crok ai की मदद से लिखी आज की नये भारत की कहानी।
एक घने जंगल में, जहाँ शेर की दहाड़ और चिड़ियों की हलचल मचती थी, वहाँ बंदरों का एक गैंग रहता था। इस गैंग का सरगना था मक्कार, ठग, चालाक बंदर, जिसकी आँखों में चालाकी और जुबान में मिठास भरी थी।
इस बंदर का गैंग जंगल में झूठी अफवाहें फैलाने में माहिर था। कभी कहते, "सूखा पड़ने वाला है, सारा पानी खत्म हो जाएगा!" तो कभी चिल्लाते, "शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर है, सबको खा जाएगा!" जानवर डर के मारे इधर-उधर भागते, और मक्कार अपनी दुकान चलाता। उसने एक छोटी-सी दुकान खोल रखी थी, जहाँ वो डरे हुए जानवरों को "सुरक्षा का सामान" बेचता—जैसे सूखे के लिए पुरानी घास या शेर से बचने के लिए पेड़ की टूटी टहनियाँ। इसी प्रकार उसने अपने गिरोह में कुत्ते भी पाल रखे थे जो, ये कुत्ते, अफवाहों को फैलाने में इस गैंग की मदद किया करते थे, बदले में ठग उनको जंगल को लूटने की छूट दे रखा था।
जब भी जंगल में चुनाव आता ये गैंग नई-नई अफवाहों का बाजार गर्म कर देता।
एक दिन उसने नई अफवाह उड़ाई, "जंगल में भूत आया है! रात को जो भी बाहर निकलेगा, वो गायब हो जाएगा!" इस भूत से बचने के लिए सिर्फ उसकी ही दुकान में जो जड़ी-बूटी है वही काम करेगी।
हिरण, खरगोश और यहाँ तक कि भालू भी डर गए। सब इस ठग बंदर की दुकान पर पहुँचे और उससे "भूत भगाने की जड़ी-बूटी" खरीदी, जो असल में बस सूखी पत्तियाँ थीं। लेकिन जंगल में एक चतुर लोमड़ी भी रहती थी, जिसका नाम था लिली। उसने सोचा, "ये बंदर कुछ ज्यादा ही शोर मचा रहा है", सच क्या है, पता किया जाना चाहिए।
लिली ने रात को छिपकर देखा कि ठग बंदर और उसके गैंग के साथी खुद ही भूत बनकर जंगल में घूम रहे थे—सफेद चादर ओढ़े, अजीब आवाज़ें निकालते हुए।
लोमड़ी ने सारा प्लान समझ लिया। अगले दिन उसने सारे जानवरों को इकट्ठा किया और कहा, "आज रात हम सब मिलकर इनका भूत भगाएँगे।" रात हुई, ठग बंदर का गैंग फिर भूत बनकर निकला, लेकिन इस बार जानवर डरे नहीं। शेर ने दहाड़ मारी, भालू ने पंजा मारा, और हिरणों ने दौड़कर उन्हें घेर लिया। ठग बंदर और उसके साथी भागते-भागते जंगल से बाहर निकल गए।
उस दिन से जंगल में शांति छा गई। लिली को सबने धन्यवाद दिया, और ठग बंदर की दुकान हमेशा के लिए बंद हो गई। जानवरों ने समझ लिया कि डर का इलाज झूठ से नहीं, हिम्मत से होता है।
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