कोलकाता- 12 अगस्त 2018
यदि इन सभी बयानों को परखा जाए तो ममता बनर्जी के साथ-साथ, देश की सर्वोच्य अदालत (सुप्रीम कोर्ट), देश के गृहमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, असम के राज्यपाल वे सभी देशद्रोही है जो इन 40 लाख धुसपैठियों को सूची में शामिल करने पूरा अवसर देने की वकालत कर रहें। परन्तु अमित शाह का बयान है कि ये सभी घुसपैठियें हैं । तो फिर इन सभी घुसपैठियों को भाजपा अध्यक्ष सूट-एट-साइट आदेश क्यों नहीं दे देते? क्या जरूरत है संसद की? क्या जरूरत है सुप्रीम कोर्ट की?
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एनआरसी के अध्यक्ष प्रतीक हजेला को, प्रेस में उनके एक बयान को लेकर नाराजगी जताते हुए उनसे पूछा कि उनका काम है रजिस्टर तैयार करना है ना कि प्रेस में एनसीआर के मुद्दों पर बयानबाज़ी । सुप्रीम कोर्ट ने हजेला और रजिस्टार जरनल को जेल भेजने की चेतावनी देते हुए कहा कि वे कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम करें। परन्तु भाजपा के अध्यक्ष इन सबसे बड़े हैं । इनके बयानों को सुप्रीम कोर्ट न तो अभी तक संज्ञान में लिया ना ही कोई टिप्पणी ही की । शेर की तरह खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को आँख दिखा कर 40 लाख लोगों को धुसपेठिया बना दिया । जबकि एनसीआर की प्रक्रिया अभी जारी है।
पिछले माह 30 जुलाई को एनआरसी की दूसरी सूची जारी की गई। इस सूची में 2 करोड़ 90 लाख लोगों के नाम शामिल किए गए हैं। सूची में 40 लाख लोगों के नाम प्रकाशित नहीं किए गए हैं। इस सूची के प्रकाश में आते ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सूची पर आपत्ति व्यक्त की जो अमित शाह से लेकर भाजपा के देशप्रेमी छुटभयै तक ममता बनर्जी पर इस प्रकार हमला बोल दिये मानो किसी देशद्रोही से बात कर रहें हैं । जबकि देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को भरोसा दिया कि यह अंतिम सूची नहीं है। यह मसौदा है। इसलिए जिनका नाम छूट गया है, उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वे दोबारा आवेदन कर अपनी बात रख सकते हैं। फिलहाल किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। वहीं असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल जो खुद भाजपा में जुड़ने से पूर्व असम गण परिषद के सदस्य थे। ने राज्यवासियों से अपील की है कि वह किसी भी प्रकार से आशंकित ना हों । जिस किसी भी भारतीय नागरिक का नाम इसमें शामिल नहीं हुआ है उसका नाम अवश्य शामिल किया जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस जारी एनआरसी की सूची को लेकर अपनी टिप्पणी में कहा कि ना तो हम इस सूची को इंकार कर रहें ना ही स्वीकार । सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट के रिलीज के आधार पर अथाॅरिटी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती और जिन लोगों के नाम छूट गए है, उन्हें पूरा मौका मिलने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा।
यदि इन सभी बयानों को परखा जाए तो ममता बनर्जी के साथ-साथ, देश की सर्वोच्य अदालत (सुप्रीम कोर्ट), देश के गृहमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, असम के राज्यपाल वे सभी देशद्रोही है जो इन 40 लाख धुसपैठियों को सूची में शामिल करने पूरा अवसर देने की वकालत कर रहें। परन्तु अमित शाह का बयान है कि ये सभी घुसपैठियें हैं । तो फिर इन सभी घुसपैठियों को भाजपा अध्यक्ष सूट-एट-साइट आदेश क्यों नहीं दे देते? क्या जरूरत है संसद की? क्या जरूरत है सुप्रीम कोर्ट की? राज्यों के मुख्यमंत्रियों की क्या जरूरत है?
इस देश में अभी दो ही व्यक्ति है एक नरेन्द्र मोदी जो भारत के प्रधानमंत्री हैं दूसरा शेयर बाज़ार का सटोरिया अमित शाह को आज भाजपा का अध्यक्ष कम भारत का तानाशाह अधिक बनकर ना सिर्फ पूरी मीडिया तंत्र को पंतजलि विज्ञापनों के माध्यम लोकतंत्र के चौथेस्तंभ का नपुसंक बना दिया है। साथ ही साथ चुनाव आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, सुप्रीम कोर्ट, उच्चतम अदालतों को पंगु बनाने का क्रम जारी है। यह भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और भाजपा जैसे संगठन का दुर्भाग्य ही होगा कि हम छद्म राष्ट्रवाद के चक्कर में देश को दो तानाशाह के गिरफ़्त में कहिं न बंध जाएं ?
नोटः यह लेखक के अपने विचार हैं। इसे लेख को प्रकाशित और पुनः प्रकाशित करने के लिये सभी स्वतंत्र है। । लेखक विधिज्ञाता व स्वतंत्र पत्रकार है। - शंभु चौधरी, अधिवक्ता
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