चा गुजरात जाकर नौकरी ही करेगा न? मालिक नहीं बनेगा। बिहार यदि अलग देश होता तो दुनिया का 6ठा देश होता है सबसे बड़ी गरीबी का.. आप बोलते बिहार में विकास हो, अच्छी शिक्षा हो, आपने कभी शिक्षा के नाम कभी वोट दिए हैं, बिहार में वोट के समय हिन्दू-मुस्लिम, जात-पात पर ही वोट डालना है तो नेता आपको 5दिन यही बात करेगा, और आपका वोट लेकर गुजरात का विकास करेगा कि बिहार का? आपका बेटा मजदूर नहीं बानेगा तो कलेक्टर बनेगा?


21. जिसको आपने चुना है, जो बोया है, वो आप काट रहें हैं। -प्रशांत किशोर, 08/04/2023-

अब आदमी को नया बीमारी है, कहतें हैँ, विकल्प ही नहीं है क्या करें?

तो किसने मना किया था विकल्प बनाने से, तो जबाब था, आप बनायें, हम साथ देंगे.. अच्छा आप पीछे से सटक लेंगे, हम सूली पर चढ़ जायँ?

अरे जिस समाज में लोग अपने बच्चों के साथ नहीं खड़े हैँ, आप हमारे साथ खड़ा होने की बात करते हैँ? किसको मुर्ख बना रहें हैं आप?

हम ज़ब यात्रा में निकले तो देखा, सड़क पर बच्चों के शरीर पर कपड़ा नहीं, पांव में हवाई चप्पल नहीं, शिक्षा नहीं, रोजगार नहीं, मजदूरों को काम नहीं, आपके पास धन भी नहीं, वोट देते हैं जाति और धर्म के नाम पर, आपके दिमाग़ में जाति भरा है, धर्म चाहिए, पुलवामा चाहिए, हिंदुस्तान-पाकिस्तान चाहिए, राम मंदिर चाहिए, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है, वह प्रशांत किशोर के साथ खड़ा होगा? किसको वेयकूफ़ बना रहें हैं?

22. बिहार में भूमिहीनों की संख्या सबसे अधिक है। (09/04/2023) 100 में 60 के पास जमीन नहीं है, 40 में भी 35 के पास 2 बीघा से कम जमीन है.. खेती पेट पालने के लिये कर रहा है, पैसा जमाने के लिए नहीं, पेट ही नहीं पल रहा तो जमायेगा कैसे? 100 में 5 आदमी ऐसा है जो खेती कर के सुखी है, बाकी आदमी या तो पेट भर रहा है या मजदूरी कर रहा है।

आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।

23. अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ- (11/04/2023)

आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।

आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।

मैं बहुत संघर्ष से आगे बढ़ा हूँ, पहली बार 11वीँ में अंग्रेजी बोलना सीखे, इसके बाद अंग्रेजी बोलते हैं, जर्मनी, फ्रेंच बोलते हैं। कई भाषा भी सीखी... अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ.. नेताओं के जितने से आपका भाग्य नहीं बदलेगा, वो जीत कर चले जातें हैं, आपका कुछ नहीं बदलता, मैंने नेताओं को बहुतों को जिताया।

नेता ठग नहीं 

आप बोलते हैं नेता आपको ठग रहा है, मैं कहता हूँ कोई नेता आपको नहीं ठगा, नेता यदि ठगता तो एक बार ठगता, दो बार ठगता, यहाँ तो आप 50 साल से ठगा रहें हैँ। 
आप वोट जाति के नाम पर डाले, तो घर-घर में जाति की चर्चा हो ही रही है.. 
आप वोट दिए हैं राम मंदिर के नाम पर तो आयोध्या में राम मंदिर बन ही रहा है... 
आप वोट दे रहें हैं पांच किलो अनाज पर तो बिहार में कितना भी भ्रष्टाचार हो, चार किलो अनाज तो मिल ही रहा है, 
आप वोट डाले बिजली पर आपको बिजली मिल ही रही है, चाहे आपके पास 4 हजार -6 हजार का बिल आने लगा हो। 
आपने अपने बच्चों के लिए वोट ही नहीं डाला तो इसमें नेता का क्या दोष, मंदिर बनाने का वोट डाले मंदिर बना दिया, स्कूल बनाने के लिए वोट डालते तब न बोलते नेता हमनी के ठग लिन। मुखिया के चुनाव में ₹500/-  रूपये आप लेकर वोट डालते हैं, फिर बोलते हैं मुखिया चोर है.. आपको पैसा दिया वह उसको वसूलेगा की नहीं?

2 मई 2022 घोषणा की, इस दिन से शुरूआत की जनसुराज की। इसकी पहली यात्रा आपके जिले वैशाली से शुरू की, यह कोई चुनाव लड़ने का भी आंदोलन नहीं। जन आंदोलन भी नहीं।

मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं, मानव सभ्यता के इतिहास आप पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा, इससे पूरी दुनिया में मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। फ्रांस की क्रांति को अपवाद के रूप में छोड़ दें, आंदोलन या क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ है। आंदोलन और क्रांति लोगों को सत्ता से हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिये नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है जिससे वृक्ष तो काटा जा सकता है, पौधा नहीं रोपा जा सकता।

चुनाव जितना बड़ी बात नहीं, चुनाव जीत कर लोगों के कसौटी पर खरे उतरें यह बड़ी बात है।

बिहार की दुर्दशा इस लिए है क्योंकि बिहार के लोग अपनी समस्या के ऊपर वोट नहीं डालते।.. बिहार में पढ़ाई का कोई स्तर है ही नहीं स्कूल में खिचड़ी बंट रही है और कॉलेज में तीन वर्ष की डिक्री पांच साल में मिल रही है। बच्चा पहली बार कॉलेज जाता है नाम लिखाने, दूसरी बार एग्जाम देने, तीसरी बार डिक्री लेने जाता है.. बच्चा पढ़ेगा ही नहीं तो मजदूर नहीं बनेगा तो क्लेक्टर बनेगा ?

खेती भी हमारे यहाँ कमाने वाली नहीं, खाने वाली खेती बन चुकी है.आप खेत में वही उपजाते जिससे आप बच्चों का पेट भर सके. शिक्षा है नहीं, खेती है नहीं, तीसरा रास्ता है पूंजी, आपके पास पूंजी है ही नहीं तो काम करेंगे कैसे.?

कुछ लोग नया नया कहने लगे हैं कि यहाँ समुद्र नहीं तो कोई उनसे पूछे कि तेलंगाना, पंजाब में कौन सा समुन्दर है? यह बता दीजिये। TCS, इन्फॉफीस की ऑफिस आने से किस समुद्र, खनीज की जरुरत है? एक ऑफिस पांच लाख लोग क़ो रोजगार देती है। आप अराजकता क़ो कारण बताते हैं। यह ग़रीबी के कारण है, यहाँ शिक्षा, खेती, पूंजी तीनों छीन ली गई  है। जब तक अच्छी शिक्षा, अच्छी खेती, पूंजी में सुधार नहीं होगा बिहार का विकास नहीं हो सकता।

बिहार में उद्योग नहीं होने की सबसे बड़ी समस्या है पूंजी। बिहार में प्रति व्यक्ति आय है 35 हजार, देश की प्रति व्यक्ति आय है 1लाख 45 हजार। बैंक में आप जमा करतें हैं उसका 30% हिस्सा यहाँ वापस मिलता है इसे CD रेसियो कहतें हैं.. जबकि दूसरे राज्य में 70 से 90% है।

अब 2022 में घोषणा की, कि में जन सुराज अभियान शुरू करूंगा.. यह ना कोई दल है न कोई आंदोलन नहीं, आंदोलन से सत्ता बदली जा सकता है, इससे आपका भविष्य नहीं बदलेगा...

आपको अपना भविष्य बदलना है तो आपको आगे आना होगा.. जिस रास्ते से आपने 50 साल अपने जीवन को नहीं सुधार सके, यही रास्ते में आगे भी चले तो, आगे भी 50 साल नहीं सुधार पाएंगे। गरीबी को दूर करने का दुनियां में तीन ही रास्ते हैँ, शिक्षा, खेती, पूंजी, जो बिहार में तीनों नहीं है।

24. अपने आत्मसम्मान को जगाये जय जय बिहार: (12-04-2022)

दस साल जिस जिस नेता, दल का हाथ पकड़ा था, उसे हारने नहीं दिया, इसबार संकल्प ले कर आये हैं, किसी दल या नेता का हाथ नहीं पकड़ा है, आपका हाथ पकड़ा है, आप भरोसा रखिए आपको भी हारने नहीं दूंगा। पद यात्रा तो पहला बुलेट है, अभी तो छः बुलेट है, पहला ही दागा है उसी में इतना हलचल, आप नये बिहार का संकल्प लीजिए..

जय बिहार- जय जय बिहार....।

इस नारे का अर्थ ऐसे नहीं लगा रहा हूँ.. बिहार शब्द गाली बन गई है देश में, हम लोगों की बेवकूफ़ी (बेवक़ूफ़ بےوقوف) से पुरे देश में हमारे बच्चे मजदूरी कर रहें हैँ। इसलिये कह रहा हूँ, अपने आत्मसम्मान को जगाइये नारा लगाएइये जय बिहार -जय जय बिहार।

जन सुराज के तीन महत्वपूर्ण आधार :

1. सही लोग 2. सही सोच  और 3. सामूहिक प्रयास।

पदयात्रा के तीन मुख्य उद्देश्य :

1. समाज  की मदद से जमीनी स्थर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतान्त्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना।

2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नागरों और पंचायतों की प्राथमिकताओं को सुचिबद्ध कर उसके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना।

3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझाव के आधार पर अगले 15 साल का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना।


आगे भी जारी. जय जय बिहार-2




रविवार, 23 अक्तूबर 2022

गुजरात चुनाव-2022 -शंभु चौधरी

 गुजरात चुनाव-2022 -शंभु चौधरी


आगामी माह  गुजरात हिमाचल प्रदेश  की विधान सभाओं के चुनाव होने जा रहें हैं। इस बार के चुनाव में इन दोनों राज्यों में चुनाव त्रिकोणीय  होने  संभावना प्रवल बनती जा रही है। मेरे इस लेख को गुजरात चुनाव तक केंद्रित कर लिखने का प्रयास कर रहा हूँ।  जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बंगाल में वामपंथी  दलों को शासन 35 साल चलां, लोगों को लगता था कि इनकी जड़ें इतनी मजबूत है कि इसे बंगाल से उखाड़ फैंकना नामुमकिन ही नहीं असंभव भी प्रतित होता है। इसके बावजूद ममता के नये संगठन ने उसे मिट्टी में मिला दिया। आज बंगाल में वामपंथियों को राजनीतिक रूप से नई जमीन तलाशनी पड़ रही है।

वामपंथियों की तरह ही गुजरात में भी पिछले 27 सालों से मोदी समूह (भाजपा) का एक छत्र राज्य कायम है। पिछले चुनाव में कांग्रस पार्टी ने पाटीदारों के वोट शेयर प्राप्त करने के बाद भी भाजपा से पिछड़ गई और कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायक साबीआई के खौफ से डर कर भाजपा में चले गए।  आज इस बात को लिखने में जरा भी हिचक नहीं, भाजपा पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से ना तो चुनाव लड़ रही है ना ही लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता प्राप्त कर रही है। जिसके कई उदाहरण हमारे सामने है। विधायकों को तौड़ना, उन्हें विभिन्न एजेंसियों से धमका कर खरीदना, जिस दल के साथ समझौता करती है उसे तौड़ना, उसके संगठन को कमजोर करना और अपनी सत्ता की भूख मिटाना इस राजनीति दल का उद्देश्य बन चुका है। बिहार व महाराष्ट्र इसके ताजा उदाहरण है। दिल्ली व पंजाब में भी इसकी कोशिश की गई थी तो सफल नहीं हो सकी ।

गुजरात विधानसभा की 182 सीटों का चुनाव अगले माह होने जा रहा है यदि मोदी जी के गुजरात में या गुजरात चुनाव के संदर्भ में दिये गऐ ताजा बयानों का ही जिक्र करें तो उनके अनुसार गुजरात में कोई बाहरी ताकतें रेवड़ी बांट कर राज्य की अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगी । इस बयान को गुजरात की जनसंख्या पर नजर डाल के देखतें हैं तो मैं पाता हूँ कि गुजरात में 90 प्रतिशत आबादी जिसमें ओबीसी 48 प्रतिशत, आदिवासी समाज 14.75 प्रतिशत, पाटीदार समाज 11 प्रतिशत,  दलित समाज 7 प्रतिशत, मुस्लीम समाज 9 प्रतिशत है । शेष 10.25 प्रतिशत  में  क्षत्रिय, ब्राह्मण समाज, व बनिया वर्ग के अलाव संपन्न वर्ग के लोग आते हैं।  यदि इन मतदाताओं को आर्थिक रूप से बांट दिया जाय तो गुजरात में 70 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के अंदर गुजर-बसर करती है। वहीं 20 से 25 प्रतिशत मतदाता मध्यम श्रेणी और शेष 5 प्रतिशत उच्च वर्ग में आतें हैं। उच्च वर्ग को तेल व गैस के दाम प्रभावित नहीं करते ना ही उनके घरों में होने वाली बिजली के बिल से उन्हें कुछ भी फर्क पड़ता है। इनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं। इन्हें अच्छी चिकित्सा भी प्राप्त है। जबकि मध्यम वर्ग का एक तबका इससे प्रभावित होते हुऐ भी मोदी जी के हिन्दूवादी कार्ड का शिकार बन चुका है। मोदी के गुजरात मॉडल में शेष 70 प्रतिशत लोगों के लिए कोई सुविधा पिछले 27 सालों से मोदी की भाजपा सरकार ने नहीं दी, ऊपर से उनकी आमदनी कम कर दी गई, नौकरी से निकाल दिए गए या इनकी आय इतनी नहीं कि किसी भी प्रकार से परिवार का दैनिक खर्च वहन कर सके।

यह असंतोष पिछले चुनाव में साफ देखा जा रहा था। अब इन पांच सालों में स्थिति और खराब ही हुई है। इस बार के 15वीं विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी जिसका चुनाव चिन्ह झाड़ू है, ने गुजरात चुनाव में नये रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज की है। शुरूआती दौर में तो लगता था कि आम आदमी पार्टी की स्थिति सामान्य राजनीतिक दलों की तरह है जो चुनाव के समय सक्रिय दिखती है और चुनाव के बाद उस दल का कोई अता-पता नहीं होता। परन्तु आम आदमी पार्टी  ने जिस प्रकार पंजाब में जमी-जमाई राजनीतिक पार्टियों का सुपड़ा साफ कर दिया, दिल्ली में मोदी के प्रचंड बहुमत को घूल चटा दी, से लगता है गुजरात में इसबार के विधानसभा चुनाव में  कुछ नया हो सकता है। विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों की बात से यह तो अंदाज हो चुका कि गुजरात में एक तरफ कांग्रेस के मत प्रतिशत में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है वहीं आम आदमी पार्टी, भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाती सफल दिख रही है। जिस रफ्तार से आम आदमी पार्टी गुजरात की पहली पसंद होती जा रही है इससे मोदी के खेमें में हलचल तो पैदा हो ही चुकी है। 27 सालों से जिस शिक्षा की बात मोदी जी ने कभी नहीं कि इस बार उनको शिक्षा मॉडल के डेमो देना पड़ा।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता भी प्रश्नचिन्ह अभी से साफ दिख रहे हैं। हिमाचल में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई जबकि गुजरात में अभी घोषणा की जानी है। कुल मिलाकर एक इंदिरा गांधी के आपातकाल जैसे हालात गुजरात में चारों तरफ देखा जा रहा है। लोकतंत्र के नाम पर डर ही बना हुआ है। जो एक ऑटो चालक को रातों-रात थाने में बुलाकर जिस प्रकार उसे डराया गया फिर उसे मोदी टोपी पहना कर सामने लाया गया और डेमो स्कूल के पर्दाफास हो जाने पर आम आदमी पार्टी के लोगों को घटनास्थल से उठाकर ले जाया गया।  यह सब आपातकाल की घटना को दर्शाता है।

चुनाव परिणाम जिस किसी के पक्ष में आये। यह बात तो मान लेनी होगी आम आदमी ने लोकतंत्र के पर्व में मोदी को खुली चुनौती तो ही डाली है। - जयहिन्द।

 लेखक: पेशे से अधिवक्ता और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर की शिक्षा प्राप्त की है एवं स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं।