अब इस बात में कोई बहस नहीं रही कि देश में तीसरा विकल्प गर्भ में जन्म ले चुका है। जो कांग्रेस और भाजपा की भ्रष्ट राजनीति से अलग अपनी नई सोच रखता है। कांग्रेसवाद, भ्रष्टवाद, बामवाद, समाजवाद, गाँधीवाद, लोहियावाद, दक्षिणवाद, पश्चिमवाद, दलीतवाद, अल्पसंख्यकवाद, हिन्दूवाद, मुस्लिमवाद और ना जाने कितने वाद के वादों की भूलभुलैया के बीच एक नया वाद जिसे ‘इंसानवाद’ का नाम देना सटीक रहेगा, ने जन्म ले लिया है।
(कोलकाता- 15.01.2014) : दिल्ली विधानसभा के चुनाव में ‘आप’ को सफलता क्या मिली, भाजपा के कर्णधार नेतागण सबके सब अपनी नैतिकता को भूला बैठे। अपनी प्रमुख राजनीति प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस को निशाना लगाने से हटकर पूरे देश में ‘आप’ के खिलाफ जनमत बनाने में लग गई। अचानक से इनके ऊपर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा कि भाजपा को कांग्रेस से कहीं ज्यादा ‘आम आदमी’ से खतरा लगने लगा?
फेसबुक पर इनके समर्थकों की भाषा शर्मनाक तो हो ही चुकी है संघ संचालित व संघ विचारधारा के पोषक लेखकों की भाषा ने भी अपना संयम खो दिया है। कोलकाता के एक प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र ने तो अपनी संपादकीय में ही लिख दिया कि ‘‘ ‘आप’ को वोट देने के पहले सोचें’’ संपादक जी अभी से इतनी घबड़ाहट क्यों? कि इनको संपादकीय तक लिखना पड़ा।
कुछ लोग इसे पानी का बुलबुला मानते हैं तो कुछ चिल्लड़ पार्टी कहने से नहीं चुकते। इसमें बुरा तो कुछ भी नहीं दिखता। ये मानते हैं कि देश की जनता को अभी से जितना डराया और धमकाया जाएगा उतना वे मोदी के पक्ष में खड़े हो जायेंगे। मानो गुजरात मॉडल का प्रयोग संघी समर्थक पूरे देश में करना चाहते हैं।
जहां एक तरफ कांग्रेस आज काफी राहत महसूस कर रही है कि कल तक भाजपा का जो रूख उसके विरूद्ध था वह अब ‘आप’ के पीछे हाथ धो कर लग गयी है।
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी हाथ-पाँव अभी से ही फूलने लगे हैं। इनको लगता है कि कांग्रेस से कहीं ज्यादा नुकसान भाजपा को ‘आप’ से हो सकता है। वर्तमान हालत तो यही संकेत दे रहें हैं कि जिस पार्टी का अभी तक देश में ठंग से कोई संगठन तक नहीं तैयार है। जिसने महज मां के भ्रूण में कदम ही रखा है उसे मारने के लिये देश के तमाम जाने-माने राजनीतिज्ञों की एक फौज लामबंध हो चुकी है। शायद इसीलिये राजनीति से खुद को दूर रखने वाली सामाजिक व देश की संस्कृति की रक्षा में लिप्त संस्था के सरसंघचालक को इस बात की चिंता अभी से सताने लगी और लगे हाथ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा को हिदायत दे डाली कि ‘‘वह आम आदमी पार्टी को हल्के में ना लें’’
अब इस बात में कोई बहस नहीं रही कि देश में तीसरा विकल्प गर्भ में जन्म ले चुका है। जो कांग्रेस और भाजपा की भ्रष्ट राजनीति से अलग अपनी नई सोच रखता है। कांग्रेसवाद, भ्रष्टवाद, बामवाद, समाजवाद, गाँधीवाद, लोहियावाद, दक्षिणवाद, पश्चिमवाद, दलीतवाद, अल्पसंख्यकवाद, हिन्दूवाद, मुस्लिमवाद और ना जाने कितने वाद के वादों की भूलभुलैया के बीच एक नया वाद जिसे ‘इंसानवाद’ का नाम देना सटीक रहेगा, ने जन्म ले लिया है। शायद अरविंद केजरीवाल इसीलिए अपनी पार्टी के हर बैठक में कवि प्रदीप का यह गीत को गुनगुनाते हैं - ‘‘इंसान को इंसान से हो भाई चारा, यही पैगाम हमारा.. यही पैगाम हमारा।’’
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