अरविंद केजरीवाल ने सचिवालय की छत से जनता को संबोधित कर जनता को धेर्य रखने को कहा कि ‘‘जल्द ही व्यवस्थित रूप से पुनः जनता दरबार लगाया जाएगा। अरविंद ने अपने बयान में कहा कि इतनी भीड़ की उनको उम्मीद नहीं थी। इसके लिय नये सिरे से पूरी व्यवस्था करनी होगी। जिससे लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द निदान हो सके।’’
दिल्लीः दिनांक 11 जनवरी’2014 - सरकार हो तो ऐसी जो जनता के दर्द को अपना दर्द बना लें। दिल्ली में सचिवालय के बाहर ‘आम आदमी पार्टी की सरकार’’ के द्वारा जनता दरबार में जनता की समस्या इतनी देखने को मिली की शायद कभी किसी ने उनकी सुध तक ना ली हो। जैसे ही आज से सुबह 9.30 बजे से जनता दरबार लगाने की घोषणा हुई जनता को लगा कि कोई उनकी बात सुनेगा, जनता अपने आवेदन और समस्याओं के साथ उमड़ पड़ी।
आज की बैकाबू भीड़ को देखकर अरविंद केजरीवाल को आज की जनता दरबार को बीच में ही रोक देना पड़ा।
अरविंद केजरीवाल ने सचिवालय की छत से जनता को संबोधित कर जनता को धेर्य रखने को कहा कि ‘‘जल्द ही व्यवस्थित रूप से पुनः जनता दरबार लगाया जाएगा। अरविंद ने अपने बयान में कहा कि इतनी भीड़ की उनको उम्मीद नहीं थी। इसके लिय नये सिरे से पूरी व्यवस्था करनी होगी। जिससे लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द निदान हो सके।’’
इस जनता दरबार में सबसे बड़ी समस्या जो देखने को मिली वह लोग समूह के रूप में ज्यादा आ रहे थे। ठेकेदारी में काम कर रहे मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या थी जो लोग बड़े-बड़े ग्रुप बनाकर जनता दरबार में आ गये । जिससे पूरी-पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे चरमरा गई।
कहावत है ‘‘एक अनार-सौ बीमार’’ अरविंद केजरीवाल और इनके मंत्री ज्यों-ज्यों जनता के दर्द को सहलाते गए यह दर्द जख्म का रूप धारण करता गया। मानो दिल्ली की जनता में पिछले 30 सालों से इस दर्द को सहने की आदत सी बन गई थी। असफलता सफलता की कुंजी होती है। आज अरविंद केजरीवाल ने फिर प्रमाणित कर दिया की वे आज भी जनता के साथ हैं। भले ही आज इस दरबार से जनता की समस्या ना सुनी जा सकी हो पर यह तो साफ हो गया कि समस्या की जड़ें बहुत पुरानी है जिसे जड़ से ही समाप्त करना होगा।
1 विचार मंच:
हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन लाल बहादुर शास्त्री जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।