हिन्दी साहित्य सभा की एक साहित्यिक गोष्ठि चल रही थी, विचार हो रहा था कि हिन्दी को कैसे मजबूत किया जाय। मांग हुई कि भारत सरकार अपने सभी मंत्रालय में हिन्दी के जानकार को जरूर से रखे खासकर ऐसे विभाग जो अहिन्दी राज्यों में संचालित होते हैं, देखा गया कि इससे १० हजार हिन्दी भाषी कि नियुक्ति हो जायेगी। सदस्यों ने राय दी कि हमें राज्य सरकारों एवम् गैर सरकारी संस्थानों में भी हिन्दी के लिये पद सुरक्षित कराया जाना चाहिये। सबकी एक राय हुई कि इस संदर्भ मे एक प्रस्ताव बना कर सभी राज्य सरकारों व केन्द्रिय सरकार को भेजा जाय। सभी सदस्य मन ही मन काफी संतुष्ट नजर आ रहे थे। सभा जब समाप्त हो गई तो एक न व्यंग्य किया "भाई! नौकरी तो हमें हिन्दी के नाम पर मिलेगी तब हमारी क्या योग्यता रही?" दूसरे न जबाब दिया -"हिन्दी!" हम हिन्दी के वाहक बन कर अपने नाम के आगे अंग्रेजी चिन्ह लगाकर "Dr." अपनी नौकरी पक्की करा लेंगे। बाकी के ७० करोड़ लोग हमें ताकते रहेंगे- टूकुर-टूकुर
सोमवार, 13 दिसंबर 2010
व्यंग्य- टूकुर-टूकुर - शम्भु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 3:52 am
Labels: शम्भु चौधरी
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