हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम सत्ता की लालच में इस कदर अपनी जमीर बेच चुके हैं कि कोई कुछ भी कर जाए हमें कुछ नहीं फर्क पड़ता । आखिर देश बचेगा तब न राजनीति करोगो । भारत में आई.एस.आई के समर्थक नहीं चाहते कि भारत में कोई मजबूत प्रधानमंत्री बने जो उनको आंख दिखाकर बात करे और पाकिस्तानियों को भारत की भूमि से खदेर कर भगा देवे। ऐसे लोग चाहते है कि कोई ऐसा हरामजादा इस देश की सत्ता पर राज कर सके जो उनके कुत्तों को रोटी खिला सके। ।
पिछले 27 अक्टूबर को पटना में आयोजित भाजपा की विशाल रैली जिसमें लगभग 5 से 6 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था इस दौरान पटना के रेलवे स्टेशन और गांधी मैदान के चारों तरफ सिलसिलेवार सात बम धमाके हुए। इन धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से अधिक लोगों की घायल होन की सूचना मिली। दो लोग मौके से पकड़े जा चुके हैं। बोधगया के बाद बिहार में यह दूसरी और सबसे बड़ी आतंकी घटना है । गांधी मैदान में आयोजित इस विशाल रैली में भाजपा के नेताओं ने यदि थोड़ी सी भी चूक की होती या श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने भाषण में इन विस्फोटों का जिक्र किया होता तो भगदड़ मच जाती और इस भगदड़ में हजारों लोगों की जान पलकों में चली जाती । खैर! हम इस बात के लिए भाजपा नेताओं की दिलेरी और हिम्मत को सलाम करते हैं कि इतनी बड़ी बारदात को आंखों के सामने होते हुए भी मंच छोड़ कर नहीं भागे जैसा की कांग्रेसी सोच रहे हैं। संभवतः सेकुलरवादी दलों की मिलीभगत रही हागी किसी प्रकार इस रैली में भगदड़ मचा दिया जाए और फिर इस भगदड़ के बहाने देश की जनता को गुमराह कर अपनी-अपनी राजनीति रोटी पकाई जा सके।
मुज्जफ्फरनगर दंगों की आग को जिस प्रकार राहुल गांधी ने आग में घी डालने का प्रयास किया और देश के मुसलमानों पर शंका कर उन्हें अपमानित करने का प्रयास किय इससे भी इस बात की पूष्टी हो जाती हैं कि इस देश में सेकुलरवादी दल आईएसआई के एजेंट के रूप में कार्य कर रहें हैं। इंडियन मुजाहिदीन भारत में तेजी से अपनी जड़ें मजबूत करता जा रहा है । उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड में इस संगठन ने काफी सक्रियता से पांव फैलायें हैं। जिसको आंचलिक सेकुलरवादी दलों का संरक्षण भी प्राप्त है। अब कांग्रेसी भी इस संगठन को अपना संरक्षण देने का प्रयास कर आतंकवदियों के साथ सांठगांठ करने का प्रयास कर रही है। मुसलमानों के वोट को लेकर भारत में जिस प्रकार की राजनीति की जा रही है इससे यह तो स्पष्ट हो चुका है कि अब मुसलमानों को काफी सतर्क होने की आवश्यकता है । एक तरफ आईएसआई इनको भारत के खिलाफ भड़काने में लगी है तो दूसरी तरफ सेकुलरवादी दल इनको अपने-अपने पाले में लेने के लिए इनको हिन्दुओं के खिलाफ भडकाने में लगी है। जिसप्रकार इन दिनों राजनैतिक दलो द्वारा वोट की रजनीति के लिए सेकुलरवाद की परिभाषा का अलग-अलग अर्थ लगाया जा रहा है इससे आईएसआई मजबूत ही नहीं उनके समर्थकों का मनोबल भी बढ़ता जा रहा है। मानों ऐसा लग रहा है कि भारत में सेकुलरवादी राजनैतिक दल आईएसआई के पक्षधर बन चुकें है। मुस्लिम तुष्टिकरण नीति के कारण समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी जिला इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है! यूपी का 'आजमगढ़ मॉड्यूल' की जगह अब 'दरभंगा मॉड्यूल' और 'मधुबनी मॉड्यूल' सक्रिय हो गया है।
हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम सत्ता की लालच में इस कदर अपनी जमीर बेच चुके हैं कि कोई कुछ भी कर जाए हमें कुछ नहीं फर्क पड़ता । आखिर देश बचेगा तब न राजनीति करोगो । भारत में आई.एस.आई के समर्थक नहीं चाहते कि भारत में कोई मजबूत प्रधानमंत्री बने जो उनको आंख दिखाकर बात करे और पाकिस्तानियों को भारत की भूमि से खदेर कर भगा देवे। ऐसे लोग चाहते है कि कोई ऐसा हरामजादा इस देश की सत्ता पर राज कर सके जो उनके कुत्तों को रोटी खिला सके।