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रविवार, 31 अक्तूबर 2010

संसद में लोहियाजी बोलतें हैं-२

१०० रुपये चुराने वाले को देश के कानून में सी.आर.पी.सी. की धारा लगा दी जाती है, परन्तु देश को लुटने वाले सांसदों के ऊपर इस धारा का प्रयोग नहीं किया जाता कहा जाता। धीरे से एक बोलता है जे.पी.सी.बैठा दो। क्यों भाई! एक चोर को बचाने के लिये दूसरे चोर को बैठा दिया जाय क्या?

भारतीय भाषा संग्राहलय


HINDI


क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व श ष स ह ळ
क्ष त्र ज्ञ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १०
ॐ ओ औ ऑ ऋ
क का कि की कु कू के कै को कौ कं कः


Gujarati


ક ખ ગ ઘ ઙ
ચ છ જ ઝ ઞ
ટ ઠ ડ ઢ ણ
ત થ દ ધ ન
પ ફ બ ભ મ
ય ર લ વ શ ષ સ હ ળ
ક્ષ ત્ર જ્ઞ અ આ ઇ ઈ ઉ ઊ એ ઐ
૧ ૨ ૩ ૪ ૫ ૬ ૭ ૮ ૯ ૧૦
ૐ ઓ ઔ ઑ ઋ
ક કા કિ કી કુ કૂ કે કૈ કો કૌ કં કઃ


Bengali


ক খ গ ঘ ঙ
চ ছ জ ঝ ঞ
ট ঠ ড ঢ ণ
ত থ দ ধ ন
প ফ ব ভ ম
য র ল ব শ ষ স হ ল
ক্ষ ত্র জ্ঞ অ আ ই ঈ উ ঊ এ ঐ
১ ২ ৩ ৪ ৫ ৬ ৭ ৮ ৯ ১০
ও ঔ ও ঋ
ক কা কি কী কু কূ কে কৈ কো কৌ কং কঃ


Gurumukhi (Punjabi)


ਕ ਖ ਗ ਘ ਙ
ਚ ਛ ਜ ਝ ਞ
ਟ ਠ ਡ ਢ ਣ
ਤ ਥ ਦ ਧ ਨ
ਪ ਫ ਬ ਭ ਮ
ਯ ਰ ਲ ਵ ਸ਼ ਸ਼ ਸ ਹ ਲ਼
ਕ੍ਸ਼ ਤ੍ਰ ਜ੍ਞ ਅ ਆ ਇ ਈ ਉ ਊ ਏ ਐ
੧ ੨ ੩ ੪ ੫ ੬ ੭ ੮ ੯ ੧੦
ਓ ਔ ਔ ਰਿ
ਕ ਕਾ ਕਿ ਕੀ ਕੁ ਕੂ ਕੇ ਕੈ ਕੋ ਕੌ ਕਂ ਕ


Kannada


ಕ ಖ ಗ ಘ ಙ
ಚ ಛ ಜ ಝ ಞ
ಟ ಠ ಡ ಢ ಣ
ತ ಥ ದ ಧ ನ
ಪ ಫ ಬ ಭ ಮ
ಯ ರ ಲ ವ ಶ ಷ ಸ ಹ ಳ
ಕ್ಷ ತ್ರ ಜ್ಞ ಅ ಆ ಇ ಈ ಉ ಊ ಏ ಐ
೧ ೨ ೩ ೪ ೫ ೬ ೭ ೮ ೯ ೧೦
ಓ ಔ ಓ ಋ
ಕ ಕಾ ಕಿ ಕೀ ಕು ಕೂ ಕೇ ಕೈ ಕೋ ಕೌ ಕಂ ಕಃ


Malayalam


ക ഖ ഗ ഘ ങ
ച ഛ ജ ഝ ഞ
ട ഠ ഡ ഢ ണ
ത ഥ ദ ധ ന
പ ഫ ബ ഭ മ
യ ര ല വ ശ ഷ സ ഹ ള
ക്ഷ ത്ര ജ്ഞ അ ആ ഇ ഈ ഉ ഊ ഏ ഐ
൧ ൨ ൩ ൪ ൫ ൬ ൭ ൮ ൯ ൧൦
ഓ ഔ ഓ ഋ
ക കാ കി കീ കു കൂ കേ കൈ കോ കൌ കം കഃ


Tamil


க க க க ங
ச ச ஜ ஜ ஞ
ட ட ட ட ண
த த த த ந
ப ப ப ப ம
ய ர ல வ ஸ ஷ ஸ ஹ ள
க்ஷ த்ர ஜ்ஞ அ ஆ இ ஈ உ ஊ ஏ ஐ
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
ஓ ஔ ஆ ௫
க கா கி கீ கு கூ கே கை கோ கௌ கஂ கஃ


Telgu


క ఖ గ ఘ ఙ
చ ఛ జ ఝ ఞ
ట ఠ డ ఢ ణ
త థ ద ధ న
ప ఫ బ భ మ
య ర ల వ శ ష స హ ళ
క్ష త్ర జ్ఞ అ ఆ ఇ ఈ ఉ ఊ ఏ ఐ
౧ ౨ ౩ ౪ ౫ ౬ ౭ ౮ ౯ ౧౦
ఓ ఔ ఓ ఋ
క కా కి కీ కు కూ కే కై కో కౌ కం కః

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

दीपावली की शुभकामनाएँ - शम्भु चौधरी

नक्सलवाद पर लिखी मेरी एक कविता से आज आपको दीपावली की शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ।

एक परिंदा घर पर आया, फर्राया-चहकाया..
मैं आजाद.., मैं आजाद.., मैं आजाद..,
मैं सोचा यह क्या कहता है? हँसता है या रोता है।
मुझको गाली देता है या अपना दुःख यह कहता है।


सर्वप्रथम हमें आतंकवाद को व्याखित करना होगा, खुद की जमीं पर रहकर अपने हक की लड़ाई लड़ना आतंकवाद नहीं हो सकता चाहे वह कश्मीर की समस्या ही क्यों न हो, लेकिन को कुछ ईश्लामिक धार्मिक संगठनों ने धर्म को आधार मानते हुए सारी दुनिया में आतांकवाद फैला दिया, पाक प्रायोजित तालिबानियों द्वारा धर्म को जिहाद बताया उनलोगों ने न सिर्फ़ कश्मीर समस्या को उलझाया। भारत, पाकिस्तान और बंग्लादेश सहित विश्व के अनेक देशों के भीतर आतंकवाद को देखने का एक अलग नजरिया प्रदान कर दिया। जिसक परिणाम यह हुआ कि आज विश्व में हर तरफ यह प्रश्न उठता है कि आखिर एशिया महाद्वीप में ही आतंकवाद क्यों पैदा हो रहा, सारे विश्व के अपराधियों का सुरक्षा केन्द्र बनता जा रहा है यह महाद्वीप। संभवतः भारत विश्व में एक मात्र देश होगा जो लगातार आज़ादी के बाद से इस समस्या से झूझता आ रहा है। ९/११ की घटना यदि अमेरीका की जगह भारत में हुई होती तो शायद अमेरिका, तालिबानियों का सफ़ाया कभी नहीं करती़। कारण स्पष्ट है अमेरिका को किसी बात का दर्द तभी होता है जबतक वह खुद इस दर्द को न सह ले।
इसी प्रकार भारत में नक्सलवाद का काफी तेजी से विकास हुआ खासकर आदिवासी इलाकों में जहाँ हम अभी तक विकास, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत ज़रूरतों को भी नहीं पहुँचा पाये। हमने उनके घर (वन, वनिस्पत, खनिज, पर्वत, जंगल आदि) को सरकारी समझा और उनको उस जगह से वेदखलकर उन्हें जानवर का जीवन जीने को मजबूर करते रहे। जब इन लोगों को कुछ लोगों ने वगावत का पाठ पढ़ाया तो ये देश के लिये गले की फांस बन गई। आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि आखिर समस्या क्या है, सिर्फ हथियार उठा लेने से आतंकवाद हो जाता तो भारत स्वतंत्रता आन्दोलन के हजारों शहीद को भी हमें आतंकवाद कहना होगा। इसमें कोई शक नहीं नक्सलवाद को कुछ लोगों ने इसे सरकारी ताक़तों को नुकशना पहुँचाने के नाम से बेकसूर जनता को भी काफी हानी पहुँचाई जिसका लाभ लेकर सरकारी ताक़तों ने सेना को इस मैदान पर उतार दिया है। जो किसी भी दृष्टिकोण से न तो उन्हें सही ठहराया जा सकता है ना ही इसे। हम अपनी दीपावली के दीये उन आदिवासी के साथ जलाना पसंद करेंगे जिन्हें सरकार नक्सलवादी समझती है। माना कि सरकार पर देश की सुरक्षा का भार है। परन्तु एक को सुरक्षा देने के नाम पर दूसरे का घर ही उजाड़ दिया जाय यह सुरक्षा नहीं हो सकती। आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ।

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

लोहिया संसद में बोल रहें हैं- शम्भु चौधरी


Shambhu Choudhary
इस बार देश में अजीबो-गरीब एक घटना घटी। भ्रष्टाचार व तैयारी में हो रही विलम्बता के चलते विश्व भर की मीडिया से घिरी कॉमनवेल्थ खेल आयोजक समिति को अचानक से राष्ट्र के गौरव की याद सताने लगी। कॉमनवेल्थ खेल के विदेशी सदस्यों से भारत के गौरव की भीख माँगे जाने लगी, कि कम से कम वे लोग भारत के गौरव का ध्यान रखें, जबाब में मिला भारतवासियों को एक तमाचा। जरा इन भ्रष्ट नेताओं से कोई पूछे कि जब ये संसद या विधान सभाओं के भीतर लत्तम-जूता करते हैं तब देश का गौरव किधर जाता है? जब ये देश को लूटने में लगे रहते हैं तब इनका स्वाभिमान को क्या हो जाता है? जब ये विदेशों में नन्गे होकर चुपचाप घर आते हैं तब इनका आत्मसम्मान को डंक क्यों नहीं मारता? जब ये लोग खेल को व्यवसाय बनाकर खेल की नकली नीलामी करते हैं और अपराधियों को बचाने के लिए बयानबाज़ी करते हैं तब इनके स्वाभिमान को क्या हो जाता है?