प्रेम तो बस्ती में बचा था, पाँच-दस रूपये में नीलाम हो रहा था, लोगों की लगी थी लम्बी कतारें, घर के बच्चे सो गये थे , थके-हारे। इस प्यार के इंतजार में , कुछ हमारे - कुछ तुम्हारे।
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