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शनिवार, 25 अक्टूबर 2008

क्या लाये पापा इस बार

दीवाली तो आ गई पापा, क्या लाये इस बार

बच्चा बोला देखकर, सुबह सुबह अखबार

सुबह सुबह अखबार, कि पापा कपड़े नए दिला दो

मम्मी को एक साड़ी औ बहना को शूट सिला दो

और अपने लिए तो पापा, जो जी में आए लेना

पर घर का कोना कोना, रोशन दीपो से करना

पापा ने सुन बात , कहा बेटे , क्या बतलाएं

डूब गई पूंजी शेयर में, कैसे दीप जलाएं

बेटा बोला, बुरा न मानो, तो एक बात बताएं

पैसे के लालच में पड़कर, क्यूँ पीछे पछ्ताएं

दादाजी भी तो कहते थे लालच बुरी बला है

शेयर नहीं सगा किसी का, इसने तुम्हे छला है

कोई बात नही पापाजी, यह लो शीतल पेय

बीती ताहि बिसरी देय, आगे कि सुधि लेय

चिराग-चमन चंडालिया

5 विचार मंच:

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सचिन मिश्रा ने कहा…

Bahut badiya.

Vivek Gupta ने कहा…

दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाये

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही..यही हालात हैं...


आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

बेनामी ने कहा…

कोई बात नही पापाजी, यह लो शीतल पेय

बीती ताहि बिसरी देय, आगे कि सुधि लेय
बहुत सुन्दर..रचना

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Lekhak badhai ke patra hain. bahut sundar dhang se yatharth ka chitran, sath men rochakta bhi barkarar. bahut badhia.

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