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सोमवार, 17 नवंबर 2014

धर्मनिरपेक्षता की आड़ में आंतकवाद को पनाह ?

(पंडित नेहरू के 125वी जयंती के अवसर पर) 
लेखक: शम्भु चौधरी


पंडित जवाहरलाल नेहरू की आलिशान कब्र को ढोहने वाली कांग्रेसी जमात की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने पंडित नेहरू के 125वी जयंती के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘नेहरू के विचार पर आज खतरा पैदा हो गया है। क्योंकि तथ्याों को गलत ढंग से रखा जा रहा है और तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को भारत के लिये अकाट्य जरूरत पर भी जोर दिया।’’ 
श्रीमती सोनिया गांधी का यह बयान कि पंडित नेहरू के विचार को खतरा पैदा हो गया  है यह खुद में कांग्रेस पार्टी की समाप्ति की तरफ इशारा भर  है। भला कब तक कांग्रेसी चम्मचे गांधी परिवार की  वैशाखी के भरोसे देश को लूटते रहेगें? भारत में कुकुरमुत्ते की तरह धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाली  राजनैतिक दलों का पैदा होना इस बात का सबूत है कि पंडित जी के विचार से देश का सत्यानाश भले ही किया जा सकता भारतीय सांस्कृतिक विकास कदापि संभव नहीं है। 

पिछले 65 सालों में इस देश में धर्मनिरपेक्षता की राजनीति सिर्फ सत्ता को प्राप्त करने के लिये किया जाता रहा है। चाहे वह कांग्रेस पार्टी रही हो या अन्य कोई भी आंचलिक राजनैतिक पार्टी, सबके सब येन-केन प्रकारेण मुसलमानों का राजनैतिक दोहन कर खुद को सत्ता में स्थापित कर देश को लूटना इनका एकमात्र लक्ष्य रहा है। आज देश की जनता ने एकमत से इनको किनरे लगा दिया है।

आज यह प्रमाणित होता जा रहा है कि भारत में जिसप्रकार की सेक्लुरिजम की रोटी सैंकी जा रही है इससे देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा होने लगा है। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के नाम पर इस देश में ईस्लामिक आंतकवाद को बढ़ावा मिलने लगा है। 

आज भारत के तमाम शहरों में इन राजनैतिक दलों की सुरक्षा कवच पहनकर मुस्लीम आतंकवादी भारत में तेजी से पनप रहे हैं। इन आतंकवदियों का सीधा शिकार सबसे पहले भारतीय मुसलमानों होतें हैं। उनको पहले धर्म की दुहाई दी जाती है फिर धन का लालच देकर इन नदान बच्चों को ये आतंकवादी अपना हथियार बना लेते हैं और यहीं से शुरू होती है इनकी कारगुजारी की शुरूआत। स्नेह-स्नेह इन आतंकवादियों ने भारत के पुर्वत्तर सहीत देश की कई सीमाई राज्यों में अपना जाल से फैला दिया है। इसके लिये पूर्णरूप से पंडित नेहरू की विचारधारा ही जिम्मेदार मानी जा सकती है। जिन्होंने इन्हें वोटबैंक के रूप में सत्ता प्राप्त करने का जरिया मान लिया है। 

 बर्दमान विस्फोट कांड में ‘एनआईए’ की टीम की सक्रियता ने इन दिनों इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों की नींद ही उड़ा दी है। एक के बाद एक, परत दर परत मदरसों के माध्यम से भारत में सांप्रदायिक जहिरले तार बिछते जा रहे थे। बिहार के बाद बंगाल में इन आतंकवदियों का सुरक्षित कोरीडोर बनाने में आखिर किसने मदद की यह भारतीय राजनीति के लिये शौध का विषय है।

हाँ! यदि कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया जी यह मानती है कि पंडित नेहरू के यही बिचार थे कि भारत को आतंकवदियों को भरोसे सुपुर्द कर दिया जाय तो ऐसे विचारों को आज ना तो कल तो खतरा पैदा होना ही था। धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर ईस्लामिक आतंकवाद को भारत में संरक्षण देना यदि पंडित नेहरू की विचारधारा का मूल मंत्र है तो ऐसी विचारधारा किसी भी रूप में भारत को कभी भी स्वीकार नहीं।