क्यूकि और सहा नहीं जाता है
मेरे ही स्वरूपों को
हर पल रूलाया जाता है।
मत दो प्रलोभन अपनी श्रद्धा का
अपनी भक्ति, अपनी पूजा का
ये सब आडम्बर लगते हैं
ऐसा लगता है जैसे
मुझे रिझाया जाता है ।
मेरे ही स्वरूपों को
हर पल रूलाया जाता है ।
"मत करो गर्व अपने पराक्रम का
अपनी वुद्धि और अपनी मान का
ये सब क्षणिक होते हैं, पलभर में नष्ट होते हैं,
मेरे द्वारा तुमको आज, यही सिखाया जाता है
मेरे ही स्वरूपों को, हर पल रूलाया जाता है ।"
मत करो गर्व अपने पराक्रम का
अपनी वुद्धि और अपनी मान का
ये सब क्षणिक होते हैं,
पलभर में नष्ट होते हैं,
मेरे द्वारा तुमको आज
यही सिखाया जाता है
मेरे ही स्वरूपों को
हर पल रूलाया जाता है ।
पुरुष बनकर मान रखो तुम पुरुषार्थ का
कार्य करो वह, जो हो जग कल्याणार्थ का,
मेरे मन को तो, ये ही सब भाते हैं
पाते हैं मेरी कृपा, जो इसे निभाते हैं
इन पथ पर चलकर ही
मुझे पाया जाता है
मेरे ही स्वरूपों को
हर पल रूलाया जाता है ।
______