पिछले साढ़े चार सालों में मोदी की सरकार में कुछ ऐसा ही हो रहा है । नोट बंदी से देश को जो घाटा हुआ उसे हमारे वित्तमंत्री जी जीएसटी से पूरा करने की हड़बड़ी की । जब जीएसटी से बात नहीं बनी तो वित्तमंत्री जी आरबीआई में जनता का जमा धन पर डाका डालने पंहुच गये ।
सोमवार, 17 दिसंबर 2018
झूठ बोलना भी कला है
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:13 pm 0 विचार मंच
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शनिवार, 15 दिसंबर 2018
बंगाल: लोकतंत्र बचाओ रथ यात्रा
दो दिन पूर्व राफेल सौदे में सुप्रीम कार्ट ने जो एकतरफ़ा सीलबंद लीफाफे के आधार पर बिना प्रतिपक्षों की दलीलों को सुने भारत सरकार के झूठ को अपने कलम से लिख का देना इसे फैसला तो कदापी नहीं माना जा सकता । यह भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार को बचाने का प्रयास है। कानून के कार्य में लिप्त कोई व्यक्ति भले ही इसे सही ना माने पर यह फैसला की परिधी में तो कदापि नहीं आ सकता।
कोलकाता: 16 दिसम्बर 2018
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:45 pm 0 विचार मंच
Labels: बंगला, बाबा रामदेव, भाजपा, मोदी, शंभू चौधरी
शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018
राफेल - सब कुछ सील है?
भारत की उच्चतम अदालत ने सील बंद लिफाफे में बंद झूठ के सहारा लेकर देश को गुमराह करने का काम किया है। माननीय अदालत का दूसरे पक्षों को सुने बिना ही एकतरफ़ा निर्णय देना खुद में अदालत की गरिमा को आघात पंहुचाता है। मानो अदालत का निर्णय भी सील बंद हो?
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 8:24 pm 0 विचार मंच
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रविवार, 25 नवंबर 2018
व्यंग्य: रामनाम सत्य है-
मोदी जी को पता है कि 2014 में मोदी की लहर 2019 में नहीं हैं । मोदी जी का पता है जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग उनके पाले से घसक चुका है । मोदी जी को पता है कि चुनाव आयोग के हाथ बंधे हुएं हैं । उसे पता है कि जिस सीबीआई को उन्होंने बर्वाद कर दिया वह मामला जल्द सुलझने वाला नहीं है ....कोलकाता- 25 नवम्बर 2018
मोदी जी के कार्यकाल के चंद दिन ही गिनती के बचे हैं ओैर इधर पांच विधानसभा के चुनाव क्रमशः राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, मिजोरम और छत्तीसगढ़। इसमें तीन राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हालात बहुत खराब बताई जा रही है। तेलंगना पहले सह तेल भरने गया हुआ है । राजस्थान तो मानो हाथ से निकल ही चुका है मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा अपनी सांप्रदायिक कार्ड को खेल चुकी है। अर्थात बस किसी प्रकार जनता को फिर पांच साल गुमराह किया जाय । भाजपा और पंतजलि के विज्ञापन दाताओं को लगता है कि कहीं यही हाल उनका लोकसभा के चुनाव में ना हो जाय ? सो अभी से विश्व हिन्दू परिषद और आर.एस.एस और महाराष्ट्र का थूकचाटूकार नेता जो महाराष्ट्र में हिन्दीवासी प्रवासियों को पिटवाने में खुद की राजनीति मानतें हैं माननीय उद्धव ठाकरे 70 साल के इतिहास में पहली बार अयेध्या में रामनाम सत्य का नारा लगाने सबके सब पंहुच गये।
कहने का अर्थ है मोदी जी 2019 में नोटबंदी की सफलता पर नहीं, सीबीआई के घमाशान पर नहीं, अपने किये पापों के काले कारनामों पर नहीं, राफेल में हुए भ्रष्टाचार पर नहीं, गैस की किमतों में हुए इजाफे पर नही तेल के दामों हुई लूट पर नहीं, ‘‘अच्छे दिन आयेंगे-कालाधन लायेंगे’’ पर नहीं, सेनाओं की मौत पर नहीं, देश की अर्थव्यवस्था को कंगाली के कगार पर ला दिया पर नहीं, बेरोजगारों के रोजगार पर नहीं, किसानों की मौत पर नहीं, अब या तो कांग्रेस को गाली देगी या फिर अपनी मां को चुनाव में भजाने का प्रयास मोदी जी करेगें।
2019 के चुनाव में मोदी की एक रणनीति साफ दिख रही है वह राममंदिर को लेकर देश में वातावरण को गरम कर देना चाहतें हैं और लोकसभा चुनाव की घोषणा का पहला भाषण होगा’ ‘‘उसे संसद के साथ-साथ राज्यसभा में भी बहुमत चाहिये’’ इसके लिये एक राममंदिर पर झूठा बिल इस बार लोकसभा में लाया जायेगा। जिसे लाकेसभा पारित कर राज्यसभा में भेजेगा कहेगा, देखो हमारी सरकार राज्यसभा में अभी भी अल्पमत है आप मुझे लोकसभा के साथ-साथ राज्य सभा में भी बहुमत दे दो ।
मोदी जी को पता है कि 2014 में मोदी की लहर 2019 में नहीं हैं । मोदी जी का पता है जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग उनके पाले से घसक चुका है । मोदी जी को पता है कि चुनाव आयोग के हाथ बंधे हुएं हैं । उसे पता है कि जिस सीबीआई को उन्होंने बर्वाद कर दिया वह मामला जल्द सुलझने वाला नहीं है। वैसे भी सीबीआई उनके लोकसभा चुनाव में बाल भी नहीं उखाड़ के दे सकती । उन्हें पता है कि आरबीआई उनकी बात अब नहीं सुन रही और उन्हें पता है कि सुप्रीमकोर्ट अभी पूर्णरूपेन उनके साथ नहीं खड़ा हो सकता । इधर भाजपा का एक बड़ा खेमा अमित षाह और मोदी के व्यवहार से नाराज चल ही रहा है अरुण षौरी ने तो मोदी के षासन काल को हिटलर से तुलना तक कर ही दी । ऐसे में संघ को लगता है कि कहीं मोदी का ‘‘राम नाम सत्य’’ न हो जाए ? इसके लिये राम का सहारा लेना जरूरी हो गया । जब किसी व्यक्ति को षमशान घाट पंहुचाया जाता है तो लोग इसी बात की जयघोष करतें हैं ‘‘राम नाम सत्य’’ ।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 8:16 am 0 विचार मंच
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व्यंग्य: सीलबंद लीफाफा
अब मुख्य न्यायाधीश महोदय गोगई को कुछ तो करना ही होगा तो सीलबंद लिफाफे में सारी प्रक्रिया मांगते हुए सरकार को यह भी बोल दिये किसी अदालती आदेश के लिये नहीं बल्कि सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिये और मामले को रफा-दफा करने के लिये वे सीलबंद लीफाफे में बस सौदे की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है उसे देख लेना चाहते हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट सीलबंद फैसला भी देने लगेगी ? मानो देश में मोदी से जुड़े तमाम भ्रष्ट्राचार के मामले बस सीलबंद ही रहेंगे।कोलकाता- 18 नवम्बर 2018
सुप्रीम कोर्ट इन दिनों सीलबंद लिफाफे के चलते मशहूर हो चला है। राफेल सौदे से लेकर सीबीआई के आलोक वर्मा की जांच तक मानो सड़क पर एक पंडित जी महोदय एक तोते को पिंजड़े से बहार निकालकर सीलबंद एक लिफाफा लाने को कहता है और उस लिफाफे में लिखी बात उस व्यक्ति को बताकर उसका भविष्य बताता है । जब से माननीय रंजन गोगई महोदय सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश बने हैं तब से सीलबंद लिफाफे का रहस्य भी गहराता चला जा रहा है ।
अब राफेल सौदे में क्या रहस्य छुपा है सब तो किस्तों में जनता के सामने सच आ गया कि जिस दिन से मोदी सरकार सत्ता में आई तब से अनिल अंबानी नई कंपनी बननी शुरू कर दी थी। इस साहुकार से कोई यह पूछे कि इन कंपनियों को बनाने के पीछे उनकी मंशा जब राफेल सौदे को लेने की थी ही नहीं तो एक के बाद एक शुरू में तीन कंपनियों का पंजीकरण, फिर दो नई कंपनी का गठन किन कारणों से हुआ? कि क्या साहुकार के साथ-साथ चाौकीदार भी हिस्सेदार हैं देश को लूटने में? जब बात उच्चतम अदालत में पंहुची तो अब मुख्य न्यायाधीश महोदय गोगई को कुछ तो करना ही होगा तो सीलबंद लिफाफे में सारी प्रक्रिया मांगते हुए सरकार को यह भी बोल दिये किसी अदालती आदेश के लिये नहीं बल्कि सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिये और मामले को रफा-दफा करने के लिये वे सीलबंद लीफाफे में बस सौदे की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है उसे देख लेना चाहते हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट सीलबंद फैसला भी देने लगेगी ? मानो देश में मोदी से जुड़े तमाम भ्रष्ट्राचार के मामले बस सीलबंद ही रहेंगे।
अब सीबआई के मामले में देख लें इनका लिफाफा मीडिया वाले उड़ा लिया। साथ ही सीलबंद लिफाफे में जिस सीवीसी ने जांच की, वह खुद पाप के घड़े से लदा पड़ा है । उसकी जांच में क्या निकलेगा सबको पता है। तो आलोक वर्मा का सीलबंद लिफाफे को ही किसी ने सार्वजनिक कर दिया और उसका ठीकरा आलोक वर्मा के उपर ही फोड़ दिया । अब माननीय गोगई ने यह पहले से ही सोच लिया है कि उनको सिर्फ वही करना है जो चाौकीदार चाहेगा अर्थात राकेश अस्थाना की पुनः नियुक्ति वह भी उस पद पर जिसपर आलोक वर्मा कुछ दिन पूर्व विराजमान थे। कहने का अर्थ है सब कुछ सीलबंद सौदा है।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 7:09 am 0 विचार मंच
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बुधवार, 7 नवंबर 2018
लोकतंत्र: भाइयों कुछ तो गड़बड़ है?
अभी हाल में ही रिजर्व बैंक का सुरक्षित कोष जो कि देश की जनता का धन है उसका एक तिहाई हिस्सा सरकार उन लुटेरों अडानी, अनील अंबनी व नीरव मोदी जैसे देश के महान लुटारों, जिन्होंने देश लूटने में उनको मदद की थी के खातों में डाल देने का दबाव बना रही है । एक बात पुनः यहां उल्लेख करना चाहता हूँ पंतलजि का विज्ञापन लोकतंत्र को धराशाही करने में मोदी सरकार को सहयोग कर रहा है यह बात कई बार प्रमाणित हो चुकी है ।
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प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:16 pm 0 विचार मंच
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शुक्रवार, 2 नवंबर 2018
चुनाव-2019: भेड़िया आया
इस बार के चुनाव में इस बालक को पहले से अंदाज हो चुका है कि उसे लोक सभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें राजस्थान, तेलंगाना मध्य प्रदेश और मिजोरम और छत्तीसगढ़। इसमें तीन राज्यों राजस्थान, तेलंगाना मध्य प्रदेश में भाजपा की हालात बहुत खराब बताई जा रही है। इन सभी राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें हैं। यदि हम प्रमुख तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और मिजोरम और छत्तीसगढ़ की बात करें इन तीन राज्यों में भाजपा के पास अभी 16वीं लोकसभा की 61 सीटें हैं। भाजपा को लगता इन राज्यों में हमने जनता को इतना छल्ला है कि अब धोखे से भी हमारी बात में नहीं आयेगें। विधानसभा चुनाव से उनके तलवे की जमीं अभी से ही खिसकती दिखाई दे रही है।
आज एक पंचतंत्र की कहानी सही साबित हो रही चालाक सियार ने शेर के खोल धारण कर लिया है। आरएसएस की मुंबई में हुए तीन दिवसीय शिविर के समापन में संघ के महासचिव व भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने नया सगुफा छोड़ दिया । एक चोर साहुकार बनकर दूसरे चोर को चेतावनी दे डाली कि ‘‘राम मंदिर को लेकर पुनः 1992 जैसा आंदोलन करेगी’’ । पिछले 70 सालों में संघ का यह चेहरा नया नहीं है । हर चुनावी मौसम में संघ कोई न कोई नया पैंतरा दिखाता रही है।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 10:17 pm 0 विचार मंच
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गुरुवार, 1 नवंबर 2018
चुनाव-2019: काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में भारत के चुनाव आयोग को इसका अधिकार दिया गया है। वहीं अनुच्छेद 83(2) में इसका कार्यकाल 5 वर्ष का तय किया गया और आपात किसी स्थिति में एक साल का कार्यकाल संसद में कानून बना के बढ़ाया जा सकता है । वहीं भारत के नागरिकता कानून, 1951 की धारा 14 में नई लोकसभा गठन की प्रक्रिया दी गई है। जिसमें लिखा है कि नई लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव करायें जायेगें । इसके लिए पूर्व की लोकसभा की समाप्ति जो कि जून 2019 में हो जायेगी के छः माह अर्थात 1 दिसम्बर-2018 से 30 मई 2019 के बीच चुनाव की सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर लेनी होगी । अर्थात 16वीं लोकसभा की उलटी गनती शुरू हो चुकी है।
- आज हमें सोचना होगा कि क्या हम लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते हैं कि बाबा रामदेव के विज्ञापनों के पीछे कुत्ते की तरह दुम हिल्लाकर अपनी कलम को, पत्रकारिता को गिरबी रखना चाहतें हैं?
- आज हमें सोचना होगा कि धर्म की आड़ लेकर जो भेड़िया हमें पिछले 25 सालों से नोचता रहा वह पुनः उसी खाल में हमें लुटने तो नहीं आ रहा?
- आज हमें सोचना होगा जिसने 2014 के चुनाव में हमें जो सपने दिखाये थे उसका क्या हुआ।
- आज हमें साचेना होगा घरों की रसोई की गैस में ऐसी कौन सी आग लग गई की मोदी सरकार ने पांच सालों में इसके मूल्य को 400 से 900 कर दिये?
- आज हमें यह भी सोचना होगा जिस लोकपाल के गठन को लेकर पूरा देश आंदोलनरत हो चुका था, उसका गठन मोदी सरकार ने क्यों नहीं किया?
- ऐसे हजार सवाल हो सकते हैं साथ ही एक सवाल यह भी उठता है कि मोदी नहीं तो फिर कौन?
- स्वाल बहुत गंभीर है। क्या हमारे पास कोई विकल्प नहीं? क्या एक सवाल यह भी किया जा सकता है मोदी ने इन पांच सालों में हमारी सोच को भी विकलांग बना दिया कि हम किसी विकल्प की बात भी नहीं सोच सकते? जयहिन्द !
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:42 pm 1 विचार मंच
Labels: चुनाव-2019
बुधवार, 10 अक्टूबर 2018
राफेल सौदा बनाम मोदी की सुरक्षा?
राफेल सौदा बनाम देश मोदी की सुरक्षा?
तब बोफोर्स का मामला किसकी सुरक्षा से जुड़ा था ?
भारत सरकार के अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि
भारत सरकार के अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि "अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए ।ये नेशनल सिक्योरिटी का मामला है । ये जनहित याचिका नहीं है बल्कि राजनीति से प्रेरित याचिका है। यह सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ा मामला है ।"
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 2:27 pm 0 विचार मंच
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गुरुवार, 20 सितंबर 2018
बागड़ी मार्केट
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:59 pm 0 विचार मंच
Labels: बागड़ी मार्केट
बुधवार, 19 सितंबर 2018
तीन तलाक: साला मैं तो शाह बन गया !
यह बात सही है कि पीड़ित मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक को लेकर जानवर की जिंदगी जीने के लिये मजबूर हो जाती है । मुस्लिम समाज में तलाक के बाद उसकी गुहार सुनने के तमाम रास्ते बंद कर दिए जाते । न्याय देने की बात तो दूर की, कई महिलायें तो भेंट भी चढ़ जाती । एक प्रकार से समाज में दरिंदगी का माहौल बना हुआ है।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:30 pm 1 विचार मंच
Labels: तीन तलाक
शनिवार, 15 सितंबर 2018
2024 के बाद मोदी हिटलर शासक?
इन सबके बीच भाजपा की तरफ से एक बयान यह भी आया कि 2019 के चुनावी विजय के बाद भाजपा को अगले 50 साल तक सत्ता से कोई नहीं हटा पायेगा । क्या सच में ऐसा संभव है? या किसी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बयान है। इन दिनों मीडिया जगत में एक बात देखी जा रही है - सरकार को बचाने के लिये उनके सरकार के मंत्री नदारत रहतें हैं पर मीडिया सरकार का ऐसे बचाव करती है जैसे मोदी की सरकार मीडिया की मेहरबानी पर चल रही हो ।
इन सबके बीच भाजपा की तरफ से एक बयान यह भी आया कि 2019 के चुनावी विजय के बाद भाजपा को अगले 50 साल तक सत्ता से कोई नहीं हटा पायेगा । क्या सच में ऐसा संभव है? या किसी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बयान है। इन दिनों मीडिया जगत में एक बात देखी जा रही है - सरकार को बचाने के लिये उनके सरकार के मंत्री नदारत रहतें हैं पर मीडिया सरकार का ऐसे बचाव करती है जैसे मोदी की सरकार मीडिया की मेहरबानी पर चल रही हो ।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 3:29 am 2 विचार मंच
Labels: नरेन्द्र मोदी, मोदी
रविवार, 12 अगस्त 2018
‘मास्टरस्ट्रोक’: पंतजलि के विज्ञापनों का सच?
यदि बाबा के विज्ञापन महज एक विज्ञापन होते तो काई बात नहीं पर किसी ऐसे पत्रकार को हटाने में इस विज्ञापन हाथ होना, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह सभी विज्ञापन जो 2014 के बाद प्रकाश में आयें हैं । इन विज्ञापनों के धन का अज्ञात स्त्रोत कोई ओर है जो इन विज्ञापनों के माध्यमों से लोकतंत्र को गुलाम बनाने की योजना पर कार्य कर रहा है ।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी और उनके झूठ को उजागर करते हुए एबीपी न्यूज़ से दो वरिष्ठ पत्रकारों ने के हटाने के पीछे पंतजलि के विज्ञापन का क्या रोल हो सकता है? यह सोचने की बात हो सकती है।
‘द वायर’ के द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में पतंजलि के प्रवक्ता एस.के. तिजारावाला ने एबीपी न्यूज चैनल से विज्ञापन हटाने की पुष्टि करते हुए स्वीकार किया कि पंतजलि के विज्ञापन हटाये गये हैं। दरअसल में इसके पीछे पुण्य प्रसुन बाजपेयी के एक कार्यक्रम ‘मास्टरस्ट्रोक’ की चोट से मोदी सरकार इतनी बैचेन हो गई कि उनके कालेधन के इस विज्ञापन का स्त्रोत अंदर से बोल ही पड़ा ।
पिछले चार सालों से रामदेव बाबा के व्यवसाय के विज्ञापनों की बाढ़ के आंकड़े जो सच बताने के लिये काफी है। बीएआरसी इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद ने टेलीविज़न चैनलों में 1.14 मिलियन विज्ञापन दिये, 161 चैनलों में 7,221 घंटों के लिए टीवी चैनलों पर पतंजलि विज्ञापन प्रदर्शित किए गए थे। यह प्रति दिन औसतन 19 घंटे 43 मिनट के विज्ञापनों का भूगतान पंतजलि कर रही है । इसके साथ ही प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में पतंजलि के विज्ञापनों की बाढ़ के धन का स्त्रोत क्या है? चार साल पहले जो कंपनी 2013-14 में महज 850 करोड़ की थी रातों-रात ऐसा क्या ऐसा क्या गुल बाबा ने खिला दिया कि देखते ही देखते 2016-17 में 11526 करोड़ो की कम्पनी बंन गई । दरअसल बाबा आरएसएस का एक मुखौटा है जो स्वदेशी अभियान के बहाने बाबा ने देश का गुमराह कर रहें हैं एवं भाजपा के कालेधन को असली धन बनाकर विज्ञापन का रोजगार कर रही है । जरा आप भी सोचियेगा किस विदेशी कम्पनी ने च्यवनप्रास, शहद, घी और आटा का व्यवसाय भारत में किया है? जरा दिमाग पर जोर देकर साचियेगा । स्वदेशी के नाम पर देश की भावना से खिलवाड़ की यह प्रणालि आरएसएस का एक हिस्सा मात्र है। व्यवसाय करना अपराध नहीं पर व्यवसाय की आड़ में देश के लोकतंत्र को पंगु बना देने की योजना अपराध है। एक समय ईस्ट इंडिया कम्पनी ने जो किया वही बाबा के विज्ञापनों के माध्यम से मोदीजी करने जा रहें हैं । यदि बाबा के विज्ञापन महज एक विज्ञापन होते तो काई बात नहीं पर किसी ऐसे पत्रकार को हटाने में इस विज्ञापन हाथ होना, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह सभी विज्ञापन जो 2014 के बाद प्रकाश में आयें हैं । इन विज्ञापनों के धन का अज्ञात स्त्रोत कोई ओर है जो इन विज्ञापनों के माध्यमों से लोकतंत्र को गुलाम बनाने की योजना पर कार्य कर रहा है । दरअसल बाबा का यह विज्ञापन का खेल कुछ ओर ही ज्ञात होता है जो मीडिया को धमकाने के कार्य में मोदीजी प्रयोग कर रहें हैं बाबा तो बस एक मोहरा है।
नोटः यह लेखक के अपने विचार हैं। इसे लेख को प्रकाशित और पुनः प्रकाशित करने के लिये सभी स्वतंत्र है। । लेखक विधिज्ञाता व स्वतंत्र पत्रकार हैं। - शंभु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:06 am 0 विचार मंच
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एनआरसी: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह संसद और सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हैं ?
यदि इन सभी बयानों को परखा जाए तो ममता बनर्जी के साथ-साथ, देश की सर्वोच्य अदालत (सुप्रीम कोर्ट), देश के गृहमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, असम के राज्यपाल वे सभी देशद्रोही है जो इन 40 लाख धुसपैठियों को सूची में शामिल करने पूरा अवसर देने की वकालत कर रहें। परन्तु अमित शाह का बयान है कि ये सभी घुसपैठियें हैं । तो फिर इन सभी घुसपैठियों को भाजपा अध्यक्ष सूट-एट-साइट आदेश क्यों नहीं दे देते? क्या जरूरत है संसद की? क्या जरूरत है सुप्रीम कोर्ट की?
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 1:31 am 0 विचार मंच
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बुधवार, 8 अगस्त 2018
एनआरसी: तब भारतीय नागरिक कौन ?
पिछले दिनों असम के गुवाहाटी शहर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संगठनों ने मिलकर सरकार के इस व्यवहार पर और नाम काटे जाने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 25 लाख हिन्दू हिन्दी व बांग्ला भाषी समाज के नाम एनआरसी की सूची से ग़ायब बतायें जा रहें हैं जिसे भाजपा के अध्यक्ष श्री अमित शाह बांग्लादेशी घुसपैठिये बताते नहीं थक रहे ।
एक आंकड़े को यदि सही माना जाए तो असम के जिन-जिन इलाकों में 50 प्रतिशत की संख्या में मुसलमानों की आबादी हो चुकी है वहां की आबादी का महज 10 प्रतिशत नाम ही चिन्हीत किये गये अर्थात 45 प्रतिशत मुसलमानों को भारतीय मान लिया गया व इलाके हैं। हैलाकांदी, साउथ सालमारा, धुबड़ी व करीमगंज । ऐसे ही सैकड़ों गांव है जहां मुस्लिमों को खुले रूप में एनआरसी में दर्ज कर लिया गया जबकि हिन्दू भारतीयों के नाम सूची में नहीं शामिल किये गये। उदाहरण के लिये शोणितपुर जिले की ही बात कर लें इस क्षेत्र में लगभग 20 से 45 प्रतिशत प्रवासी भारतीय पुश्तों से अपना जीवन बसर कर रहें हैं यहां की लगभग आधी आबादी का नाम ही एनआरसी से ग़ायब कर दिया गया। भाजपा एक प्रकार से भारतीय संवेदना के नाम पर देश के विभिन्न राज्यों में रमे बसे लोगों के बीच असुरक्षा की भावना का सृजन करने में सफल हो चुकी है। जिसे भले आज हम घुसपैठिये के नाम पर समर्थन दे लें, दरअसल जमीनी हकिकत कुछ ओर ही बयान कर रही है। इसका परिणाम अंततः संपूर्ण भारतीयों को भोगना पड़ सकता है । शायद आप जिस राज्य में हैं आने वाले समय में आप भी एक दिन विदेशी बना दिये जायेगें। - शंभु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 8:07 am 0 विचार मंच
रविवार, 25 फ़रवरी 2018
जादूगोड़ा की जादू की गुड़िया
आओ एक स्वर में जादूगोड़ा के बच्चों की आव़ाज बने।
1. जादूगोड़ा की जादू की गुड़िया
एक नन्ही सी जादूगोड़ा की जादू की गुड़िया,
डाक्टरों की जुबां नहीं,
समझें कुछ?
रोजाना बहती है हवाओं में
जहरीला बना दिया जीवन को
जीती जागती यह कहानी |
2. ‘जादूगोड़ा’
झारखंड राज्य का |
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 2:50 am 2 विचार मंच