इस बार देश में अजीबो-गरीब एक घटना घटी। भ्रष्टाचार व तैयारी में हो रही विलम्बता के चलते विश्व भर की मीडिया से घिरी कॉमनवेल्थ खेल आयोजक समिति को अचानक से राष्ट्र के गौरव की याद सताने लगी। कॉमनवेल्थ खेल के विदेशी सदस्यों से भारत के गौरव की भीख माँगे जाने लगी, कि कम से कम वे लोग भारत के गौरव का ध्यान रखें, जबाब में मिला भारतवासियों को एक तमाचा। जरा इन भ्रष्ट नेताओं से कोई पूछे कि जब ये संसद या विधान सभाओं के भीतर लत्तम-जूता करते हैं तब देश का गौरव किधर जाता है? जब ये देश को लूटने में लगे रहते हैं तब इनका स्वाभिमान को क्या हो जाता है? जब ये विदेशों में नन्गे होकर चुपचाप घर आते हैं तब इनका आत्मसम्मान को डंक क्यों नहीं मारता? जब ये लोग खेल को व्यवसाय बनाकर खेल की नकली नीलामी करते हैं और अपराधियों को बचाने के लिए बयानबाज़ी करते हैं तब इनके स्वाभिमान को क्या हो जाता है?
शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010
लोहिया संसद में बोल रहें हैं- शम्भु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:10 pm
Labels: लोहियाजी, शम्भु चौधरी
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