देश को संसद में, विधानसभा में लूटने वाले लोग, गठबंधन के नाम पर लोकतंत्र का चिरहरण करने वाले, लोकतंत्र को लूटतंत्र में तब्दील करने वाले लोग, चुनाव के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले लोग, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोग, कॉर्पोरेट चंदे के सौदागर, असामाजिक तत्वों के बल पर सत्ता प्राप्त करने वाले लोग, जनतंत्र को बर्वाद कर देने पर आमदा सत्ता की जोड़-तोड़ में माहिर शातिर लोगों को अचानक से सबकुछ अराजकता लगने लगी।
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता को संभालते ही महज दो दिनों जनता से किया वादा पूरा कर दिखाया। अरविंद केजरीवाल में कार्य करने की अदभुत क्षमता को देख देष आश्चर्यचकित है अपनी बीमारी के बावजूद भी केजरीवाल ने आम जनता से किये दो प्रमुख वादों में- पानी और बिजली क दामों में कटौती कर दिखा दिया कि सरकार चाहे तो जनता की भलाई के लिए कार्य करना चाहे तो इसमें कोई अड़चन नहीं आ सकती। ‘आप’ के मंत्री मनीश सिसोदिया, राखी बिड़ला जहाँ रात को रैन बसेरा का निरक्षण कर रहे तो, सोमनाथ भारती, सत्येन्द्र जैन, गिरीश सोनी और सौरभ भारद्वाज सभी अपने-अपने कार्य में लगे देखे गए। कई महत्वपूर्ण जनता के हित में फैसले लिए जा रहे हैं ।
जनता एक तरफ खुश नजर आ रही है तो दूसरी तरफ अन्य राजनीति दल एवं इनके द्वारा पोषित समाचार संपादकों, किसी के हाथ तो, किसी के पाँव भारी हो गए । इनको लगने लगा कि अब तक जिस दिल्ली को वे अपने आभा मंडल से हड़प लेना चाहते थे में सफलता नहीं मिल तो क्या हुआ हम अपनी पूरी ताकत झोंक देगें परन्तु केजरीवाल या ‘आप’ पार्टी को किसी भी हालात में मोदी के मार्ग में आने नहीं दिया जाएगा ।
अभी से ही इन लोगों ने आरोपों की झड़ी लगा दी । महज चार दिन में 40 आरोप जन्म हो गए। ऐसा क्यों किया? वैसे करने से क्या होगा? "जनता का पैसा है।" ‘आप’ वाले जनता का पैसा लुटाने में लग गए? आदि-आदि देश का धन लूटने वाले के मुंह से जनता के प्रति संवेदना के शब्द 30 साल बाद सुनने को मिल रहें हैं 15 साल भाजपा दिल्ली की सत्ता में रहकर भी गरीबों तक पानी पंहुचाने के नाम पर पानी बेचने का धंधा शुरू कर दिया तब इनको जनता की याद आई कि जनता के धन सदुपयोग कर जनता की सेवा की जाय अब अचानक से महज चार दिनों में इनको जनता के धन की चिंता सताने लगी।
15 साल कांग्रेस वाले सत्ता में राज्य किये। शीला जी ने कई विकास के काम किये तब इनको पानी की बात क्यों नहीं आई। दिल्ली के कई कॉलोनियों में आजादी के 60 साल बाद भी पानी की पाइप लाइन तक नहीं डाल पाये, दावा इतना कि मानो देश की तकदीर ही बदल डाली हो।
देश को संसद में, विधानसभा में लूटने वाले लोग, गठबंधन के नाम पर लोकतंत्र का चिरहरण करने वाले, लोकतंत्र को लूटतंत्र में तब्दील करने वाले लोग, चुनाव के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले लोग, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोग, कॉर्पोरेट चंदे के सौदागर, असामाजिक तत्वों के बल पर सत्ता प्राप्त करने वाले लोग, जनतंत्र को बर्वाद कर देने पर आमदा सत्ता की जोड़-तोड़ में माहिर शातिर लोगों को अचानक से सबकुछ अराजकता लगने लगी।
जनता से संवाद यदि अराजकता है तो जनता यही चाहती है। जनता की सत्ता में हिस्सेदारी यदि विद्रोह है तो हाँ! जनता इस विद्रोह के साथ है। जनता का धन लूटने से बचा के जनता के काम आता हो तो अरविंद के हर फैसले जनता को मंजूर है। आज देश करवटें ले रहा है। देश के अच्छे युवक देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। हमें हर हाल में इनका साथ देना चाहिये ।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने अपनी कविता शायद इन्हीं दिनों के लिये लिखी थी - ‘‘कलम आज इनकी जय बोल’’ मुझे गर्व हो रहा है कि हम आज सपने के भारत को पूर्व से उगता देख रहें हैं । भले ही इन युवकों में प्रशानिक क्षमता-दक्षता कम हो पर देश सेवा का जज्बा जो है इनमें। हम संतुष्ट है। आशा करता हूँ इनका भविष्य उज्जवल हो। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ नववर्ष की मंगलकामना करता हूँ। जय हिन्द, जय भारत!!
02-01-2014Please Like facebook
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