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शुक्रवार, 28 मार्च 2025

राणा संगा ने बाबर को भारत बुलाया

 प्रश्न : भारत में बाबार को आने के लिए किसने निमंत्रण दिया?

grok ai ने दिया जबाब:

भारत में बाबर को आने के लिए निमंत्रण दिल्ली सल्तनत के शासक इब्राहिम लोदी के खिलाफ विद्रोह करने वाले कुछ स्थानीय शासकों और सरदारों ने दिया था। विशेष रूप से, राणा संगा (मेवाड़ के शासक) और दौलत खान लोदी (पंजाब के गवर्नर) जैसे लोगों ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया। 

उनका उद्देश्य इब्राहिम लोदी की सत्ता को कमजोर करना और अपनी स्थिति को मजबूत करना था। इसके परिणामस्वरूप बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई लड़ी और दिल्ली सल्तनत को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव रखी।


बुधवार, 26 मार्च 2025

आज का नया भारत

 crok ai की मदद से लिखी आज की नये भारत की कहानी।

एक घने जंगल में, जहाँ शेर की दहाड़ और चिड़ियों की हलचल मचती थी, वहाँ बंदरों का एक गैंग रहता था। इस गैंग का सरगना था मक्कार, ठग, चालाक बंदर, जिसकी आँखों में चालाकी और जुबान में मिठास भरी थी।

इस बंदर का गैंग जंगल में झूठी अफवाहें फैलाने में माहिर था। कभी कहते, "सूखा पड़ने वाला है, सारा पानी खत्म हो जाएगा!" तो कभी चिल्लाते, "शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर है, सबको खा जाएगा!" जानवर डर के मारे इधर-उधर भागते, और मक्कार अपनी दुकान चलाता। उसने एक छोटी-सी दुकान खोल रखी थी, जहाँ वो डरे हुए जानवरों को "सुरक्षा का सामान" बेचता—जैसे सूखे के लिए पुरानी घास या शेर से बचने के लिए पेड़ की टूटी टहनियाँ। इसी प्रकार उसने अपने गिरोह में कुत्ते भी पाल रखे थे जो, ये कुत्ते, अफवाहों को फैलाने में इस गैंग की मदद किया करते थे, बदले में ठग उनको जंगल को लूटने की छूट दे रखा था।

जब भी जंगल में चुनाव आता ये गैंग नई-नई अफवाहों का बाजार गर्म कर देता।

एक दिन उसने नई अफवाह उड़ाई, "जंगल में भूत आया है! रात को जो भी बाहर निकलेगा, वो गायब हो जाएगा!" इस भूत से बचने के लिए सिर्फ उसकी ही दुकान में जो जड़ी-बूटी है वही काम करेगी।

हिरण, खरगोश और यहाँ तक कि भालू भी डर गए। सब इस ठग बंदर की दुकान पर पहुँचे और उससे "भूत भगाने की जड़ी-बूटी" खरीदी, जो असल में बस सूखी पत्तियाँ थीं। लेकिन जंगल में एक चतुर लोमड़ी भी रहती थी, जिसका नाम था लिली। उसने सोचा, "ये बंदर कुछ ज्यादा ही शोर मचा रहा है", सच क्या है, पता किया जाना चाहिए।

लिली ने रात को छिपकर देखा कि ठग बंदर और उसके गैंग के साथी खुद ही भूत बनकर जंगल में घूम रहे थे—सफेद चादर ओढ़े, अजीब आवाज़ें निकालते हुए।

लोमड़ी ने सारा प्लान समझ लिया। अगले दिन उसने सारे जानवरों को इकट्ठा किया और कहा, "आज रात हम सब मिलकर इनका भूत भगाएँगे।" रात हुई, ठग बंदर का गैंग फिर भूत बनकर निकला, लेकिन इस बार जानवर डरे नहीं। शेर ने दहाड़ मारी, भालू ने पंजा मारा, और हिरणों ने दौड़कर उन्हें घेर लिया। ठग बंदर और उसके साथी भागते-भागते जंगल से बाहर निकल गए।

उस दिन से जंगल में शांति छा गई। लिली को सबने धन्यवाद दिया, और ठग बंदर की दुकान हमेशा के लिए बंद हो गई। जानवरों ने समझ लिया कि डर का इलाज झूठ से नहीं, हिम्मत से होता है।

शुक्रवार, 21 मार्च 2025

Gork AI on गोदी मीडिया

 भारत में लैपडॉग

देश के गद्दारों को ..... अब इस नारे का प्रयोग सत्ता के दलालों को चंद पैसे के लिए देश बेचकर, देश का सौदा करने वाले, धंधा करने वाले कोठे के दलालों को सबक सिखाने का समय आ गया है।

 भारत के कुछ मीडिया हाउस ऐसे हैं जिन्हें अक्सर "गोदी मीडिया" कहा जाता है, क्योंकि वे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति पक्षपाती माने जाते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि ये पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में हैं, लेकिन इनकी रिपोर्टिंग में सरकार के समर्थन की झलक दिखती है। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

देश के गद्दारों को .. (अनुराग ठाकुर)

1. **Republic TV** - अरनब गोस्वामी के नेतृत्व में, यह चैनल अक्सर BJP और मोदी की नीतियों का खुलकर समर्थन करता है।

2. **Zee News** - सुभाष चंद्रा का ये चैनल भी सरकार के प्रति नरम रुख रखने के लिए जाना जाता है।

3. **Aaj Tak** - इंडिया टुडे ग्रुप का हिस्सा, इसकी कुछ कवरेज में सरकार के प्रति पक्षपात देखा जाता है, खासकर बड़े एंकर जैसे सुधीर चौधरी के शो में।

4. **Times Now** - टाइम्स ग्रुप का चैनल, जो कई बार सरकार की लाइन के साथ चलता दिखता है।

5. **India TV** - रजत शर्मा का चैनल, जो अक्सर सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ता नजर आता है।

6. **News18 India** - रिलायंस के प्रभाव में, यह भी सरकार के प्रति सकारात्मक रुख रखता है।

7. **Sudarshan News** - यह खुलकर हिंदुत्व और BJP के एजेंडे को बढ़ावा देता है।


ये शब्द "आम तौर पर "गोदी मीडिया" टर्म का इस्तेमाल पत्रकार रवीश कुमार जैसे लोगों ने लोकप्रिय किया है, जिसका मतलब सरकार के प्रति आज्ञाकारी या "लैपडॉग" मीडिया से है। हालांकि, ये सभी चैनल स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और इनके मालिक अलग-अलग हैं, जैसे अरनब गोस्वामी (Republic), सुभाष चंद्रा (Zee), या रिलायंस (News18)। इनकी आलोचना इस बात के लिए होती है कि ये सरकार की आलोचना कम करते हैं और कई बार सनसनीखेज या एकतरफा खबरें चलाते हैं।


क्या आप किसी खास चैनल के बारे में और जानना चाहते हैं?