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सोमवार, 15 अप्रैल 2019

भारत में महाभारत-6

हर-हर मोदी वर्ससेज घर-घर कन्हैया

मोदी जी (भाजपा) यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि उनको देश में युवाओं से कड़ी चुनौती मिल सकती है। इसके लिये उन्होंने दो मार्ग अपनाये कि किसी भी प्रकार या तो इन युवाओं को बदनाम कर दिया जाए या उसे देशद्रोही ठहरा दिया जाए । जिस प्रकार दिल्ली में पिछली  विधान सभा के चुनाव में अरविंद केजरीवाल को 'भगोड़ा' बोलकर बदनाम करने की एक बड़ी साजिश की गई, मोदी सत्ता की अपनी पुरी ताकत झोंक दी, आरएस,एस सहित तमाम संगठन दिल्ली में डेरा डाल दिये थे कि किसी भी प्रकार दिल्ली की सत्ता केजरीवाल से छीन ली जाए, जो नाकाम ही नहीं हुई भाजपा की 28 विधान सभा की सीट भी इस चक्कर में हाथ से चली गई।  वहीं गुजरात में हार्दिक पटेल (आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं) को देशद्रोही बना दिया गया और उसे इस कदर बदनाम करने का प्रयास किया गया जिसमें फर्जी सैक्स सीडी तक का भी ईस्तमाल किया गया ।  फर्जी मामले में आनन-फानन में उन्हें 2 साल की सजा भी सुनवा दी गई ताकि मोदी के लिए व अगले छः साल कोई चुनौती न बन सके।  वही हाल इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेड करने वाले एक युवा डॉ कन्हैया कुमार  के ऊपर भी फर्जी देशद्रोह का मुकदमा चलाने का प्रयास किया गया । कन्हैया कुमार को  लोकसभा चुनाव में रोकने की भरपूर तैयारी कर ली थी मोदी सकार ने परन्तु  कंस की मौत जब कृष्ण के हाथों ही लिखी तो वह सात तालों में कन्हैया को  कंस  कैद नहीं कर सका । मोदी की हर चाल  विफल होती चली गई ।  बात-बात में देश से लोगों को पाकिस्तान भेज देने वाले गिरीराज सिंह के दिन भी  खराब आ गये कि बेचारे को एक कीड़ी जैसा दिखने वाले अदने से युवक के सामने जिसने राजनीति का ‘क’ भी नहीं सीखा के सामने खड़ा कर दिया और  बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को बार-बार पानी पीने की नौबत आ गई । 
कन्हैया कुमार अखिल भारतीय छात्र परिषद  (AISF),जो  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  (CPI) की स्टूडैंट विंग हैए के नेता हैं। वह 2015 में जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे।  इनको  दिल्ली पुलिस ने एक साज़िश के तहत गिरफ्तार लिया था । अदालत ने सबूत ना प्रस्तुत किये  जाने पर जमानत पर रिहा कर दिया। दिल्ली पुलिस का कहना है कि जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (२०१६) में जब राष्‍ट्रविरोधी नारे लगाये जा रहे थे तब कन्हैया भी वहां मौजूद था जो कि एक सरासर झूठा और मनगढ़ंत आरोप है । मोदी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि किसी भी  झूठ को इतनी ताकत से फैलाया जाए कि वह सच लगने लगे और  साथ ही  उस झूठ को सुनने से लोगों की भावना भी आहत हो ऐसा लगना चाहिये।
परन्तु मोदी शायद भूल गये थे कि यह गुजरात नहीं है जहां हार्दिक पटेल को दो साल की सजा सुनवा दी गई यह भारत है ।  कोई किसी जज या पत्रकार की हत्या करवा सकता है और कानून उन मामलों को दबाने में सहयोग करे तो उसे इस बात के लिये भी तैयार हो जाना चाहिये कि जो आदमी यह सब करवा सकता है वह किसी के साथ भी ऐसा करने से परहेज नहीं करेगा । इस लोकतंत्र की रक्षा करने के लिये सभी पत्रकारों को भगत सिंह बनने का समय आ गया है। पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है इसे साबित करने का यह सही अवसर है कि वे मुखर हो कर अपनी बात जनता तक पंहुचायें।
आज यह बात लिखने में जरा भी संकोच नहीं दिखाना चाहिये कि कन्हैया कुमार इस बार चुनाव परिणाम के चुनाव आयोग के तमाम पिछले रिकॉर्ड को तौड़ देगा ।  एनडीटीवी के  रवीश कुमार से बात करते हुए - "कन्हैया कुमार ने कहा कि मेरा अपना अनुमान है कि अगर मैं चुनाव जीतकर संसद जाउँगा तो शायद नरेंद्र मोदी वहां नहीं होंगे, क्योंकि मैं उसी स्थिति में चुनाव जीतूंगा जब भाजपा विरोधी माहौल पूरे देश में बनेगा. अब कुछ लोगों ने बेगूसराय में बोलना शुरू किया है कि देश में क्या होगा नहीं जानते, लेकिन बेगूसराय में तो आपको जिताएंगे."  जयहिन्द !

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