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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

जन सुराज अभियान -4

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -4

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

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जय बिहार - जय जय बिहार 

PK कनेक्ट

22/04/2023

बिहार का मॉडल कैसा हो?

जब पूरी दुनिया के लोग बिहार आते थे पढ़ने, वो मॉडल लागू होना चाहिए जब पुरे देश की शासन व्यवस्था बिहार से चलती थी। वो मॉडल लागू होना चाहिए जब देश का सबसे गौरवशाली  राज्य बिहार था, वो मॉडल नहीं चाहिए, जहाँ बिहार को अनपढ़ोँ का प्रदेश बना दिया गया। इस मॉडल से हमें बचना चाहिए जहाँ बिहार को मजदूरों की फैक्ट्री बना दी गई है। यह मॉडल बदलना चाहिए।
हमलोगों को ऊ.पी या मध्यप्रदेश देखने की जरुरत नहीं है,  हमलोगों को उस बिहार को देखने की जरूरत है जिसे हमारे पूर्वजों ने इस राज्य के लिए बनाया था। हमलोगों को किसी दूसरे राज्य को देखने की जरुरत नहीं।

आप खुद को बिहारी बोलतें है, आपको पता ही नहीं आपके बच्चों को कभी ट्रैन में, कभी शहर में धर-पकड़ के दूसरे प्रान्त के लोग मार रहें हैँ। अभी में पांच माह से घर-द्वार छोडें है तो लगे उसी में हम हैंकड़ी मारने, आपके-हमारे बच्चे मजदूर बनने के लिये कितने साल से घर-द्वार छोडें हैं, उनके दर्द को देखा है किसी ने?  - प्रशांत किशोर (25/04/2023)


कांग्रेस बिहार में है कहीं?
कॉंग्रेस के सन्दर्भ में बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि एज ए आर्गेनाइजेशन कांग्रेस बिहार में है कहीं? कोई नेता जमीन पर दिखा है, कुछ किया है, सरकार में शामिल है। सरकार में तो बहुत लोग शामिल है।

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को कैसे सुधारें?
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए यह समतामूलक शिक्षा व्यवस्था से अलग हट के, जहाँ पर आप विद्यालयों को बच्चों तक पंहुचा रहें हैं, हमलोग जो मॉडल बनाने की बात कर रहें हैं, उसमें बच्चों को अच्छे विद्यालयों तक की बात है, इसका मतलब है कि आप हर पंचायत, हर गाँव में स्कूल बनाने के बजाय, अगर प्रखंड स्तर पर, अच्छे से मैपिंग कर के पांच अच्छे स्कूल बना दिए जायँ  तो हर बच्चे को 15 मिनिट में बस के माध्यम से स्कूल तक पहुँचाया जा सकता है।  इसका फायदा यह होगा कि एक प्रखंड में आपने 20 विद्यालय बनाये, जो कोई नहीं चल रहा, इसकी जगह  पांच अच्छे विद्यालय बनाये, विश्वस्तरीय विद्यालय बनाये, और लोगों को यह सुविधा दें कि वे बच्चों को विद्यालय तक बसों से भेज सके। ज्यादातर बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहें हैँ।

21/04/2023

जाति, धर्म, पुलवामा के नाम पर वोट 

लोकतंत्र में यदि आपको अपनी जिंदगी सुधारनी है तो जब आप अपनी समस्याओं पर वोट दीजियेगा, अगर आप अपने बच्चों की चिंता नहीं करियेगा तो कोई नेता, कोई दल, कोई विचारधारा नहीं करेगा। हम सात महीना से 2000 गावों में पैदल चल कर गए हैं। मेरे सामने 50-100 बच्चे दौड़ते हैं, आधे से ज्यादा बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा तक नहीं पहनने के लिए। ज्यादातर बच्चों के पैर में चप्पल तक नहीं है। लेकिन जब बिहार की जनता वोट करती है, तो वोट के दिन जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, लालू के डर से भाजपा को, भाजपा के डर से लालू को, आपका कहना है कि यह हम इसलिए करते हैं कि हमारे पास विकल्प नहीं है। अगर आपके पास विकल्प नहीं है तो, आपको, हमको किसने रोका है विकल्प बनाने से?





बुधवार, 19 अप्रैल 2023

प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

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जय बिहार - जय जय बिहार 

PK CONNECT

पत्रकार वार्ता

@नीतीश कुमार 19/04/2023
इन सबसे ज्यादा, मानवता के आधार पर, जिस नीतीश कुमार की  2014-15 में हमने मदद की थी, यह वो नीतीश कुमार हैँ जो, बाजपेई जी के प्रधानमंत्री रहते हुए, आप तब रेल मंत्री थे, उस समय गैसल स्टेशन के पास एक विषण रेल दुर्घटना हो गई थी,...

  (देखें पश्चिम बंगाल सीमा पर गैसाल रेलवे स्टेशन के समीप भीषण रेल हादसा हुआ था. गैसाल स्टेशन पर दो अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध आसाम एक्सप्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई थी. दोनों ट्रेन एक ही लाइन पर आ गई थी. इस घटना में करीब 290-291 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया था।)
तब नीतीश कुमार जी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से यह कह कर इस्तीफा दिया था कि 291 लोगों की दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद मैं इस पद पर कैसे रह सकता हूँ। आज ये वही नीतीश कुमार है जो करोना (Covid) के दौरान ज़ब हजारों लोग आँखों के सामने मर गए, रोड पर हमने देखा पुरे बिहार के लाखों बच्चे मारे-मारे फिर रहे थे, गरीब लोग, नीतीश कुमार ने अपने बंगले से निकल कर उनकी मदद का कोई प्रयास नहीं किया।
आज बिहार में जहरीली शराब से हर दिन लोग मर रहें हैं, यह वही नीतीश कुमार है जो विधानसभा में पोकेट में हाथ डाल कर हँसते हुए कहतें हैं -"जो पियेगा -वही मरेगा"।
तो आपको 2014-15 के नीतीश कुमार ओर आज के नीतीश कुमार में फर्क नहीं समझ में आ रहा है?
लोकतंत्र आपको क्या बताता है कि, जिस दल, जिस किसी नेता, और विचारधारा पर आपको भरोसा है, आप उसकी मदद कीजिये, उसको वोट दीजिये, लेकिन वह मदद पांच वर्ष के लिए है, जीवन भर की बंधुआ मजदूरी नहीं की है, क्योंकि लोकतंत्र आपको यह भी बताता है कि अगर उसने काम नहीं किया तो जितनी मजबूती से आपने उसकी मदद की थी, उतनी ही मजबूती से उसका विरोध भी करें। अगर ऐसा नहीं होता तो पांच वर्ष के बाद वापस चुनाव की जरूरत ही क्या? अपने एक बार नेता को चून दिया जीवन भर वही
 रहेगा।
सवाल : राजद को कैसे देखतें हैं आप?
राजद की बात आप छोड़ दीजिये, जिस राजद के पास जीरो एम. पी है, वह देश में प्रधानमंत्री बनाएगा? चार विधायक ज्यादा जीत लेने से बड़का दल, आपको ऐसा लग रहा है कि #राजद इतना बड़ा दल है, अरे हर राज्य में ऐसे लोग हैं। उनकी कितनी ताकत है?
आप जो सवाल उठा रहें हैं यही नीतीश कुमार के बारे में बात हो रही है कि 2014 का नीतीश कुमार  15 में आपको बता रहा हूँ ऑन रिकॉर्ड समझ लीजिये, कैबिनेट बनते समय मैं शामिल था राजद के चार ऐसे विधयाक को मंत्री बनाने का प्रस्ताव लालू जी ने भेजा था।उनको इसलिए रोक दिया गया, कि उन चार लोगों का चरित्र, करेक्टर सही नहीं पाया गया। आज वही चार लोग फिर जीत कर मंत्री बने हुए हैँ। नीतीश कुमार, मुख़्यमंत्री हैं। यही बात तो आपको समझाने क़ी कोशिश कर रहा हूँ की जिस नीतीश कुमार को सुशासन के नाम पर जिसको जनता ने आशीर्वाद दिया आज वह हर वो काम कर रहा है, जो जंगल राज,.. जिसके खिलाफ उनको वोट मिला है। चाहे वो क़ानून को तौड़ना-मौड़ोना हो,  अपीधियों को शरण देना हो, भ्रस्टाचार को बढ़ावा देना हो, जनता की चिंता ना करना हो, शराब ओर बालू माफिया को प्रश्रय देना हो, यही काम तो #जंगलराज में हो रहा था, वही आज हो रहा है। फर्क बस इतना ही दिख रहा है पहले जनता को दिक्कत अपराधियों से हो रही थी, आज बालात्कारियों से हो गई। लेकिन बालू माफिया तो जितना जंगल राज में था, उससे ज्यादा आज है। शराब माफिया जितना पहले था, उतना आज है।  वही लोग अब सफ़ेदफॉस हो कर हजारों, करोड़ों की लूट कर रहें हैँ। पहले वह बालू बेच कर पैसा कमा रहें थे अब शराब और बालू बेच कर पैसा कमा रहें हैं, और नीतीश कुमार की नाक के नीचे, उनके जानकारी में हो रहा है।

अतीक अहमद और अशरफ अहमद

सवाल मीडिया (बिहार): उत्तर प्रदेश के (माफिया) अतीक अहमद और अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में सरेआम हत्या कर देने पर आपकी क्या राय है?
उत्तर प्रशांत किशोर : मैं रूल आफ लॉ को मानता हूँ.. यह भी देख रहा हूँ कि समाज का एक वर्ग ताली बजा रहा है, यह, यह दिखता है कि जनता कितनी त्रस्त थी। लेकिन आप त्रस्त हैँ किसी बात से, उस परेशानी से निकलने के लिए ओर दूसरी गलती करें, उससे आपका कोई फायदा नहीं हो सकता। ज्यादा बेहतर होता ऊप सरकार एक फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनाती, उनका एक माह में ट्रायल करती, उनको सजा होती, वह ज्यादा अच्छा होता, पुलिस राज अच्छा नहीं, संविधान संगत जो व्यवस्थाएं बनाई गई है, उन कमियों को सुधारने के लिए आप संविधान को ही बदल दीजिये वह ठीक नहीं। संविधान में जो व्यवस्था बनी हुई है, उन व्यवस्थाओं में कुछ कमी आ सकती है,  उन कमियाँ से जनता को परेशानी भी है, तो आप उन प्रावधानों को सुधारने के बजाय आप संविधान के उन प्रावधानों को ही हटा दें, और बिहार को या देश को पुलिस राज्य बना दें?
मैं आपको बता रहा हूँ, आपके माध्यम से दर्शकों को भी बता रहा हूँ, कि आज भले आपको अच्छा लग रहा है, समाज के एक वर्ग को, यह समाज के हक में नहीं।

20/04/2023

PK युथ क्लब 

जन सुराज, पद यात्रा के तरकस का तीसरा तीर है युथ क्लब की परिकल्पना,  यह मान ले हर प्रयास से दूसरा प्रयास, ज्यादा ताकतवर होगा, ज्यादा असर वाला होगा। ज़ब हम गाड़ी से घूमना शुरू किया था, उसके मुकाबले पद यात्रा बहुत बड़ा प्रयास है। पद यात्रा के दौरान युथ क्लब बनाना शुरू किये हैं, अभी इसका ट्रायल रन चल रहा है। अभी जमीन पर इसका टेस्ट चल रहा है, ज़ब इसको खोलेंगे, पुरे बिहार में एक लाख युथ क्लब पांच महीने में खोल दिए जायेंगे। एक लाख युवाओं को चयनित किया जा रहा है, आपको पुरे बिहार की समझ हो या न हो, अपनी समझ तो जरूर है, यदि एक-एक लड़के, दस-दस लड़के को जोड़तें हैं तो पुरे बिहार में 10 लाख ऐसे लड़के जो समाज में अपने बाबू जी के नाम पर नहीं आ रहें राजनीति में, अपने जाति, अपने धर्म के आधार पर नहीं आ रहें राजनीति में। सिर्फ और सिर्फ अपने क्षमता के आधार पर, अपने जज्बे के आधार पर और समाज में नया कुछ करने के लिये राजनीति में आ रहें हैँ।

हमने कहा है बिहार में यदि नई राजनीति व्यवस्था बनानी है तो खाली MP, MLA, बदलने से बात नहीं बनेगी, पिछले 30 वर्ष में, बिहार में जितना लोग MLA बना है, जितना लोग MP बना है चाहे जिस दल का बना हो, सबका नाम आप लिखियेगा, तो पता चलेगा  साढ़े बाहरा सौ परिवार के लोग ही यहाँ पर MLA / MP  बनतें हैं।

जबकि बिहार में साढ़े तीन करोड़ परिवार है और 13 करोड़ आबादी है। तो साढ़े बारह सौ परिवार का राजनीति में एकाधिकार क्यों है? जो पहले लालू जी के साथ था, वही उछल कर अब आ गया है नीतीश जी के साथ।  नीतीश का खेल खतम होगा तो वही लड़का चला जाएगा, भाजपा के साथ। नये लड़के को अवसर ही नहीं है, अगर यदि आपके बाबूजी विधयाक नहीं है, आपके पास रुपया नहीं है, तो आप राजनीति में नहीं आ  सकते। यदि राजनीति में किसी प्रकार आ भी जाइएगा तो कार्यकर्त्ता बनकर झोला ढोना पड़ेगा।

हम यह व्यवस्था बना रहें हैं कि आपके पास पुराना राजनीति आधार हो या ना हो, जाति हो या न हो, पैसा हो या हो, अगर आपमें क्षमता है तो पैसे की चिंता आप मत कीजिये। संसाधन की चिंता आप मत कीजिये, हम आपके पीछे खड़े रहेंगे।

21/04/2023

 मैं कोई नेता नहीं हूँ -

मेरा नाम है प्रशांत किशोर, मैं कोई नेता नहीं हूँ, जन सुराज कोई दल नहीं है, हम बिहार के एक साधरण परिवार का लड़का हूँ, हमरे दादा बैलगाड़ी चलाते थे, मजदूर थे। हमारे बाबू जी यहाँ डॉक्टर थे, यहीं सरकारी स्कूल से पढ़कर हम निकले हैं। माता-पिता का, ऊपर वाले का कुछ आशीर्वाद है, जीवन में कुछ हासिल किया है, लेकिन अब तय किये हैं, दस वर्ष काम करने के बाद, यह तय किया, अब अगर भगवान ने मुझे  कुछ शक्ति, बुद्धि दी है,  तो जिस मिट्टी में जन्मे, जिस बिहार में हमारा जन्म हुआ, जहाँ हमलोग पले-बढ़े, यहाँ और यहाँ के लोगों की जिंदगी उसको सुधारने के लिए कोई प्रयास करें, इसीलिए जीवन का सबकुछ छोड़कर यह पदयात्रा शुरू की है।

हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा। -प्रशांत किशोर 


पैदल क्यूँ चल रहे, यह संकल्प लिया है, पुरे बिहार में, गाँव, शहर, कस्बा, देहात हर जगह पैदल चल कर जायेंगे, हम पैदल क्यों चल रहे, हमारे पैदल चलने से आपका कोई फायदा नहीं, हमारे पैदल चलने से आपकी गरीबी दूर नहीं होगी, बेरोजगारी दूर नहीं होगी, बच्चों को पढ़ने की अच्छी सुविधा नहीं होगी। हमारे पैदल चलने से, आपका नाली, गली नहीं बानेगा। आपको अनाज नहीं मिलेगा, आपको पेंशन नहीं मिलेगा।
तो हम पैदल क्यों चल रहे? पैदल इसलिए चल रहे हैं कि जिस राज्य,  जिस समाज के लोगों की जिंदगी को सुधारना चाहतें हैं, कम से कम एक बार जाकर अपनी आँख से देखें आप और आपके बच्चे किस दशा में जी रहें हैं।
हमने कहानियाँ में सुना है कि पुराने जमाने में राजा लोग भेष बदल कर रात के समय अपनी प्रजा को देखने निकलते थे.. आज के समय हम जिनको चुनते हैं, वह रात के समय तो छोड़ दीजिये, वह दिन में भी आपका सुध लेने नहीं आ रहा है।
यदि कोई आ भी गया, बड़े नेता को तो छोड़ दीजिये, छोटा नेता, इतना सिपाही लेकर घूमता है कि सबको जान का खतरा है, जनता से उनका भेंट ही नहीं हो पता। सबको जान का खतरा है, कहता है ऐसा, हम आज 200 दिन से पैदल चल रहें हैँ, आप यहाँ रात के 10 बजे आ कर बैठे हैँ, इतनी बड़ी व्यवस्था है लेकिन यहाँ पर एक भी सिपाही नहीं है।
हमको तो 200 दिन में एक कुत्ता भी नहीं काट रहा है। गाँव-शहर हर जगह पैदल ही जा रहें हैँ। गाँव में जो जगह मिलती वहीं पर रुकते हैं, हमको कहाँ कोई मार रहा है। कोई नहीं मार रहा।
नेता सिपाही लेकर इसलिए चलते हैं कि कहीं कोई पूछ न ले कि भैया जो काम का वादा किया था, वह काम तुमने किया नहीं। तो यह दुर्दशा है हमलोगों की, लेकिन मैंने कहा है यह राजनीति दल नहीं है, यह वोट मांगने का अभियान नहीं है, इसलिये हमलोग किसी नेता के खिलाफ गाली-गलौच नहीं करते। जो नेता आतें हैं वह यही कहतें हैं, हमने अच्छा काम किया, हमारे विरोधी ने अच्छा काम नहीं किया। हमको वोट दीजिये, हम आपका काम कर देंगे।
यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है।

यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। -प्रशांत किशोर 

मैं आपको बिलकुल उलट बात कह रहा हूँ, जिसको भी आपने वोट दिया या जिसकी सरकार बनाई, जिसने जो काम किया या करने का दावा कर रहा है, सबको सही मान लीजिये। यह बहस मत कीजिये कि उसने काम किया कि नहीं, सबके बात को सही मान लीजिये, यह मान लीजिये कि #कांग्रेस ने 40 वर्ष बिहार में बहुत काम किया, यह भी मान लीजिये कि #लालूजी के राज में 15 साल में बिहार में सामाजिक तौड़ पर पिछड़े वर्ग को आवाज मिल गई। सामाजिक न्याय आ गया। यह मान लीजिये कि नीतीश जी और भाजपा के शासन में सुशासन आ गया, लेकिन यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। 

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -2

 प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -2

 यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर

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सवाल 

एक बात प्रशांत किशोर जी को सार्वजनिक करना चाहिए कि इतने टेंट, गाड़ी, माइक, बैनर, शानदार सभागार बनाने की व्यवस्था, साथ में 200-300 आदमी के भोजन बनाने  उनके सोने, नहाने बाथरूम की व्यवस्था, के लिए किस-किस राज्य के मुख़्यमंत्री, या राजनीति दल आपको पैसा दे रहा है?

आपने खुद यह बात कई सभा में की, कि आपको चुनाव जितने के लिये राजनीति दल करोड़ों में नहीं कई सो करोड़ों में धन देते थे.. आप यह भी सार्वजनिक करें कि आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जितने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?

आप नैतिकता की बात करते हैं. बिहार को बनाने की बात करते हैँ, कहीं आप अनैतिक तरीके से प्राप्त धन का उपयोग किसी खास उद्देश्य के लिये तो नहीं कर रहें हैँ?

आपने बड़ी चालाकी से केजरीवाल को भ्रष्टाचार में लिप्त घोषित कर दिया.. आप मुझे बस इतना ही बता दें रोजाना आपके काफिले पर, ताम-झाम पर, सड़कों पर आपके पोस्टर, कहीं गाँधी जी के नाम पर अपना राजनीति एजेंडा तो पूरा करने में नहीं लगे हो आप? आपके ऊपर रिपोर्टिंग बिना किसी भेदभाव के जारी रहेगी...

जन सुराज अभियान पार्ट -1 इस लिंक को देखें 

जन सुराज़
जय बिहार - जय-जय बिहार 
ये जब तीनों रास्ते बंद है -शिक्षा, भूमि और पूंजी, तो आप कितना भी मेहनत कर लें बिहार को गरीबी से कोई नहीं निकाल सकता।

यह दलितों का मंच नहीं है। 18/04/2023
जन सुराज कोई पिछड़ा समाज का अभियान नहीं है, यह दलितों का मंच नहीं है। यह सवर्णो का मंच नहीं है। यह किसी जाति विशेष का मंच नहीं है। यह बिहार के सर्वसमाज का मंच है। आपका, हमारा सबका मंच है। इसमें आपको किसी के पीछे नहीं चलना है, जो चलेगा, बराबरी में ही चलेगा। दल हम नहीं आप सब मिल कर बनाएंगे। आपका इस्तेमाल इस लिये अब तक होता रहा कि दल बनने में आपका कोई भागीदारी नहीं होती, जब कोई दल बन रहा है उसमें आपका मालिकाना हक नहीं है, तो जबतक आप पीछे चलिएगा, तो तब तक हमारा मन रहेगा तबतक आपको साथ रखेंगे, ज़ब मेरा मन नहीं होगा तब-तब आपके साथ धोखा होगा ही होगा, और कोई आदमी आपको कह रहा है कि हम आपके साथ धोखा नहीं करेंगे तो आपको झूठ बोल रहा है।
यह संभव ही नहीं जब हमको, अपने और आपके बच्चे में से एक को चुनना है तो आपके बच्चे को चून लेंगे। कभी नहीं चुनेंगे।

सवाल : भ्रष्टाचार कैसे खतम होगा?
17/04/2023
उत्तर : बहुत सवाल पूछा जाता है कि भैया भ्रष्टाचार, बिहार में कैसे खतम होगा? प्रशांत किशोर या किसी एक व्यक्ति से, या कोई एक क़ानून बना देने से भ्रष्टाचार नहीं सुधरेगा। आपने देखा अन्ना आंदोलन को, लोकपाल के नाम पर इतना बड़ा आंदोलन हुआ, सबको लागा कि बस अब लोकपाल आते ही भ्रष्टाचार खतम हो जाएगा। कुछ लोगों को लगा कि मोदी आई तो भ्रष्टाचार खतम हो जाई। मोदीजी प्रधानमंत्री है, कोई भ्रष्टाचार ख़तम नहीं हुआ, और जो इस आंदोलन में सक्रिय था, आज वह मुख्यमंत्री (#केजरीवाल @ArvindKejriwal) है, खुदे न अभी भ्रष्टाचार में जेल जा रहे हैँ।

"सवाल : आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जिताने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?"

दुनिया में भ्रष्टाचार को खतम करने के लिये चार बातें की - दुनिया में इमानदारी का इंडेक्स जारी होता है कि कौन देश उनमें जो देश प्रथम चार-पांच पर आते हैं उन लोगों ने चार बातें लागू की।
1. अच्छे लोगों को जनप्रतिनिधि के रूप में चून कर लाना।
2. सत्ता और संसाधनों का विकेंद्रिकरण, जो पंचायती राज के मूल जो बात लिखी गई है कि जो पावर है ज़ब तक आप निचले स्थर पर नहीं देंगे, कोई सुधार नहीं होगा।
3. जन भागीदारी
4. तकनिकी का उपयोग।

गुजरात में फैक्ट्री लग रहा है और आपके बच्चे?
आपको लग रहा है नेता ठग रहा है, सब नेता यही भाषण देता हैं, हम अच्छे हैँ  पीछे वाला ख़राब था। हम आपको दूसरी बात कह रहें, मान लीजिये जितना नेता है, सब अच्छा है। जिसने भी राज किया सबने अच्छा काम कर दिया। लालू जी ने कर दिया, नीतीश जी ने कर दिया, कांग्रेस ने भी बहुत विकास कर दिया। सबने जो काम कर दिया, उसको सही मान लीजिये, तब भी हमलोगों की जो दुर्दशा है वह आंख के सामने ही है।
सबके काम के बाद भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब, सबसे पिछड़ा, सबसे अशिक्षित, सबसे ज्यादा भुखमरी और बेरोजगारी वाला राज्य है। इतनी सी बात आप को समझ में आ जानी चाहिए कि जिस रास्ते से चल कर आप पिछले 50 साल से चल रहें हैँ, उस रास्ते से आपका कल्याण नहीं होने वाला। अगर होना होता तो कोई तो सुधार देता, और आज तो लग रहा है, सब नेता ठग है, सब नेता अपराध कर रहा है, ऐसा नहीं है। आप जिस बात के लिए वोट दें रहें हैं, वह चीज आपको मिल रही है।
आपने, हमने, सबने पांच किलो अनाज पर मोदी जी को वोट दिया है, तो बिहार में कितना भी भ्रष्टाचार है, एक किलो चोरी कर के चार किलो अनाज तो आपको मिल ही रहा है।
आपने वोट दिया है, राममंदिर के नाम पर, बिहार में स्कूल बने, चाहे ना बने, फैक्ट्री लगे चाहे ना लगे, आयोध्या में राममंदिर तो बन ही रहा है न?
आपने वोट दिया है बिजली के नाम पर, बिजली बिल चाहे 6 हजार आये या आठ हजार, घर-घर बिजली आ ही गई न?
आपने वोट दिया है उज्जवला ने गैस सिलिंडर पर, भले ₹1250/- अब आपको भरना पड़ता है, गैस सिलिंडर आपको मिला कि नहीं?
आपने वोट दिया है जात के नाम पर तो आज घरे-घरे जात की चर्चा, जात के गिनती हो रही है न?
आपने वोट दिया है, मोदीजी का 56" का सीना देखकर, रोज सुबह-शाम आपको टीवी पर मोदी जी दिखाई देते हैँ कि नहीं?
आपने वोट दिया है गुजरात के विकास की कहानी सुनकर, तो गुजरात में फैक्ट्री लग रहा है और आपके बच्चे गुजरात में जाकर मजदूरी कर रहें हैँ कि नहीं?
तो जौन (जिस) बात पर आपने वोट दिया, वह आपको नहीं मिला तो हमको बता दीजिए। किस बात पर आपने वोट दिया जो अब तक आपको नहीं मिला, बताईए।
आपने, अपने बच्चों के पढ़ाई ओर रोजगार के लिए वोटें ही नहीं दिया तो आपका जीवन सुधरेगा कैसे?
यही बताने के लिए पैदल चल रहा हूँ। आपसे वोट नहीं मांग रहें, मेरे भाई, यदि आप अपने बच्चों की चिंता नहीं कीजिये तो, कोई दल, कोई नेता, आपके बच्चों की चिंता नहीं करने वाला। काहे करेगा.?


आज समस्या पढ़-लिख कर बेकार बैठा है-
15/04/2023
हमारे सामने 20-25 छोटे-छोटे बच्चे दौड़तें हैं, आधा से ज्यादा बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा नहीं, बच्चों के पर में चप्पल नहीं है। आज समस्या आधा पेट* खा कर सो रहा है, आज समस्या पढ़-लिख कर बेकार बैठा है, लेकिन आपके शरीर आपके दिमाग़ में जाति-धर्म घुस गया है कि आपको अपने बच्चे की तकलीफ भी नहीं दिखाई दे रही। आपको घर में बैठा बेरोजगार लड़का नहीं दिख रहा है, आपको यहाँ से बैठे-बैठे चाइना दिख रहा है। यहाँ से पुलवामा-पाकिस्तान दिख रहा है, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है वह क्या प्रशांत किशोर के लिये खड़ा होयेगा? कभी नहीं खड़ा होईयेगा, इसीलिए आपको हाथ जोड़ कर कहतें हैं, पहले अपने बच्चों के लिये खड़ा होइए। मेरे लिए नहीं, किसी दल के लिए नहीं, अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए खड़ा होइए।
एकबार संकल्प लीजिये कि, नेता के लिए नहीं, किसी जाति के लिए नहीं, किसी विचारधारा के लिये नहीं, एकबार अपने बच्चों के लिये वोट कीजिये, तभी बिहार सुधरेगा, नहीं तो इसको कोई नहीं सुधार सकता।

लोकसभा चुनाव 2024

प्रश्न : लोकसभा चुनाव 2024 में जन सुराज बिहार में 40 लोकसभा सीट पर क्या अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी ?
उत्तर : यह तो हम अभी नहीं बता सकतें, कारण की मेरी यह यात्रा अभी कितने दिन चलेगी, यह मेरे बस में नहीं, यदि मैं बीमार नहीं पड़ा तो भी अभी 1.5 साल लगेगा.. इससे पहले कोई दल बना के चुनाव लड़ना संभव नहीं होगा.. हाँ यदि आप जो जन-सुराज के संस्थापक सदस्य कोई उम्मीदवार खड़ा करता है और हमारी मदद मांगता है तो जरूर की जाएगी.. लेकिन अभी दल बना कर जल्दीबाज़ी में चुनाव लड़ने की मेरी कोई योजना नहीं है।

आपका आत्मविश्वास ही खतम हो गया है।
15/04/2023

बिहार की कोई ऐसी समस्या नहीं है जो आपको पता नहीं, कोई नेता, कोई विद्वान, कोई व्यक्ति आकर कोई ऐसी बात आपको बिहार के बारे में  बता सकतें जिसको आप जानते नहीं। सबको मालूम है कि यहाँ समस्या क्या है। सबलोग ये भी चाहतें हैं कि ये सुधार हो। लेकिन यह सुधर नहीं रहा। समस्या यह है कि यह सुधरेगा कैसे? और लोगों को उसका उपाय भी पता है। लोग रोज कह भी रहें हैं कि भईया जाति ख़तम हो जाएगा तो सुधर जाएगा। अच्छा आदमी हमलोग चुन देंगे तो सुधर जाएगा। लेकिन आप कर नहीं पा रहें, आपका आत्मविश्वास ही खतम हो गया है।

अभी जो जन सुराज के लिए जुड़ रहें हैं, वो समाज के लिए जुड़ रहें हैं  ऐसा मैं नहीं मानता, आपमें से बहुत अच्छी भावना रखने वाले लोग भी है, लेकिन ज्यादातर आदमी, मुझे इस बात का एहसास है, ज्यादातर आदमी इसलिए जुड़ रहा कि 10 साल जो काम को उसने सुना है, उसको मालूम है कि इस आदमी को ओर कुछ आये ना आये, चुनाव जिताने आता है।

इसलिए कुछ आदमी उत्साह में, कुछ आदमी बैमन से ही सही लेकिन डर से कि कहीं कुछ नया खड़ा न हो जाए तो हम छुट न जायँ। इस बात का हमको अहसास है, लोग बड़ी-बड़ी बात कहतें हैं, समाज सुधारने के लिए, बिहार सुधारने के लिए, देश सुधारने के लिए। भैया हर आदमी देख रहा है कि अपना अवसर हमको तुरंत मिल जाए, जल्दी आगे बढ़ जायँ। हमसे ज्यादा लोग घबराहट में है। हम कह रहें हैं अभी पैदल चलने में दो वर्ष लगेगा, पर आदमी लोग जुड़ता है हमसे आकर कहता है भईया इसको जल्दी कीजिये। कल हमको विधयाक का टिकट दे दीजिये, 🤑🤑 परसो मंत्री बना दीजिये। और

आप समाज सुधार की बात कर रहें हैं, तो यह पूरा अभियान है यह नेताओं को गाली देने का अभियान नहीं है। यह जन आंदोलन भी नहीं है।यहाँ सब आंदोलन करनेवाले लोग बैठें हैँ। ये अपने अनुभव से आपको बताएँगे, पर मैंने जो जीवन में सीखा है, मेरा आंदोलनों में कोई यकीन नहीं।

जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है।

15/04/2023

आप मानव सभ्यता के इतिहास को पढ़ियेगा तो पता चलेगा, पुरे विश्व के आंदोलनों के इतिहास में में एक फ़्रांस के आंदोलन को अपवाद के तौर पर आप हटा दीजिये, तो किसी आंदोलन से मानव सभ्यता का कोई सृजन नहीं हुआ है, आंदोलन से आप किसी को सत्ता से हटा सकतें हैं, आंदोलनों से आप बड़े से बड़े सल्तनत को उखाड़ सकतें हैं,

जैसा आपने देखा जेपी का आंदोलन हुआ, उससे आपने इंदिरा गाँधी की सत्ता को उखाड़ दिया। उससे नया भारत, नया बिहार नहीं बना। क्योंकि आंदोलन वह तेज़ हथियार है जिससे आप बड़े से बड़े वृक्ष को काट सकतें हैं, कितना भी तेज़ हथियार आपके पास हो, पौधे को पेड़ नहीं बना सकतें। सृजन का अपना एक समय है।

आप खेत में बीज डालतें हैं तो तीन महीने के बाद ही वो फसल होगा। इसलिये घबड़ाने से नहीं होने वाला, इसलिए मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं। दस साल के कामों के अनुभव से मैंने इसकी एक परिकल्पना की है, जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है। जन सुराज, समाज की मदद से एक नई व्यवस्था बनाने का प्रयास है।



बिहार के लोगों का दल हो। (14/04/2023)
194 Days हाजीपुर, लालगंज, जिला - वैशाली 
जन सुराज क्या है, यह दल नहीं है, यह चुनाव लड़ने का अभियान नहीं है, यह कोई जन-आंदोलन भी नहीं है। मेरा आंदोलनों में कोई यकीन नहीं। मानव सभ्यता के इतिहास को आप पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि फ्रांस के आंदोलन को अपवाद के रूप में आप छोड़ दें तो, किसी आंदोलनों से, किसी भी क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। आंदोलन और क्रांति, लोगों को सत्ता से हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिए नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है, जिससे बड़े से बड़े वृक्ष को आप काट सकतें हैं, लेकिन कितना भी तेज़ हथियार होगा, उससे पौधे से वृक्ष नहीं बनाया जा सकता।

जन सुराज, ना एक दल है ना कोई आंदोलन, यह समाज की मदद से एक नई राजनीति व्यवस्था बनाने का एक प्रयास है। जिसमें दल तो बने, लेकिन उसे समाज के सही लोग मिलकर बनायेँ। कोई प्रशांत किशोर, कोई जाति का दल न हो। वो बिहार के लोगों का दल हो। 14/04/2023

बिहार के गौरव को वापस लाना है: (14/04/2023)
इसका नाम है जन सुराज, प्रशांत किशोर का सुराज नहीं है। नेता का बेटा बढ़िया स्कूल में पढ़ रहा है, आपका बेटा BA भी करेगा तो चपरासी बानेगा..आपके बच्चा पढ़-लिख कर घर में बैठा है, शरीर पर कपड़ा नहीं है, और आप जाति, धर्म, पुलवामा में लगे हैं। आप अपने लिये नहीं अपने बच्चों के लिये कुछ कीजिये..

यदि दम है तो यह भी बोलिए कि हमको अपने जाति का ही नेता चाहिए नहीं तो बोलिए "आपको अपने बच्चों के लिए रोजगार चाहिए कि पांच किलो अनाज चाहिए? आपको जाति चाहिए कि बच्चों के लिए शिक्षा चाहिए? आपको समझ में आये तो ठीक है, नहीं तो आप ऐसे ही रहेंगे। बिहार में किसी आदमी की हिम्मत नहीं की पैदल चलकर आपको जगा सके, पिछले 190 दिनों से पैदल चल रहा हूँ।

अभी एक-डेढ़ साल और पैदल चलूँगा.. नारा लगाएं जय बिहार -जय जय बिहार। यह नारा बिहार के गौरव को वापस लाना है.. बिहार के बच्चे आपके हमारे घर के लोग जब काम करने जातें हैं तो बिहार के बहार हमें गाली दिया जाता है.. यह धरती देवताओँ की धरती है.. यह नारा गूंजना चाहिए.. पुरे देश को सुनना चाहिए.. जिसको मेरे साथ चलना है हाथ मिलाएं, नहीं तो सोचते रहें। 14/04/2023🌹👌


गाँव की समस्या : 13-04-2023
प्रश्न :
1. बिहार में जंगली जानवरों की समस्या है।
खेती ही हमारी मुख्य आमदनी है।
2. गन्ना की समस्या है.. गन्ना 90% रिजेक्ट (घटोली) में तौला जाता है.. हम लाचारी में गन्ना उसी मिल को बेचना पड़ता है।
3. तीसरी समस्या है यहाँ क्रॉप्शन की समस्या है।
आपकी सोच का मैं कायल हूँ.. अच्छे लोग को सामने लाने का प्रयास कर रहें हैँ, पर समाज तो खुद बहुत भ्रष्ट हो चूका हो।

जबाब : अच्छे लोग के साथ सही लोग भी लगा है। हम मजबूत आदमी को नहीं खोज रहें हैं, यदि 100 में 1 आदमी अच्छा है तो बिहार में डेढ़ लाख तो अच्छे आदमी आज भी बचे हैं न? पुरे बिहार को 1500 लोग ही चलाते हैं.. यदि मेरी यात्रा से 15000 अच्छे और सही आदमी मिल जाय तो हम सफल हो सकतें हैं।

पेड़ की टहनी की बात करने समस्या नहीं सुलझेगी, पेड़ के जड़ की बात करनी होगी। 
हमलोगों ने गुजरात के आदमी को 40 में 39 सीट दिए जिसको शुरू में हम जानते तक नहीं थे, फिर वह धर्म के नाम पर वोट माँगा, देने लगे, अब तो 100 में 50 आदमी मोदीजी को वोट देने के लिए पागल है, मानो इनका धर्म ही कोई लूट के ले जायेगा, यदि मोदी जी को वोट नहीं दिया तो, जो मोदी को वोट नहीं देना चाहते, उनको लालटेन की रोशनी में ही रास्ता दीखता है, कभी आपको राममंदिर दिखने लगता है, कभी पुलवामा, आप अपने बच्चों के साथ खड़े ही नहीं, आप हमारे साथ खड़े होंगे? किसको मुर्ख बना रहें हैं.. पहले अपने बच्चों के लिए तो वोट डालिये, वोट देने के समय आपको सब आ कर बोलेंगे, पाकिस्तान पिछवाड़े में आ गईल बाड़े, मोदीजी को वोट देवो.. सब भूल जाइए बच्चोवा के स्कूल को, शिक्षा के, रोजगार के। उद्योग गुजरात में लगी, और बिहार के लोग वहाँ मजदूरी कर के ख़ुश.. 
रही बात पदयात्रा के खर्च की बात, तो समझ लीजिये, पैसा लगता है, हेलीकाप्टर पर चलने में, भीड़ जुटाने में, विज्ञापन देने में, हम तो पैदल चल रहें हैँ, ना भीड़ जुटाने में मेरी कोई इच्छा है, ना ही कोई विज्ञापन देने में। जो लोग मुझे पैसा दे रहा है वह क्यों देगा मुझे पैसा? बिहार में बचा ही क्या जो लोग हमको पैसा देगा, हम उनका काम करतें हैं, उसका पैसा मुझे मिलता है।

आपको घर में बैठा बेरोजगार लड़का नहीं दिख रहा है, आपको यहाँ से बैठे-बैठे चाइना दिख रहा है। यहाँ से पुलवामा-पाकिस्तान दिख रहा है, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है वह क्या प्रशांत किशोर के लिये खड़ा होयेगा? 15/03/2023

बिहार में फैक्ट्री क्यूँ नहीं
जानते हैं बिहार में फैक्ट्री क्यूँ नहीं? मोदीजी चाहतें ही नहीं कि यहाँ फैक्ट्री लगे, देखते नहीं गुजरात में ही उनका सारा फोकस है.. आप यह बात न समझ रहें हैँ, ना समझने की कोशिश कर रहें हैं.. बिहार में विकास हो जाएगा तो सबसे सस्ता लेबर इनको मिलेगा कैसे? 10 हजार 12 हजार में आपके बच्चे गुजरात जा कर काम कर रहें हैं, और वहाँ से बना उत्पादन,  बिहार में बेचा जाता हैं। जो काम अंग्रेज कर रहें थे वही काम तो ये सब नेता कर रहें हैं, अंग्रेज भी यही करते थे, लेबर, कपास यहाँ का, फैक्ट्री विदेश में, कपड़ा बना कर फिर हमें ही बेचना.. आप ज़ब तक समस्या को जड़ से नहीं काटेंगे, कितना भी आप प्रयास कर ले बिहार की गरीबी कोई नहीं दूर कर सकता.. आप जिनको जाति, धर्म, पुलावामा के झांसे में वोट दे रहें हैं, आगे भी ऐसे ही देते रह जायेंगे। हर पांच साल में ये लोग कोई नया मुद्दा लाएंगे, 10-15 दिन उस मुद्दे में उलझायेंगे, फिर पांच साल आपकी समस्या गौण रह जाएगी.. आपने वोट ही जब दिया हिन्दू-मुस्लिम पर, जाति पर, राममंदिर पर तो आपको दूसरी उम्मीद करनी भी नहीं चाहिए। फैक्ट्री, स्कूल, शिक्षा, गली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य ज़ब आपकी समस्या ही नहीं तो इसमें नेता का क्या दोष? लोकसभा में वोट धर्म के नाम पर, पाकिस्तान के नाम पर मोदीजी वोट ले जायेंगे, विधानसभा में जाति, पाती.. नाती.. पोता.. तो खिचड़ी ही न मिलेगी बच्चों को शिक्षा तो मिलने से रही। स्कूल में खिचड़ी, कॉलेज में डिक्री.. फिर 10 हजार की नौकरी गुजरात में, बंगलौर, दिल्ली में, यही आपके भाग्य में लिखा है, तो नेता को गाली देने से क्या होगा?