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रविवार, 25 जनवरी 2009

समझौते की बात न हो तो अच्छा है


राष्ट्रीय महानगर कोलकाता महानगर सांध्य दैनिक की तरफ से गत २३ जनवरी को कोलकाता के माहेश्वरी भवन सभागार में "अपनी धरती अपना वतन" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी शुरूआत श्री प्रकाश चण्डालिया के पुत्र चिं. चमन चण्डालिया ने माँ सरस्वती वन्दना से की।
कोलकाता. सांध्य दैनिक राष्ट्रीय महानगर की और से आयोजित कवि सम्मलेन एवं अपनी धरती-अपना वतन कार्यक्रम कई मायनों में यादगार बन गया। कोलकाता में हाल के वर्षों में यह ऐसा पहला सार्वजनिक कवि सम्मलेन था जिसमे भाग लेने वाले सभी कवि इसी महानगर के थे। महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने अपने संबोधन में कहा भी, कि यहाँ जब भी कोई सांस्कृतिक आयोजन होता है तो लोग कलाकार का नाम जानने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन जब कभी भी कोलकाता में कोई कवि सम्मलेन होता है तो उसका शहर जानने को उत्सुक रहते हैं। इस सोच कि पृष्ठभूमि में शायद यह बात छिपी है कि कोलकाता में शायद अच्छे कवि हैं ही नही। पर राष्ट्रीय महानगर ने इस सोच से मुकाबिल होते हुए इस कवि सम्मलेन में केवल कोलकाता में प्रवास करने वाले कवियों को ही चुना, उन्होंने कहा कि खुशी इस बात कि है कि कोलकाता के कवियों को सुनने पाँच सौ से भी अधिक लोग उपस्थित हुए। वरिष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन', श्री नन्दलाल 'रोशन', श्री जे. चतुर्वेदी 'चिराग', श्रीमती गुलाब बैद और उदीयमान कवि सुनील निगानिया ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएँ सुना कर भरपूर तालियाँ बटोरीं, साथ ही, डाक्टर मुश्ताक अंजुम, श्री गजेन्द्र नाहटा, श्री आलोक चौधरी को भी मंच से रचना पाठ के लिए आमंत्रित किया गया। सभी कवियों ने अपनी उम्दा रचनाएँ सुनायीं। देशभक्ति, आतंकवाद और राजनेताओं की करतूतों पर लिखी इन कवियों कि रचनाएँ सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए और बार बार करतल ध्वनि करते रहे। कवि सम्मलेन लगभग दो घंटे चला। कवि सुमनजी और रोशनजी ने जबरदस्त वाहवाही लूटी। मुश्ताक अंजुम कि ग़ज़ल भी काफ़ी सराही गई। गजेन्द्र नाहटा ने कम शब्दों में जानदार रचनाएँ सुनाई। गुलाब बैद कि रचना भी काफ़ी सशक्त रही। कार्यक्रम के दूसरे दौर में देश विख्यात कव्वाल जनाब सलीम नेहली ने भगवन राम कि वंदना के साथ साथ ये अपना वतन..अपना वतन.. अपना वतन है, हिंदुस्तान हमारा है जैसी उमड़ा देशभक्ति रचनाएँ सुनकर श्रोताओं को बांधे रखा। संध्या साढ़े चार बजे शुरू हुआ कार्यक्रम रात दस बजे तक चलता रहा और सुधि श्रोता भाव में डूबे रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन राष्ट्रीय महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने किया, जबकि कवि सम्मलेन का सञ्चालन सुशिल ओझा ने किया। प्रारम्भ में सुश्री पूजा जोशी ने गणेश वंदना की और नन्हे बालक चमन चंडालिया ने माँ सरस्वती का श्लोक सुनाया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वृद्धाश्रम अपना आशियाना का निर्माण कराने वाले वयोवृद्ध श्री चिरंजीलाल अग्रवाल, वनवासियों के कल्याण के बहुयामी प्रकल्प चलाने वाले श्री सजन कुमार बंसल, गौशालाएं चलाने वाले श्री बनवारीलाल सोती और प्रधान वक्ता सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के पैरोकार श्री कमल गाँधी के साथ साथ कोलकाता की पूर्व उप मेयर श्रीमती मीना पुरोहित, पार्षद सुनीता झंवर उपस्थित थीं। कार्यक्रम के प्राण पुरूष राष्ट्रीय महानगर के अनन्य हितैषी श्री विमल बेंगानी थे। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह आयोजन देशप्रेम कि भावना का जन-जन में संचार सेवा के उदेश्य से किया गया है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय महानगर के पाठकों की और से राष्ट्रीय महानगर के संस्थापक श्री लक्ष्मीपत सिंह चंडालिया और श्रीमती भीकी देवी चंडालिया का भावभीना सम्मान किया गया। शहरवासियों के लिए इस कार्यक्रम को यादगार बनाने में सर्वश्री विद्यासागर मंत्री, विजय ओझा, राकेश चंडालिया, गोपाल चक्रबर्ती, विजय सिंह दुगर, गौतम दुगर, पंकज दुधोरिया, हरीश शर्मा, राजीव शर्मा, प्रदीप सिंघी, सरीखे हितैषियों का सक्रिय सहयोग रहा। बदाबजर के महेश्वरी भवन में आयोजित इस विशिष्ट समारोह में सभी क्षेत्र के लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय महानगर की सहयोगी संस्था अपना मंच कि काव्य गोष्ठियों के चयनित श्रेष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल सुमन, श्री नन्दलाल रोशन और सुश्री नेहा शर्मा का भावभीना सम्मान किया गया। सभी विशिष्ट जनों को माँ सरस्वती की नयनाभिराम प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया। समारोह में उपस्थित विशिष्ट जनों में सर्वश्री जुगल किशोर जैथलिया, नेमीचंद दुगर, जतनलाल रामपुरिया, शार्दुल सिंह जैन, बनवारीलाल गनेरीवाल, रमेश सरावगी, सुभाष मुरारका, सरदार निर्मल सिंह, बंगला नाट्य जगत के श्री अ.पी. बंदोपाध्याय,राजस्थान ब्रह्मण संघ के अध्यक्ष राजेंद्र खंडेलवाल, हावडा शिक्षा सदन की प्रिंसिपल दुर्गा व्यास, भारतीय विद्या भवन की वरिष्ठ शिक्षिका डाक्टर रेखा वैश्य सेवासंसार के संपादक संजय हरलालका, आलोक नेवटिया, अरुण सोनी, अरुण मल्लावत, रामदेव काकडा, सुरेश बेंगानी, कन्हैयालाल बोथरा, नवरतन मॉल बैद, रावतपुरा सरकार भक्त मंडल के प्रतिनिधि सदस्य, रावतमल पिथिसरिया, शम्भू चौधरी, प्रमोद शाह, गोपाल कलवानी, प्रदीप धनुक, प्रदीप सिंघी, महेंद्र दुधोरिया, प्रकाश सुराना, नीता दुगड़, वीणा दुगड़, हीरालाल सुराना, पारस बेंगानी, बाबला बेंगानी, अर्चना रंग, डाक्टर उषा असोपा, सत्यनारायण असोपा, गोपी किसान केडिया, सुधा केडिया, शर्मीला शर्मा, बंसीधर शर्मा, जयकुमार रुशवा, रमेश शर्मा, सुनील सिंह, महेश शर्मा, गोर्धन निगानिया, आत्माराम तोडी, घनश्याम गोयल, बुलाकीदास मिमानी, अनिल खरवार, डी पांडे, राजेश सिन्हा उपस्थित थे ।


"अपनी धरती अपना वतन"
मंच पर आसीन कवि थे सर्वश्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन', नन्दलाल 'रोशन', जे. चतुर्वेदी 'चिराग, श्रीमती गुलाब बैद, और सुनील निंगानिया। देशप्रेम की भावना से परिपूर्ण श्री नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की याद में कोलकाता स्थित स्थानीय माहेश्वरी भवन सभागार में किया था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रधान वक्ता बतौर श्री कमल गाँधी ने देश के वीर सेनानियों को नमन करते हुए मुम्बई घटना में हुए शहीदों को अपनी भावपुर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इन शहिदों के नाम को जितनी श्रद्धा के साथ लिया जाय उतना ही कम है, देश के वर्तमान नेताओं के नाम को लिये बिना आपने कहा कि जिस मंच पर सुभाष-गांधी को याद किया जाना है, वीर शहिदों को याद किया जाना है ऐसे मंच पर खड़े होकर उनका नाम लेकर इस मंच की मर्यादा को कम नहीं करना चाहता। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच श्री कमल गाँधी ने कहा कि हम अभी इतने भी कायर नहीं हुए कि अपने राजनैतिक स्वार्थ के चलते देशहित को तिलांजलि दे देगें, हमारे लिये देशहित सर्वप्रथम है। इस समारोह की अध्यक्षता शहर के जाने-माने समाज सेवी श्री चिरंजीलाल अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन श्री एस.के पारिक ने किया। बतौर प्रदान अतिथि थे श्री सजन कुमार बंसल और बनवारी लाल सोती। कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष श्री बिमल बैंगानी ने सभी का स्वागत किया और धन्यवाद दिया महानगर के जाने -माने पत्रकार और 'राष्ट्रीय माहानगर' के संपादक श्री प्रकाश चण्डालिया ने कवि मंच " अपनी धरती-अपना वतन" कार्यक्रम के संचालन की शुरूआत श्री सुशील ओझा ने श्री छविनाथ मिश्र की कविता से की:


मेरे दोस्त मेरे हमदम तुम्हारी कसम
कविता जब किसी के पक्ष कें या
किसी के खिलाफ़ जब पूरी होकर खड़ी होती है;
तो वह ईश्वर से भी बड़ी होती है।
-छविनाथ मिश्र


अपनी धरती अपना वतन कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए श्रीमती गुलाब बैद ने माँ सरस्वती पर अपनी पहली रचना प्रस्तुत की।
माँ सरस्वती.. माँ शारदे, हम सबको तेरा प्यार मिले...2
चरणों में अविनय नमन करें,
तेरा बाम्बार दुलार मिले। हे वीणा वादणी, हंस वाहिणी.. तू ममता की मूरत है।
श्री सुनील निंगानिया ने आतंकवाद पर अपनी कविता के पाठ कर बहुत सारी तालियां बटोरी..
शहर-शहर.... गाँव-गाँव मौसम मातम कुर्सी का
आम अवाम लाचार हो गई, देख रही छलनी होते ..
भारत माँ की जननी को .. शहर-शहर....
दिल्ली का दरबार खेल रहा है, खेल ये कैसा कुर्सी का...
यह कैसी आजादी होती, हम आजादी पर रोते हैं
सरहद से ज्यादा खतरा घर की चारदिवारी का... शहर-शहर....
आगे इन्होंने कहा..
उग्रवाद का समाधान नहीं .. राजनीति की दुकानों पे
हासिल करना होगा इसे हमें, अपने ही बलिदानों से..शहर-शहर....
श्री जे. चतुर्वेदी 'चिराग'
धरा पुनः वलिदान मांगती......हिन्द देश के वासी जागो...
जीवन नाम नहीं जीने का, जिस सम अधिकार नहीं हो,
जीवन की परिभाषा तो, अधिकार छीनकर जीना होता...
धरा पुनः वलिदान मांगती......हिन्द देश के वासी जागो...
श्रीमती गुलाब बैद ने अपनी ओजस्वी गीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
1.कभी मार सकी मौत तुम्हें, हे अमर वीर बलिदानी...
भारत माँ के सच्चे सपुत हो, सच्चे हिन्दुस्तानी...
जब-जब भारतमाता को, दुश्मन ने आँख उठाकर
सीमा पर ललकारा
तब-तब भारत माँ ने तुम्हें पुकारा....
2.सैनिक जीवन है सर्वोत्तम, सर्वोत्तम सैन्य कहानी
कब मार सकी है मौत तुम्हें
हे अमर वीर बलिदानी...
3. चन्दन है भारत की माटी
महक रहा इसका कण-कण
जिसकी गौरव गाथा गाते
हरषे धरती और गगन.....
श्री नन्दलाल 'रोशन' ने ग़ज़ल और कविताओं के सामंजस्य को इस बखूबी बनाया कि सभी दर्शकगण बार-बार तालियां बजाते चले गये..
-कौन मेरे इस वतन में बीज नफ़रत के बो रहा....
-उनकी जुवां पर पत्थर पिघलने की बात है,
यह तो महज दिल को बहलाने की बात है।
-जो भी आया सामने.. सारे के सारे खा गये
हक़ हमार खा गये.. हक़ तुम्हारा खा गये..
और खाते-खाते पशुओं का चारा भी वो खा गये।
-पल में तौला.. पल में मासा, राजनीति का खेल रे बाबा..
धक-धक करती चलती दिल्ली अपनी.. रेल रे बाबा..
बहुत पुराना खेल रे बाबा...
सां-संपेरे का खेल हो गया.... पकड़ लिया तो बात बन गई,
चुक गया तो मारा गया रे बाबा.....
ताल ठोक संसद जाते, जनता के प्रतिनिधी कहलाते।
सारा ऎश करे य बहीया...
जनता बेचे तेल रे भईया...
पहले मिल बाँटकर खाते.. फिर आपस में लड़ जाते;
स्वाँगों की भी जात !.. फेल हो गई रे बाबा...
डॉ.मुस्ताक अंजूम ने अपनी ग़ज़लों से सभी को मोह लिया।
हजारों ग़म हैं, फिर भी ग़म नहीं है
और हमारा हौसला कुछ कम नहीं है।
और उसकी बात पर कायम है सबलोग
जो खुद अपनी बात पर कायम नहीं है।।
श्री गजेन्द्र नाहटा और श्री आलोक चौधरी जी ने भी अपनी कविताओं का पाठ इस मंच से किया।
गजेन्द्र जी नाहाटा-
दर्द को खुराक समझ के पीता हूँ
और टूटते हृदय को आशाओं के टांके से सीता हूँ।
आलोक चौधरी
जब सुभाष ने शोणित माँगा था.. सबसे करी दुहाई थी,
जाग उठा था देश चेतना.. पाषाणों में, जान आई थी।
कवि मंच "अपनी धरती-अपना वतन" के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन' ने अपनी कविताओं का पाठ शुरू करने से पूर्व कहा कि सभागार में शहर के सो से भी अधिक कवियों की इस उपस्थिति ने यह बता दिया कि कि इस महानगर में भी कवि रहते हैं श्री प्रकाश चण्डालिया का आभार व्यकत करते हुए अपनी दो पंक्तियां कही..
जो दिलों को जोड़ता है, उन ख्यालों को सलाम
अव्वल तुफानों में उन मशालों को सलाम
जो खुद जलकर उजाला बांटता हो उन मशालों को सलाम।
आपने कहा कि वे अपने लोगों से गुजारिश करूँगा कि वे अपने शहर के चिरागों को सामने लायें। आपने "मातृभूमि की बलिवेदी को प्रणाम" कविता का पाठ भी किया.. आपने वर्तमान राजनीति के रंग को अपनी इस कविता के माध्यम से चित्रण किया..
जिन शलाखों के पीछे वह बरसों रहे ... वे अब शलाखों के पहरेदार हैं।
कल तलक जो लुटेरे थे, आज उनकी सरकार है।।
होना हो तो एक बार हो, ये बार-बार होना कैसा है।
और धार चले तो एक बार चले.. धार-धार चलना कैसा है।।
आपने आगे कहा...
तासकंद की रात न हो तो अच्छा है,
शिमला जैसा प्रातः न हो तो अच्छा है,
करगील जैसा घात न हो तो अच्छा है
समझौते की बात न हो तो अच्छा है।

2 विचार मंच:

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Udan Tashtari ने कहा…

इस आयोजन की बेहतरीन एवं विस्तृत रपट पेश करने का आभार.

आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

Ashish Maharishi ने कहा…

गणतंत्र दिवस पर आईए एक बेहतर लोकतंत्र की स्थापना में अपना योगदान दें...जय हो..

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