झूठ बोलना भी कला है
कोलकाता 18 दिसम्बर 2018
पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एक रायबरेली में अपने भाषण में कहा कि ‘‘झूठ बोलने वालों पर सत्य बोलने वालों की विजय होती है। सच को श्रृंगार की जरूरत नहीं होती, झूठ चाहे जितना बोलो इसमें जान नहीं होती। झूठ की पंक्तियों को कुछ लोगों ने जीवन का मूल मंत्र बना लिया है।’’ इस बात से एक कहानी याद आ गई -
‘‘राजस्थान के एक गांव में एक बहुत बड़ा व्यापारी रहता था उसके कारोबार का हिसाब-किताब देखने के लिये उसने एक मुनिम भी रख रखा था । मुनिम बहुत ही चालाक बुद्धि का था। वह उस व्यापारी को रोज फायदा करवाता। कभी जोड़ में भूल दिखा के, कभी दाम के भाव बढ़ा कर तो कभी गल्ले में सरप्लस दिखा के । व्यापारी को लगा कि यह आदमी तो बहुत काम का है । उसकी हर बात मानने लगा । इधर मुनिम जी ने जब व्यापारी को अपने जाल में फंसा लिया तो उसने उसके व्यापार को भीतर ही भीतर खोखला करने लगा । खाते में कुछ, हकिकत में कुछ दिखने लगा । एक दिन अचानक से व्यापारी को मंदी का सामना करना पड़ा, तब व्यापारी ने मुनिम को बुलाकर पूछा कि जो हर साल का मुनाफ़ा जमा होता था उसका हिसाब दो तब मुनिम ने जबाब दिया सेठ जी ! वह तो दो दिन के घाटे के भुगतान में ही समाप्त हो गया और आज के दिन तो आपके सर पर दस लाख का कर्ज चढ़ गया है । व्यापारी ने अपना सर पीट लिया’’ कुछ ऐसा ही हाल आज हमारे देश का है।
पिछले साढ़े चार सालों में मोदी की सरकार में कुछ ऐसा ही हो रहा है । नोट बंदी से देश को जो घाटा हुआ उसे हमारे वित्तमंत्री जी जीएसटी से पूरा करने की हड़बड़ी की । जब जीएसटी से बात नहीं बनी तो वित्तमंत्री जी आरबीआई में जनता का जमा धन पर डाका डालने पंहुच गये ।
2014 के बाद से ही झूठ का व्यापार चल रहा है । झूठी अफवाहें फैला कर लोगों की हत्या करना। झूठे वायदे कर देश की जनता को गुमराह करना । चुनाव में किये सभी वायदे भले ही वह काला धन लाने का वायदा हो या 15 लाख रुपये लोगों के खातों में जमा करने का वायदा सब झूठ का पुलंदा साबित हुआ । युवाओं को नौकरी देने के नाम पर पकौड़े बेच के काम चलाने की सलाह से लेकर किसानों को न्यूनतम लागत मूल्य का भुगतान अथवा उनकी आमदनी को दोगुना करने की बात हो या फिर राफेल में सुप्रीम कोर्ट तक को झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा को तक ताक पर लगा देना, यह सब मोदी सरकार की झूठ बोलने वाली मशीन का कमाल है।
मोदी जी के आने के बाद हर जगह झूठ बोलने के एटीएम लग गये हैं। मीडिया से लेकर संसद तक में झूठ का बोलबाला है । पिछले 70 सालों में झूठ पर इतना ज्ञान देते, आपने किसी प्रधानमंत्री को कभी ना सुना होगा, जितना मोदी के भाषणों से सुनने मिल रहा है । यह झूठ बोलने की कला ही तो है कि भक्तों को सब कुछ सच नजर आता है ।
शंभु चौधरी, लेखक एक स्वतंत्र प त्रकार हैं व विधि विशेषज्ञ भी है।
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