कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री श्री मनीष तिवारी ने ‘‘देश में सांप्रदायिकता का जबाब देने की भरपूर वकालत की। उन्हों ने ‘धर्मनिरपेक्षता के एजेंडा’’ को आगे बढ़ाने की जोरदार वकालत की। यह बात सभी को पता है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं के पास अब इस एजेंडे के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं बचा है। कारण साफ है कि कांग्रेस पार्टी और इसके सहयोगी दलों ने मिलकर जिस प्रकार पिछले 9 सालों में देश को लूटा और देश को बर्वादी के कगार पर ला खड़ा किया हैं। देश की आर्थिक स्थिति को खास्ता हालात कर दिया हो। जिधर छूओ उधर ही लूट मची है। पुंजीपतिओं की पौ-बारह है गरीब मंहगाई की चपेट में बुरी तरह पीसता जा रहा है। जरूरी सभी खाद्य पदार्थों के दाम आकाश छूने लगे हैं। मंहगाई पर मनमोहन सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा, नेता और पूंजीपति उद्योगिक घराने दोनों मिलकर देश को लूटने में लगे हैं। इस नाकामी को छूपाने के लिए देश में सांप्रदायिकता का माहौल खड़ा करना कांग्रेस पार्टी के लिए ना सिर्फ लाभकारी रहेगा और वह यह भी सोचती यह कि इससे मुसलमानों के वोटों का एकतरफा लाभ भी उसी की पार्टी को मिलेगा। जिससे यू.पी-बिहार-बंगाल जैसे कई राज्यों में जहां क्षेत्रिय दलों ने जैसे सपा, बसपा, जदयू, तृणमूल ने जिस प्रकार इनके सांप्रदायिक वोट बैंक में सैंध लगाई है कांग्रेस पार्टी का जनाधार लगभग इन राज्यों से समाप्त सा हो चुका है। इनको लगने लगा है कि स्नैह-स्नैह आने वाले दिनों में क्षेत्रिय दलों द्वारा इनके नाक में दम पैदा कर देगी।
मानो सत्ता देश की सेवा के लिए नहीं लूटने व बंदरबांट के लिए बना हो। जिसप्रकार राजनैतिक सांठगांठ क्षेत्रिय दलों के द्वारा सत्ता में बने रहने के लिए किये जातें हैं, असमाजिक तत्वों से समझौता किया जाता है। उच्चतम अदालत के निर्णय को भी दरकिनार कर सी.बी.आई जैसी संस्था का दुरूपयोग किया जाता है। अदालती हस्तक्षेप के उपरान्त अपराधियों को बचाने का भरसक प्रयास हमें इस बात की तरफ संकेत करता है कि देश में कानून व्यवस्था से भी ऊपर हो चुका है राजनीति दल या यूँ लिखा जाए राजनीति दल देश की कानून व्यवस्था से ऊपर है। इनको RTI Act के अधिन आने में खतरा नजर आता है। इनको देश बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखती सबके सब इस बात को लेकर चिन्तित है कि किस प्रकार जेल से चुनाव लड़ा जा सके। अपराधियों के सहयोग से कैसे सत्ता पर बना रहा जा सके।अब चुकीं देश की जनता कांग्रेस पार्टी की भ्रष्ट व्यवस्था और लोकपाल विल को लेकर देश की जनता को जिस प्रकार से गुमराह करने का काम किया। डा. मनमोहन सिंह की असफल आर्थिक व्यवस्था ने देश को अंधकार में डाल दिया। एक तरफ शिक्षा का व्यवसायिकरण तो दूसरी तरफ देश में बेरोजगारों की बढ़ती समस्या से देश ध्यान हटाने और देश में श्री नरेन्द्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के खतरे को भांपते हुए कांग्रेस पार्टी ने सांप्रदायिकता के कार्ड को खेलने का खतरा मोल ले लिया है। इससे देश को क्या लाभ या हानि होगी यह तो वक्त ही बता पायेगा। हाँ ! इतना जरूर तय हो जायेगा देश में 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व ही सांप्रदायिकता की आग इस कदर लगेगी कि पूरा देश एकबार फिर से आजादी की घटना को याद कर सकेगा।
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