प्रकाश चंडालिया
पश्चिम बंगाल विधान सभा में सोमवार २३ नवम्बर २००८ को कला, साहित्य, संगीत और पत्रकारिता जगत की कुछ विशिष्ट विभूतियों के निधन पर शोक व्यक्त किया गया और दिवंगत आत्मावों को श्रद्धांजलि दी गई. जिन लोगो को विधान सभा में श्रद्धांजलि दी गई, उनमे सभी अपने-अपने क्षेत्र की जानीमानी और चर्चित शक्सियत हैं. हाँ, दो-एक नाम ऐसे अवसरों पर जोड़ दिए जाते हैं, जिनका सत्तारूढ़ पार्टी से सरोकार होता है, और इसी बहने उनकी आत्मावों को भी श्रद्धांजलि देकर शांत कर दिया जाता है. इस बार भी यह परम्परा कोई अपवाद नही थी. पर दर्द देने वाली बात यह है कि विधानसभा में जिन्हें श्रधांजलि दी गई, उनमे हिन्दी और राजस्थानी के शीर्ष कवि कन्हैयालाल सेठिया का नाम नही था. भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से विभूषित सेठिया जी कई दशकों से कोल्कता में ही रहते थे. यही नही, तमाम बड़े नेता कोलकाता आते, तो उनके ६, आशुतोष मुख़र्जी रोड स्थित जाकर ही उनसे मुलाकात करते. इसी २२ नवम्बर को असाम के राज्यपाल शिवचरण माथुर सेठिया जी को श्रद्धांजलि देने उनके निवास गए थे. उनकी सुरक्षा व्यवस्था राज्य सरकार ने ही कि थी. सो, यह तो माना नही जा सकता कि सेठिया जी के नाम से राज्य विधान सभा अवगत नही थी. कोलकाता में राजस्थान और मारवाडी के नाम पर अनगिनत संस्थाएं हैं. कुछ संस्थावों के अखिल भारतीय कार्यालय भी यहाँ ही हैं. अखिल भारतवर्षीय मारवाडी सम्मलेन, राजस्थान फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल प्रादेशिक मारवाडी सम्मलेन, राजस्थान परिषद् कोलकाता मारवाडी सम्मलेन जैसी संस्थाओं के पदाधिकारियों को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रतिवाद दायर करना चाहिए. विधान सभा में राजस्थानी समाज के एकमात्र विधायक इसमे सक्रीय भूमिका निभा सकते हैं. यदि यह भूल है, तो उसे निश्चय ही सुधारा जा सकता है, पर यदि इसमे सुधार नही होता है, तो निश्चय ही माना जाना चाहिए कि राजस्थानी समाज के प्रति राज्य सरकार की मनोभावना में कहीं न कहीं खोट अवश्य है. साहित्य, और कला क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति का यदि हम सम्मान नही करेंगे, तो एक दिन हम अपना सम्मान खो बैठेंगे.सामाजिक समरसता कि दुहाई देने वाली साम्यवादी सरकार सेठिया जी के साहित्य अवदानों का मूल्यांकन करते हुए उन्हें अपेक्षित श्रद्धांजलि देगी, ऐसा विश्वास है.
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
विधानसभा भूल गई सेठिया जी को श्रद्धांजलि देना
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 2:00 am
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1 विचार मंच:
हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा
विधानसभा में आपके वोट को श्रद्धांजलि मिलती है न कि कन्हैयालाल सेठिया जी को, राज्य का एक भी प्यादा उनके निवास नहीं जा सका अभी तक, बंगाल का एक भी साहित्यकार अपनी श्रद्धांजलि नहीं दे सका इनको। भाई ये सरकार वमदलों द्वारा संचालित हैं इनके विचारधारा से आप सहमत नहीं हैं फिर श्रद्धांजलि किस मुँह से मांगते हो आप। कन्हैयालाल जी को भाजपा ने अपनी छाप लगा दी है कि ये उनके कवि हैं। वामदल की छाप लगी होती तो जिस प्रकार प्रतिभा खेतान की शोक सभा में विमान बाबू गये थे, यहाँ नहीं जा सकते थे क्या।