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बुधवार, 19 अप्रैल 2023

प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

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जय बिहार - जय जय बिहार 

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पत्रकार वार्ता

@नीतीश कुमार 19/04/2023
इन सबसे ज्यादा, मानवता के आधार पर, जिस नीतीश कुमार की  2014-15 में हमने मदद की थी, यह वो नीतीश कुमार हैँ जो, बाजपेई जी के प्रधानमंत्री रहते हुए, आप तब रेल मंत्री थे, उस समय गैसल स्टेशन के पास एक विषण रेल दुर्घटना हो गई थी,...

  (देखें पश्चिम बंगाल सीमा पर गैसाल रेलवे स्टेशन के समीप भीषण रेल हादसा हुआ था. गैसाल स्टेशन पर दो अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध आसाम एक्सप्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई थी. दोनों ट्रेन एक ही लाइन पर आ गई थी. इस घटना में करीब 290-291 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया था।)
तब नीतीश कुमार जी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से यह कह कर इस्तीफा दिया था कि 291 लोगों की दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद मैं इस पद पर कैसे रह सकता हूँ। आज ये वही नीतीश कुमार है जो करोना (Covid) के दौरान ज़ब हजारों लोग आँखों के सामने मर गए, रोड पर हमने देखा पुरे बिहार के लाखों बच्चे मारे-मारे फिर रहे थे, गरीब लोग, नीतीश कुमार ने अपने बंगले से निकल कर उनकी मदद का कोई प्रयास नहीं किया।
आज बिहार में जहरीली शराब से हर दिन लोग मर रहें हैं, यह वही नीतीश कुमार है जो विधानसभा में पोकेट में हाथ डाल कर हँसते हुए कहतें हैं -"जो पियेगा -वही मरेगा"।
तो आपको 2014-15 के नीतीश कुमार ओर आज के नीतीश कुमार में फर्क नहीं समझ में आ रहा है?
लोकतंत्र आपको क्या बताता है कि, जिस दल, जिस किसी नेता, और विचारधारा पर आपको भरोसा है, आप उसकी मदद कीजिये, उसको वोट दीजिये, लेकिन वह मदद पांच वर्ष के लिए है, जीवन भर की बंधुआ मजदूरी नहीं की है, क्योंकि लोकतंत्र आपको यह भी बताता है कि अगर उसने काम नहीं किया तो जितनी मजबूती से आपने उसकी मदद की थी, उतनी ही मजबूती से उसका विरोध भी करें। अगर ऐसा नहीं होता तो पांच वर्ष के बाद वापस चुनाव की जरूरत ही क्या? अपने एक बार नेता को चून दिया जीवन भर वही
 रहेगा।
सवाल : राजद को कैसे देखतें हैं आप?
राजद की बात आप छोड़ दीजिये, जिस राजद के पास जीरो एम. पी है, वह देश में प्रधानमंत्री बनाएगा? चार विधायक ज्यादा जीत लेने से बड़का दल, आपको ऐसा लग रहा है कि #राजद इतना बड़ा दल है, अरे हर राज्य में ऐसे लोग हैं। उनकी कितनी ताकत है?
आप जो सवाल उठा रहें हैं यही नीतीश कुमार के बारे में बात हो रही है कि 2014 का नीतीश कुमार  15 में आपको बता रहा हूँ ऑन रिकॉर्ड समझ लीजिये, कैबिनेट बनते समय मैं शामिल था राजद के चार ऐसे विधयाक को मंत्री बनाने का प्रस्ताव लालू जी ने भेजा था।उनको इसलिए रोक दिया गया, कि उन चार लोगों का चरित्र, करेक्टर सही नहीं पाया गया। आज वही चार लोग फिर जीत कर मंत्री बने हुए हैँ। नीतीश कुमार, मुख़्यमंत्री हैं। यही बात तो आपको समझाने क़ी कोशिश कर रहा हूँ की जिस नीतीश कुमार को सुशासन के नाम पर जिसको जनता ने आशीर्वाद दिया आज वह हर वो काम कर रहा है, जो जंगल राज,.. जिसके खिलाफ उनको वोट मिला है। चाहे वो क़ानून को तौड़ना-मौड़ोना हो,  अपीधियों को शरण देना हो, भ्रस्टाचार को बढ़ावा देना हो, जनता की चिंता ना करना हो, शराब ओर बालू माफिया को प्रश्रय देना हो, यही काम तो #जंगलराज में हो रहा था, वही आज हो रहा है। फर्क बस इतना ही दिख रहा है पहले जनता को दिक्कत अपराधियों से हो रही थी, आज बालात्कारियों से हो गई। लेकिन बालू माफिया तो जितना जंगल राज में था, उससे ज्यादा आज है। शराब माफिया जितना पहले था, उतना आज है।  वही लोग अब सफ़ेदफॉस हो कर हजारों, करोड़ों की लूट कर रहें हैँ। पहले वह बालू बेच कर पैसा कमा रहें थे अब शराब और बालू बेच कर पैसा कमा रहें हैं, और नीतीश कुमार की नाक के नीचे, उनके जानकारी में हो रहा है।

अतीक अहमद और अशरफ अहमद

सवाल मीडिया (बिहार): उत्तर प्रदेश के (माफिया) अतीक अहमद और अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में सरेआम हत्या कर देने पर आपकी क्या राय है?
उत्तर प्रशांत किशोर : मैं रूल आफ लॉ को मानता हूँ.. यह भी देख रहा हूँ कि समाज का एक वर्ग ताली बजा रहा है, यह, यह दिखता है कि जनता कितनी त्रस्त थी। लेकिन आप त्रस्त हैँ किसी बात से, उस परेशानी से निकलने के लिए ओर दूसरी गलती करें, उससे आपका कोई फायदा नहीं हो सकता। ज्यादा बेहतर होता ऊप सरकार एक फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनाती, उनका एक माह में ट्रायल करती, उनको सजा होती, वह ज्यादा अच्छा होता, पुलिस राज अच्छा नहीं, संविधान संगत जो व्यवस्थाएं बनाई गई है, उन कमियों को सुधारने के लिए आप संविधान को ही बदल दीजिये वह ठीक नहीं। संविधान में जो व्यवस्था बनी हुई है, उन व्यवस्थाओं में कुछ कमी आ सकती है,  उन कमियाँ से जनता को परेशानी भी है, तो आप उन प्रावधानों को सुधारने के बजाय आप संविधान के उन प्रावधानों को ही हटा दें, और बिहार को या देश को पुलिस राज्य बना दें?
मैं आपको बता रहा हूँ, आपके माध्यम से दर्शकों को भी बता रहा हूँ, कि आज भले आपको अच्छा लग रहा है, समाज के एक वर्ग को, यह समाज के हक में नहीं।

20/04/2023

PK युथ क्लब 

जन सुराज, पद यात्रा के तरकस का तीसरा तीर है युथ क्लब की परिकल्पना,  यह मान ले हर प्रयास से दूसरा प्रयास, ज्यादा ताकतवर होगा, ज्यादा असर वाला होगा। ज़ब हम गाड़ी से घूमना शुरू किया था, उसके मुकाबले पद यात्रा बहुत बड़ा प्रयास है। पद यात्रा के दौरान युथ क्लब बनाना शुरू किये हैं, अभी इसका ट्रायल रन चल रहा है। अभी जमीन पर इसका टेस्ट चल रहा है, ज़ब इसको खोलेंगे, पुरे बिहार में एक लाख युथ क्लब पांच महीने में खोल दिए जायेंगे। एक लाख युवाओं को चयनित किया जा रहा है, आपको पुरे बिहार की समझ हो या न हो, अपनी समझ तो जरूर है, यदि एक-एक लड़के, दस-दस लड़के को जोड़तें हैं तो पुरे बिहार में 10 लाख ऐसे लड़के जो समाज में अपने बाबू जी के नाम पर नहीं आ रहें राजनीति में, अपने जाति, अपने धर्म के आधार पर नहीं आ रहें राजनीति में। सिर्फ और सिर्फ अपने क्षमता के आधार पर, अपने जज्बे के आधार पर और समाज में नया कुछ करने के लिये राजनीति में आ रहें हैँ।

हमने कहा है बिहार में यदि नई राजनीति व्यवस्था बनानी है तो खाली MP, MLA, बदलने से बात नहीं बनेगी, पिछले 30 वर्ष में, बिहार में जितना लोग MLA बना है, जितना लोग MP बना है चाहे जिस दल का बना हो, सबका नाम आप लिखियेगा, तो पता चलेगा  साढ़े बाहरा सौ परिवार के लोग ही यहाँ पर MLA / MP  बनतें हैं।

जबकि बिहार में साढ़े तीन करोड़ परिवार है और 13 करोड़ आबादी है। तो साढ़े बारह सौ परिवार का राजनीति में एकाधिकार क्यों है? जो पहले लालू जी के साथ था, वही उछल कर अब आ गया है नीतीश जी के साथ।  नीतीश का खेल खतम होगा तो वही लड़का चला जाएगा, भाजपा के साथ। नये लड़के को अवसर ही नहीं है, अगर यदि आपके बाबूजी विधयाक नहीं है, आपके पास रुपया नहीं है, तो आप राजनीति में नहीं आ  सकते। यदि राजनीति में किसी प्रकार आ भी जाइएगा तो कार्यकर्त्ता बनकर झोला ढोना पड़ेगा।

हम यह व्यवस्था बना रहें हैं कि आपके पास पुराना राजनीति आधार हो या ना हो, जाति हो या न हो, पैसा हो या हो, अगर आपमें क्षमता है तो पैसे की चिंता आप मत कीजिये। संसाधन की चिंता आप मत कीजिये, हम आपके पीछे खड़े रहेंगे।

21/04/2023

 मैं कोई नेता नहीं हूँ -

मेरा नाम है प्रशांत किशोर, मैं कोई नेता नहीं हूँ, जन सुराज कोई दल नहीं है, हम बिहार के एक साधरण परिवार का लड़का हूँ, हमरे दादा बैलगाड़ी चलाते थे, मजदूर थे। हमारे बाबू जी यहाँ डॉक्टर थे, यहीं सरकारी स्कूल से पढ़कर हम निकले हैं। माता-पिता का, ऊपर वाले का कुछ आशीर्वाद है, जीवन में कुछ हासिल किया है, लेकिन अब तय किये हैं, दस वर्ष काम करने के बाद, यह तय किया, अब अगर भगवान ने मुझे  कुछ शक्ति, बुद्धि दी है,  तो जिस मिट्टी में जन्मे, जिस बिहार में हमारा जन्म हुआ, जहाँ हमलोग पले-बढ़े, यहाँ और यहाँ के लोगों की जिंदगी उसको सुधारने के लिए कोई प्रयास करें, इसीलिए जीवन का सबकुछ छोड़कर यह पदयात्रा शुरू की है।

हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा। -प्रशांत किशोर 


पैदल क्यूँ चल रहे, यह संकल्प लिया है, पुरे बिहार में, गाँव, शहर, कस्बा, देहात हर जगह पैदल चल कर जायेंगे, हम पैदल क्यों चल रहे, हमारे पैदल चलने से आपका कोई फायदा नहीं, हमारे पैदल चलने से आपकी गरीबी दूर नहीं होगी, बेरोजगारी दूर नहीं होगी, बच्चों को पढ़ने की अच्छी सुविधा नहीं होगी। हमारे पैदल चलने से, आपका नाली, गली नहीं बानेगा। आपको अनाज नहीं मिलेगा, आपको पेंशन नहीं मिलेगा।
तो हम पैदल क्यों चल रहे? पैदल इसलिए चल रहे हैं कि जिस राज्य,  जिस समाज के लोगों की जिंदगी को सुधारना चाहतें हैं, कम से कम एक बार जाकर अपनी आँख से देखें आप और आपके बच्चे किस दशा में जी रहें हैं।
हमने कहानियाँ में सुना है कि पुराने जमाने में राजा लोग भेष बदल कर रात के समय अपनी प्रजा को देखने निकलते थे.. आज के समय हम जिनको चुनते हैं, वह रात के समय तो छोड़ दीजिये, वह दिन में भी आपका सुध लेने नहीं आ रहा है।
यदि कोई आ भी गया, बड़े नेता को तो छोड़ दीजिये, छोटा नेता, इतना सिपाही लेकर घूमता है कि सबको जान का खतरा है, जनता से उनका भेंट ही नहीं हो पता। सबको जान का खतरा है, कहता है ऐसा, हम आज 200 दिन से पैदल चल रहें हैँ, आप यहाँ रात के 10 बजे आ कर बैठे हैँ, इतनी बड़ी व्यवस्था है लेकिन यहाँ पर एक भी सिपाही नहीं है।
हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा।
नेता सिपाही लेकर इसलिए चलते हैं कि कहीं कोई पूछ न ले कि भैया जो काम का वादा किया था, वह काम तुमने किया नहीं। तो यह दुर्दशा है हमलोगों की, लेकिन मैंने कहा है यह राजनीति दल नहीं है, यह वोट मांगने का अभियान नहीं है, इसलिये हमलोग किसी नेता के खिलाफ गाली-गलौच नहीं करते। जो नेता आतें हैं वह यही कहतें हैं, हमने अच्छा काम किया, हमारे विरोधी ने अच्छा काम नहीं किया। हमको वोट दीजिये, हम आपका काम कर देंगे।
यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है।

यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। -प्रशांत किशोर 

मैं आपको बिलकुल उलट बात कह रहा हूँ, जिसको भी आपने वोट दिया या जिसकी सरकार बनाई, जिसने जो काम किया या करने का दावा कर रहा है, सबको सही मान लीजिये। यह बहस मत कीजिये कि उसने काम किया कि नहीं, सबके बात को सही मान लीजिये, यह मान लीजिये कि #कांग्रेस ने 40 वर्ष बिहार में बहुत काम किया, यह भी मान लीजिये कि #लालूजी के राज में 15 साल में बिहार में सामाजिक तौड़ पर पिछड़े वर्ग को आवाज मिल गई। सामाजिक न्याय आ गया। यह मान लीजिये कि नीतीश जी और भाजपा के शासन में सुशासन आ गया, लेकिन यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। 

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