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गुरुवार, 1 नवंबर 2018

चुनाव-2019: काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती

चुनाव-2019:  काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती
कोलकाता- 2 नवम्बर 2018
हम सभी इस बात से भलीभांती अवगत हैं कि 16वीं लोकसभा का गठन 4 जून 2014 को हुआ था एवं इसके इसका कार्यकाल 3 जून 2019 को स्वतः समाप्त हो जायेगा । स्पष्ट है कि आगामी चुनाव की तिथि की घोषणा आगामी जनवरी-फरवरी माह में किसी भी समय कर दी जायेगी । 
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में भारत के चुनाव आयोग को इसका अधिकार दिया गया है। वहीं अनुच्छेद 83(2) में इसका कार्यकाल 5 वर्ष का तय किया गया और आपात किसी स्थिति में एक साल का कार्यकाल संसद में कानून बना के बढ़ाया जा सकता है । वहीं भारत के नागरिकता कानून, 1951 की धारा 14 में नई लोकसभा गठन की प्रक्रिया दी गई है। जिसमें लिखा है कि नई लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव करायें जायेगें । इसके लिए पूर्व की लोकसभा की समाप्ति जो कि जून 2019 में हो जायेगी के छः माह अर्थात 1 दिसम्बर-2018 से 30 मई 2019 के बीच चुनाव की सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर लेनी होगी । अर्थात 16वीं लोकसभा की उलटी गनती शुरू हो चुकी है। 
पिछले पांच सालों में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि मोदीजी ने देश को बहुत बड़े आर्थिक संकट में डाल दिया  है । तेल व गैस के दाम, डालर का मंहगा होना, रसोई गैस का 400/- रुपये से 900/- रुपये का हो जाना, राफेल सौदे में 20 हजार करोड़ का डाका, निरव मोदी का फरार होना, अमित साह के बेटे के धन में रातों-रात, दिन दूनी रात चौकनी कमाई हो जाना, बाबा रामदेव के 850 करोड़ रुपये की कम्पनी का 11526 करोड़ की कम्पनी हो जानी, बाबा के विज्ञापनों के माध्यम से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को नपूंसक बना देना का षड़यंत्र, नोटबंदी से 60 प्रतिशत नये करोड़पतियों की उपज, कालेधन पर चुप्पी, आतंकवाद के नाम पर देश को धोखा देना, सेना का इस्तमाल अपनी रक्षा में प्रयोग करना, बच्चों की शिक्षा पर भी जीएसटी लागू कर देना। कभी गाय के नाम पर कभी धर्म के नाम पर  तो कभी राष्ट्रवाद के नाम पर देश को गुमराह करना, देश के युवाओं को पकौड़े बेचने को कहना, ‘‘मान न मान - मैं तेरा मेहमान’’ विश्वभर में 80 से अधिक बार विदेश की यात्रा, मानहानी के मुकदमों का नया दौर शुरू कर अपने विरोधियों की आवाज को दबा देना। रिजर्व बैंक, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, सीबीआई, आईबी, लोकपाल, आदि सभी संवैधनिक संस्थाओं को पिछले पांच सालों में कमजोर कर लोकतंत्र को धराशाही करने में लगातार कार्यरत रहना यह मोदी सरकार की पिछले पांच साल की प्रमुख उपलब्धीयां हैं । 

  • आज हमें सोचना होगा कि क्या हम लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते हैं कि बाबा रामदेव के विज्ञापनों के पीछे कुत्ते की तरह दुम हिल्लाकर अपनी कलम को, पत्रकारिता को गिरबी रखना चाहतें हैं?
  • आज हमें सोचना होगा कि धर्म की आड़ लेकर जो भेड़िया हमें पिछले 25 सालों से नोचता रहा वह पुनः उसी खाल में हमें लुटने तो नहीं आ रहा?
  •  आज हमें सोचना होगा जिसने 2014 के चुनाव में हमें जो सपने दिखाये थे उसका क्या हुआ।
  • आज हमें साचेना होगा घरों की रसोई की गैस में ऐसी कौन सी आग लग गई की मोदी सरकार ने पांच सालों में इसके मूल्य को 400 से 900 कर दिये?
  • आज हमें यह भी सोचना होगा जिस लोकपाल के गठन को लेकर पूरा देश आंदोलनरत हो चुका था, उसका गठन मोदी सरकार ने क्यों नहीं किया? 
  • ऐसे हजार सवाल हो सकते हैं साथ ही एक सवाल यह भी उठता है कि मोदी नहीं तो फिर कौन?
  • स्वाल बहुत गंभीर है। क्या हमारे पास कोई विकल्प नहीं? क्या एक सवाल यह भी किया जा सकता है मोदी ने इन पांच सालों में हमारी सोच को भी विकलांग बना दिया कि हम किसी विकल्प की बात भी नहीं सोच सकते?  जयहिन्द !  
- शंभु चौधरी, लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं व विधि विशेषज्ञ भी है।

1 विचार मंच:

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HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सोहराब मोदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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