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सोमवार, 13 जनवरी 2014

बात पते की - मोदी की हवा?

सच है कि राजनीति में घोड़े की चाल हमेशा 2.5 की होती है। शह-मात का खेल जो चलना था नितिन गड़करी जी को, सो उन्होंने डा.हर्षबर्धन को साफ मना कर दिया कि वे किसी की बात ना सुने। जाहिर था इन सबके पीछे सुषमा स्वराज और सबके पीछे थे प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये आडवाणी जी। मोदी की हवा तो निकलनी ही थी।

 दिल्ली भाजपा ने मोदी का पूरा खेल ही बिगाड़ दिया अब मोदी पगला गये, इनके समर्थक गाल-गलौज की भाषा का प्रयोग करने को ऊतारु हैं। इनको लगने लगा कि दिल्ली अब दूर हो गई है। चंद दिनों पहले तक मोदी के समर्थन में एक तरफा हवा बह रही थी, पिछले पांच राज्यों के चुनाव में 4 उत्तर भारत के राज्य ऐसे थे जिसमें भाजपा की एकतरफ़ा जीत दर्ज थी।

परन्तु भाजपा के पुराने खिलाड़ी और राजनाथजी के कट्टर विरोधी दिल्ली भाजपा के प्रभारी श्री मान् नितिन गडकरी जी भीतर ही भीतर मोदी के रथ को रोकने की योजना पर कार्य कर रहे थे इसके लिये उन्होंने विजय गोयल की दुखती नब्जों को सहलाया और दिल्ली में कमजोर नेतृत्व को सामने ला खड़ा किया।

डा. हर्षवर्धन जी जो 32 सीटों पर जीत प्राप्त कर प्रथम स्थान पर थे सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर ‘आप’ और कांग्रेस को आपस में उलझा सकते थे। परन्तु गडकरीजी ने फोन पर उनको ऐसा करने से मना कर दिया कि ‘‘वे सरकार बनाने का दावा ना करें।’’ बात बड़े नेता की माननी थी सो डा.हर्षबर्धन जी ने चुनाव परिणाम के आते ही शाम को अपने हाथ खड़े कर दिये।

उधर भाजपा अध्यक्ष राजनाथजी दावा कर रहे थे कि वे 4-0 से आगे हैं कि नितिन गडकरी ने हवा निकाल दी। राजनाथजी चाह कर भी डा.हर्षबर्धन को मना नहीं पाये कि वे कम से कम सरकार बनाने का दावा तो प्रस्तुत करें। ताकी विधानसभा में दोनो पार्टियों का रूख क्या रहता है इसका अंदाजा जनता को स्वतः ही लग जाये।

सच है कि राजनीति में घोड़े की चाल हमेशा 2.5 की होती है। शह-मात का खेल जो चलना था नितिन गड़करी जी को, सो उन्होंने डा.हर्षबर्धन को साफ मना कर दिया कि वे किसी की बात ना सुने। जाहिर था इन सबके पीछे सुषमा स्वराज और सबके पीछे थे प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये आडवाणी जी। मोदी की हवा तो निकलनी ही थी।

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