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मंगलवार, 13 अगस्त 2013

सेकुलरिज्म बनाम देश की सुरक्षा - शम्भु चौधरी

देश के सैनिकों का अपमान या देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का नाम सेकुलर नहीं हो सकता। जो लोग ऐसा सोचते हैं कि इससे उनको चुनावों में फायदा हो सकता है से भी स्पष्ट हो जाता है कि देश में पकिस्तानियों की संख्या भारत की संप्रभुता के लिए खतरा बनती जा रही है। अर्थात सेकुलरवादी राजनेता देश की सुरक्षा के सौदागर बन चुके हैं।

जबसे भारतीय संविधान में सेकुलर शब्द को अंकित किया गया है तब से देश के भीतर पाकिस्तानी समर्थकों का मनोबल इतना ऊँचा हो गया है कि देश की सुरक्षा को भी खतरा मंडराने लगा है। पाकिस्तानी समर्थकों से आप जो भी अर्थ लगायें वह आपकी सोच हो सकती है। जहां तक मेरा मानना है कि जो लोग भारतीयता को नहीं स्वीकारते, भारतीय संस्कृति को अपनाने में जिनको अड़चनें आती हों। भारतीय सैनिकों की बलि पर जो लोग संसद के भीतर और बहार देश को गुमराह करते हों, जो लोग पकिस्तानियों को दोष मुक्त करार देने में जरा भी संकोच नहीं करते, भारतीय क्षेत्र में रहकर भारत के विरूद्ध साजिश करने में सहयोग प्रदान करना, आतंकवादियों व उन से जुड़ी घटनाओं की वकालत करना व देश की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर उन्हें भारतीय राजनीति का हिस्सा बनाना या बनाने का प्रयास करना यह सभी कारनामे देशद्रोही की श्रेणी में आते हैं। और इसके लिए खुद को सेकुलरवादी बताने वाले लोग ही जिम्मेदार हैं । यही सेकुलरवादी ना सिर्फ आतंकी घटनाओं के लिए देश में जगह-जगह होने वाले दंगों के लिए भी जिम्मेदार हैं।

इन दिनों देश की संसद व विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में कुछ ऐसे तत्वों की भरमार सी हो चुकी है जो सेकुलरिजम के बहाने देश की सुरक्षा के खिलाफ न सिर्फ सार्वजनिक बयान देते पाये जाते हैं इन लोगों ने देश के सैनिकों के मनोबल को भी कमजोर करने का प्रयास किया है। इन सबके बीच देश का लोकतंत्र तमाशबीन बनकर रह गया। इस बात को लेकर भी हम आश्चर्यचकित हैं कि आखिर में हमारे सेकुलरवादी विचारधारा के झंडावाज नेतागण देश को किस दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। इनका जमीर इस कदर समाप्त हो चुका कि ये लोग सत्ता प्राप्त करने के लिए देश की सुरक्षा तक को भी दाव में लगाने से बाज नहीं आते।

ऐसे नेताओं के विरूद्ध देशद्रोह का मामला बनाया जाना चाहिए जिससे इस तरह के बयानों से जिससे देश की सुरक्षा को खतरा बनता हो पर लगाम लगाया जा सके। देश के सैनिकों का अपमान या देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का नाम सेकुलर नहीं हो सकता। इससे उनको चुनावों में किसी विशेष समुदाय के वोटों का फायदा तो हो सकता है परन्तु कालान्तर में यही फायदा देश की संप्रभुता के लिए खतरा भी बनता जा रहा है। जो लोग ऐसा सोचते हैं उनकी इन हरकतों से उनको या उनके दल का राजनीति फायदा होता है वे लोग देश के इतिहास को उठाकर देख लें कि इसके क्या परिणाम सामने हमें देखने को मिल रहें हैं। जैसे-जैसे सत्ता पर सांप्रदायिक ताकतों का पल्ला मजबूत होता जा रहा है देश में उतने ही तेजी से सांप्रदायिक तनाव फैलता जा रहा है। अब तो कई जगह खुले रूप में देश के विरूद्ध जहर तक उगलने लगे हैं।

यहाँ यह सवाल नहीं है कि किसी संप्रदाय या दल विशेष की बात हो या उनकी नीतियों को दोषी ठहराया जाए। सवाल है कि हम इन मुद्दों को लेकर देश को किस जगह ले जाने का प्रयास कर रहें हैं इससे किसको फायदा होने वाला है। जो लोग भारतीयता को स्वीकार नहीं कर पा रहे उनको हम भारतीय राजनीति में जगह देकर ना सिर्फ खुद को कमजोर करने का प्रयास कर रहें हैं अन्ततः इसका परिणाम सभी राजनैतिक दलों को झेलना पड़ सकता हैं । उस समय आज कि इस राजनीति के परिणाम कितने घातक होगें इसकी कल्पना मात्र से देश की रूह कांप जाऐगी। सभी राजनीति दलों को इस सेकुलरवादी विचारधारा के परिणामों पर ना सिर्फ पुनः सोचने की जरूरत है। भारतीय राजनीति का उद्देश्य सिर्फ सत्ता को प्राप्त करना नहीं, भारतीय संस्कृति की रक्षा भी होना जरूरी है। ताकी सभी धर्म के लोग आपसी भाई-चारे के साथ रह कर अपने-अपने समाज का विकास कर सकें।

-लेखक एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व चिंतक हैं।

2 विचार मंच:

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Alpana Verma ने कहा…

सार्थक लेख.
काश,सभी समय रहते चेत जाएँ अन्यथा भयंकर परिणाम होने वाले हैं.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

पूर्णतया सहमत हूँ आपकी बातों से !!

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