Translate

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

बात पते कीः ‘राजधर्म’ ? - शम्भु चौधरी


 लोकसभा का चुनाव सर पर आ गया। कांग्रेस पार्टी में हार की बैचेनी साफ दिखने लगी है। वहीं दिल्ली फ़तह में जुटी भाजपा देश की जनता में देश प्रेम की भावना (गुब्बारे में हवा) भरने में लगी है। यही भाजपा एक बार देश में ठीक इसी प्रकार का प्रयोग राम मंदिर बनाने के मुद्दे पर कर चुकी है।  ‘‘कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनायेगें’’ सरकार बनते ही मंदिर गया बुट लादने। कैसा राम मंदिर? मंदिर तो हमारे एजेंडे में था ही नहीं। यह तो एनडीए की सरकार है। भाजपा की सरकार बनेगी तब सोचेगें। न्यायालय का आदेश आने से या सुलह हो जाने से राम मंदिर बनाया जायेगा। फिर कुछ दिनों बाद भाषा में थोड़ा बदलाव आया। राममंदिर हमारे लिये एक राष्ट्रीय मुद्दा है। इससे देश के करोड़ों लोगों की जन भावना जुड़ी हुई है।
2014 के चुनाव में भाजपा ने मंदिर मुद्दे कुल मिलाकर पल्ला ही झाड़ लिया है। अब इस बूढ़ी घोड़ी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लाल लगाम चढ़ा दी है। मोदीजी दुल्हे की तरह जँचने भी लगे। सज-धज के तैयार गुजरात के वीर पुरुष श्री नरेंद्र मोदी जी रोज नये-नये सपने देखने लगे हैं।

श्री नरेंद्र मोदी जी अभी तक अटल जी की एक अटल वाक्य को बोल नहीं पाये ‘‘राजधर्म का पालन करें’’   हाँ! मोदीजी इसी बात को कई प्रकार से समझाने में लगे हैं कि ‘‘सरकार का एक ही धर्म है ‘इंडिया फस्ट’, एक ही धर्मग्रंथ है ‘देश का संविधान’, एक ही भक्ति है ‘देश भक्ति’ फिर कुछ दिनों बाद याद आया तो इस कलाम में एक वाक्य और जोड़ दिये देश की एक ही शक्ति है ‘जन शक्ति’ कोटी जनता देश की जनशक्ति, सरकार की एक ही पूजा होती है देश के 125 करोड़ जनता की भलाई। अब तो मुसलमानों के गुणगान में भी कशिदे पढ़ने लगे।  


मोदी जी आप इतना लंबा-चौड़ा भाषण देकर अटल जी की एक वाक्य ‘‘राजधर्म का पालन करें’’ को हमें समझाने में लगे हैं। आप क्या समझते हैं कि आप और आपके समर्थक ही चतुर और बाकी मुर्ख? आपके समर्थकों ने तो अभी से ही आपा खो दिये हैं। हमें देशभक्ति का पाठ बाद में पढ़ा देना, चुनाव से पहले अपने समर्थकों को पाठ पढ़ा दो कि वे देशभक्ति में इतने मतवाले ना बन जाय कि आपका सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाए।
18.01.2014 (Kolkata) 

0 विचार मंच:

हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा

एक टिप्पणी भेजें