कोलकाता: दिनांक 5 May,2021.
जरूरी सूचना: वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद भी 15 दिनों तक सावधानी तो रखें ही। आगे भी सावधानी करें। अभी इसके डाटा उपलब्ध नहीं है कि यह कितनी रक्षात्मक है। हां दुनिया भर में इससे कोविड को कुछ हद तक नियंत्रण करने में सफलता मिली है।
पिछले 10 दिनों से देश के सभी राज्यों की उच्च अदालतों में कोरोना-19 फेज-2 ( covid-19 2nd wave) एक के बाद एक कड़ी टिप्पणियों से हमें यह सोचना पड़ रहा है कि इन हिन्दू वादी दलालों ने देश को महज छह-सात सालों में कहां से कहां पंहुचा दिया।
मद्रास उच्च अदालत ने कोरोना फेज-2 के लिए सीधे रूप में भारत के चुनाव आयोग को जिम्मेदार / कसूरवार ठहराते हुए टिप्पणी करते हुए पूछा की आपने जो काम किया है क्यों न हत्या का मामला आप पर दर्ज होना चाहिए?
हांलाकि देश के कानून में इन अपराधियों पर मुकदमा करने का कोई प्रावधान सुनिश्चित नहीं किया गया है।
वैसे ही कल इलाहाबाद उच्च अदालत ने भाजपा की योगी सरकार के कारनामों से परेशान हो चुकी है। योगी सरकार, एक दूसरे की मदद की गुहार लगाने वालों पर अपराधिक मामले ठोक रही है। परेशान लोगों को प्रसाशन की तरफ से धमकाया और डराया भी जा रहा है।
आक्सीजन की कमी, अव्यवस्था से लोग कीड़ें-मकोड़ों की तरह गांव, शहर, अस्पतालों में मर रहें हैं। बहुत दर्दनाक हालात है पूरे उत्तर प्रदेश में, को लेकर अदालत ने कहा
"हम अस्पतालों में ऑक्सीजन की गैर आपूर्ति के लिए कोविद रोगियों की मृत्यु को देखते हुए दर्द में हैं, एक आपराधिक कृत्य है और उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं है।"
यही हालात, केरल, तामिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, बिहार, व महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की है। अब बंगाल व असम में भी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ाने लगे हैं। आंकड़ों पर नजर देना व लिखना अपराध हो चुका है।
इस बात से अब इंकार नहीं किया जा सकता कि बिहार चुनाव के पूर्व देश में हम सबने करोना को काफी हद तक नियंत्रण में कर लिया था। अर्थ व्यवस्था धीरे-धीरे पटरियों पर आने लगी थी। चुनाव की प्रक्रिया संवैधानिक जरूरी है परन्तु जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित भाजपा के तमाम नेताओं ने देश में लाखों लोगों की भीड़ जमा कर रैलियों और सभाओं का आयोजन कर रहे थे, असभ्य भाषाओं का प्रयोग कर, हिन्दुओं को भड़काकर वोटों का धूर्वीकरण कर रहें थे। अपने राजनीतिक फायदे के लिए चुनाव आयोग का गलत इस्तेमाल करना, साईबर क्राईम (झूठी धर्म आधारित खबरों बनाना, अफवाहों को फैलाना) जैसे अपराध अक्षम्य है। इन सब अपराधों पर चुनाव आयुक्त की चुप्पी, प्रश्न तो खड़ा करती है।
वहीं कल ही बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को निर्लज्ज बताते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि लोगों को सड़कों पर मरते हम नहीं देख सकते। पिछले 14 अप्रैल से आप कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहें है, हमें विवश न करें अन्यथा हमें सेना को बुलाना पड़ेगा। कल 6 मई को फिर सुनवाई होगी।
विशेष कर अब बात दिल्ली की कर लेते हैं। दिल्ली में भाजपा के सात सांसद है। सारे के सारे लापता हैं। केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली को जानबूझकर कर कम आक्सीजन दे रही थी, परिणाम हजारों लोगों की मौत सिर्फ दम घुटने से होने लगी। केंद्र सरकार दिल्ली सरकार पर अदालत में झूठे आरोप गढ़ती गई। जब उन आरोपों से परत उठी तो पता चला कि जिस आठ आक्सीजन प्लांट के दिल्ली में लागाने के पैसे दिल्ली सरकार को देने की बात कही गई, वह सरासर झूठ था। दरअसल केंद्र की सरकार ने ही देश के विभिन्न प्रान्तों में 150 आक्सीजन प्लांट लगाने का टेन्डर पिछले साल अपने किसी व्यापारी को दिया था। उनमें से अभी तक 33 प्लांट ही लगाये गए हैंं, 54 प्लाट लागाये जा रहें। बाकी ? जिसमें 14 में 1 उत्तर प्रदेश में, इसी प्रकार दिल्ली में 8 में 1 प्लांट लगा है। जो भी हो। सच इतना ही है कि इन प्लांट का ठेकेदार भारत सरकार है।
इसी प्रकार आक्सीजन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट को बोलना पड़ा कि केन्द्र सरकार दिल्ली को उसके जरूरत के अनुसार आक्सीजन की आपूर्ति करें अन्यथा यह कोर्ट की अवमानना मानी जायेगी।
भगवान ही मालिक है अब
मोदी-योगी-गोदी से
लेखक-शंभु चौधरी
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