कुंवर प्रीतम
किस्मत की बलिहारी भइया, किस्मत की बलिहारी भइया
मेहनतकश को भूख नसीब पर, खाए जुआरी माल-मलइया
टाटा बिरला सेज बनावैं, हाथ बटावे कॉमरेड भइया
मार भगावें गरीब मजूर को, जमीन तुम्हारी काहे की भइया
भागो-भागो दूर गरीबो, देस तुम्हारा नहीं रहा अब
इंडिया शाइनिंग, इंडिया शाइनिंग, देत सुनात दिन-रात है भइया
गान्हीजी के देस में हमरी, हुई हाल ई काहे भइया
पूछा इकदिन माट साब से, बोले उड़ गई तोरी चिरइया
अब जे इस देस में रहबै, जै हिन्द बोली बन्द करो
भारतवर्ष का वासी हौ तो, अंखियां अपनी बन्द करौ
नाम रटो इटली मइया के, सोनिया देवी कहात हैं भइया
काका कहिन हार के हमसै, ले चल जीवत मशान रे भइया
हम न जीइब अब ई कलियुग में, देस हमार ना रहा ई भइया
शनिवार, 27 सितंबर 2008
किस्मत की बलिहारी भइया
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 12:34 am
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2 विचार मंच:
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गान्हीजी के देस में हमरी,
हुई हाल ई काहे भइया
पूछा इकदिन माट साब से,
बोले उड़ गई तोरी चिरइया
बहुत सुन्दर रचना बनी है,
आपको मेरी शुभकामना
शम्भु चौधरी