प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति
Pramodh Saraf, Gowahati |
प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति
Pramodh Saraf, Gowahati |
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 8:07 pm 0 विचार मंच
-शंभु चौधरी-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,
बच्चों की तरह।
देख हमारा ये दर्द
खुद झटपटाते रहे,
आँखों से आंसू
टपक न जाय कभी,
सारा गम
खुद ही पीते ही रहे।
जब बड़े हम हुए,
भूल ही हम गए,
माँ-बाप भी हैं हमारे
घर में, एकेले पड़े,
जो देते थे लाकर,
खुशियाँ हमें,
अब पराये हो गए
पतझड़ की तरह।
नौकरी ने हमें
इस कदर जकड़ दिया
घर जाने के लिए,
वक्त भी कम पड़ा
घिरनी की तरह।
जिस चाँदा मामा से
करते थे बातें दिन-रात,
आज हमको वो देखने भी,
तरस वो गए।
टीमटीमती थी 'लौ'
रौशनी की तरह,
बाढ़ के बीच
लिए एक आस,
जिंदगी की तरह।
हम भी जिन्दा हैं अभी
इस बाढ़ के बीच,
बचा लो 'कोई'
सब बह गया यहाँ,
आंधी की तरह।
देखते-देखते
आ गया बुढ़ापा यहाँ
हाथ की लाठी बन
सहारा की तरह।
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
शंभु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 7:57 pm 0 विचार मंच
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 7:50 pm 0 विचार मंच
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
सरकार साफ-साफ यह क्यों नहीं बताती कि अब देश के जितने भी कानून ब्रिटिश हुकूमत के प्रचलित हैं। जो भी व्यवस्था उनके द्वारा बनी हुई है जिसमें अंगूठा छाप राष्ट्रपति के लिए 380 कमरे के आलीशान भवन, राज्यपालों के द्वारा चुनी हुई सरकारों पर हुकूमत चलाने के सभी नियमों को समाप्त कर वास्तव में लोकतंत्र की स्थापना की जाएगी। परंतु जिस प्रकार दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार के अधिकारों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आनन-फानन में बिल लाकर संसद में जिस प्रकार पास किया गया, इससे से तो यही लगता है कि सरकार को बिल के माध्यम से, अपने दलाल राज्यपालों के द्वारा सरकार चलाना चाहती है। जिसे हम संवैधानिक व्यवस्था की आड़ देकर देश की संपदा को बेचने और विपक्ष की आवाज को दबा कर माओवादी प्रथा को लागू करना ही कहा जाएगा। यह जो कुछ भी आज देश में घट रहा है, यह ना तो आर.एस.एस. के सिद्धान्तों को प्रतिपादित करता है ना की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है। भारत के संविधान की तो कदापि नहीं।
जारी...
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 1:58 pm 0 विचार मंच
Labels: अमृत महोत्सव
प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -4
यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर
जय बिहार - जय जय बिहार |
आप खुद को बिहारी बोलतें है, आपको पता ही नहीं आपके बच्चों को कभी ट्रैन में, कभी शहर में धर-पकड़ के दूसरे प्रान्त के लोग मार रहें हैँ। अभी में पांच माह से घर-द्वार छोडें है तो लगे उसी में हम हैंकड़ी मारने, आपके-हमारे बच्चे मजदूर बनने के लिये कितने साल से घर-द्वार छोडें हैं, उनके दर्द को देखा है किसी ने? - प्रशांत किशोर (25/04/2023)
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 7:24 am 0 विचार मंच
Labels: जन सुराज, प्रशांत किशोर, Bihar
प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -3
यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर
जय बिहार - जय जय बिहार |
(देखें पश्चिम बंगाल सीमा पर गैसाल रेलवे स्टेशन के समीप भीषण रेल हादसा हुआ था. गैसाल स्टेशन पर दो अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध आसाम एक्सप्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई थी. दोनों ट्रेन एक ही लाइन पर आ गई थी. इस घटना में करीब 290-291 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया था।)
यदि सबको सही भी मान लीजियेगा तो भी आज बिहार, देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा, सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य है। -प्रशांत किशोर
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 12:58 am 0 विचार मंच
Labels: जन सुराज अभियान, प्रशांत किशोर, Bihar
प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -2
यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर
सवाल
एक बात प्रशांत किशोर जी को सार्वजनिक करना चाहिए कि इतने टेंट, गाड़ी, माइक, बैनर, शानदार सभागार बनाने की व्यवस्था, साथ में 200-300 आदमी के भोजन बनाने उनके सोने, नहाने बाथरूम की व्यवस्था, के लिए किस-किस राज्य के मुख़्यमंत्री, या राजनीति दल आपको पैसा दे रहा है?
आपने खुद यह बात कई सभा में की, कि आपको चुनाव जितने के लिये राजनीति दल करोड़ों में नहीं कई सो करोड़ों में धन देते थे.. आप यह भी सार्वजनिक करें कि आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जितने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?
आप नैतिकता की बात करते हैं. बिहार को बनाने की बात करते हैँ, कहीं आप अनैतिक तरीके से प्राप्त धन का उपयोग किसी खास उद्देश्य के लिये तो नहीं कर रहें हैँ?
आपने बड़ी चालाकी से केजरीवाल को भ्रष्टाचार में लिप्त घोषित कर दिया.. आप मुझे बस इतना ही बता दें रोजाना आपके काफिले पर, ताम-झाम पर, सड़कों पर आपके पोस्टर, कहीं गाँधी जी के नाम पर अपना राजनीति एजेंडा तो पूरा करने में नहीं लगे हो आप? आपके ऊपर रिपोर्टिंग बिना किसी भेदभाव के जारी रहेगी...
जन सुराज अभियान पार्ट -1 इस लिंक को देखें
जय बिहार - जय-जय बिहार |
"सवाल : आपने जो सर्विस राजनेताओं को चुनाव जिताने के लिए दी या उपलब्ध कराई उसके एवज में जो धन मिलता था, उसके ऊपर आपने कितना GST, जमा किया और आयकर में कितना टैक्स भुगतान किया? आपने ये सारा धन कैसे लिया?"
प्रश्न : लोकसभा चुनाव 2024 में जन सुराज बिहार में 40 लोकसभा सीट पर क्या अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी ?उत्तर : यह तो हम अभी नहीं बता सकतें, कारण की मेरी यह यात्रा अभी कितने दिन चलेगी, यह मेरे बस में नहीं, यदि मैं बीमार नहीं पड़ा तो भी अभी 1.5 साल लगेगा.. इससे पहले कोई दल बना के चुनाव लड़ना संभव नहीं होगा.. हाँ यदि आप जो जन-सुराज के संस्थापक सदस्य कोई उम्मीदवार खड़ा करता है और हमारी मदद मांगता है तो जरूर की जाएगी.. लेकिन अभी दल बना कर जल्दीबाज़ी में चुनाव लड़ने की मेरी कोई योजना नहीं है।
बिहार की कोई ऐसी समस्या नहीं है जो आपको पता नहीं, कोई नेता, कोई विद्वान, कोई व्यक्ति आकर कोई ऐसी बात आपको बिहार के बारे में बता सकतें जिसको आप जानते नहीं। सबको मालूम है कि यहाँ समस्या क्या है। सबलोग ये भी चाहतें हैं कि ये सुधार हो। लेकिन यह सुधर नहीं रहा। समस्या यह है कि यह सुधरेगा कैसे? और लोगों को उसका उपाय भी पता है। लोग रोज कह भी रहें हैं कि भईया जाति ख़तम हो जाएगा तो सुधर जाएगा। अच्छा आदमी हमलोग चुन देंगे तो सुधर जाएगा। लेकिन आप कर नहीं पा रहें, आपका आत्मविश्वास ही खतम हो गया है।
अभी जो जन सुराज के लिए जुड़ रहें हैं, वो समाज के लिए जुड़ रहें हैं ऐसा मैं नहीं मानता, आपमें से बहुत अच्छी भावना रखने वाले लोग भी है, लेकिन ज्यादातर आदमी, मुझे इस बात का एहसास है, ज्यादातर आदमी इसलिए जुड़ रहा कि 10 साल जो काम को उसने सुना है, उसको मालूम है कि इस आदमी को ओर कुछ आये ना आये, चुनाव जिताने आता है।
इसलिए कुछ आदमी उत्साह में, कुछ आदमी बैमन से ही सही लेकिन डर से कि कहीं कुछ नया खड़ा न हो जाए तो हम छुट न जायँ। इस बात का हमको अहसास है, लोग बड़ी-बड़ी बात कहतें हैं, समाज सुधारने के लिए, बिहार सुधारने के लिए, देश सुधारने के लिए। भैया हर आदमी देख रहा है कि अपना अवसर हमको तुरंत मिल जाए, जल्दी आगे बढ़ जायँ। हमसे ज्यादा लोग घबराहट में है। हम कह रहें हैं अभी पैदल चलने में दो वर्ष लगेगा, पर आदमी लोग जुड़ता है हमसे आकर कहता है भईया इसको जल्दी कीजिये। कल हमको विधयाक का टिकट दे दीजिये, 🤑🤑 परसो मंत्री बना दीजिये। और
आप समाज सुधार की बात कर रहें हैं, तो यह पूरा अभियान है यह नेताओं को गाली देने का अभियान नहीं है। यह जन आंदोलन भी नहीं है।यहाँ सब आंदोलन करनेवाले लोग बैठें हैँ। ये अपने अनुभव से आपको बताएँगे, पर मैंने जो जीवन में सीखा है, मेरा आंदोलनों में कोई यकीन नहीं।
जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है।
15/04/2023
आप मानव सभ्यता के इतिहास को पढ़ियेगा तो पता चलेगा, पुरे विश्व के आंदोलनों के इतिहास में में एक फ़्रांस के आंदोलन को अपवाद के तौर पर आप हटा दीजिये, तो किसी आंदोलन से मानव सभ्यता का कोई सृजन नहीं हुआ है, आंदोलन से आप किसी को सत्ता से हटा सकतें हैं, आंदोलनों से आप बड़े से बड़े सल्तनत को उखाड़ सकतें हैं,
जैसा आपने देखा जेपी का आंदोलन हुआ, उससे आपने इंदिरा गाँधी की सत्ता को उखाड़ दिया। उससे नया भारत, नया बिहार नहीं बना। क्योंकि आंदोलन वह तेज़ हथियार है जिससे आप बड़े से बड़े वृक्ष को काट सकतें हैं, कितना भी तेज़ हथियार आपके पास हो, पौधे को पेड़ नहीं बना सकतें। सृजन का अपना एक समय है।
आप खेत में बीज डालतें हैं तो तीन महीने के बाद ही वो फसल होगा। इसलिये घबड़ाने से नहीं होने वाला, इसलिए मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं। दस साल के कामों के अनुभव से मैंने इसकी एक परिकल्पना की है, जन सुराज ना दल नहीं है, यह कोई आंदोलन भी नहीं है। जन सुराज, समाज की मदद से एक नई व्यवस्था बनाने का प्रयास है।
आपको घर में बैठा बेरोजगार लड़का नहीं दिख रहा है, आपको यहाँ से बैठे-बैठे चाइना दिख रहा है। यहाँ से पुलवामा-पाकिस्तान दिख रहा है, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है वह क्या प्रशांत किशोर के लिये खड़ा होयेगा? 15/03/2023
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 2:49 am 0 विचार मंच
Labels: जन सुराज अभियान, प्रशांत किशोर, बिहार
प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान
यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर
जय बिहार - जय-जय बिहार |
मैं बहुत संघर्ष से आगे बढ़ा हूँ, पहली बार 11वीँ में अंग्रेजी बोलना सीखा, इसके बाद से धीरे-धीरे अंग्रेजी बोलने लगा, अब जर्मनी, फ्रेंच भी बोलते हैं। कई भाषा सीखी... अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ.. नेताओं के जितने से आपका भाग्य नहीं बदलेगा, वो जीत कर चले जातें हैं, आपका कुछ नहीं बदलता, मैंने नेताओं को बहुतों को जिताया। अब 2022 में घोषणा की, कि में जन सुराज अभियान शुरू करूंगा.. यह ना कोई दल है न कोई आंदोलन नहीं, आंदोलन से सत्ता बदली जा सकता है, इससे आपका भविष्य नहीं बदलेगा...
- प्रशांत किशोर
2. ज्यादातर लोग यह खोजते हैं कि उसमें कमी क्या है? - जिस किसी से भी आप मिलते हैं, तो समाज में ज्यादातर लोग यह खोजते हैं कि उसमें क्या कमी है। आप यह कोशिश किजिए, देखिये कि उस आदमी में अच्छी बात क्या है। मैंने इस चीज को बहूत सिरे से आत्मसात किया हुआ है। जिन लोगों के साथ मैंने काम किया, वे अच्छे थे, बुरे थे, कुछ न कुछ जरूर उन्होंने मुझे सिखाया, मेरे से श्रेष्ट रहें होंगे, तभी उनके साथ काम किया। लेकिन 10 साल काम कर के जो अनुभव किया, देखा कि नेताओं के और दलों के जीतने से समाज बदल जाएगा यह जरूरी नहीं। सत्ता का परिवर्तन हो जाए, और उससे व्यवस्था बदल जाए यह जरूरी नहीं।
जन सुराज युथ क्लब कैसे खोलें-
कोई आदमी आपको नेता नहीं बनाता, नेता आपको समाज बनाता है, आपको सबसे पहले अपने स्थर पर समाज से जुड़ना होगा..इसके लिए सबसे पहले अपने गाँव में आप कम से कम 30 युवाओं को जोड़ें, उसमें एक अध्यक्ष का चुनाव करें, एक टीम बनाये, फिर एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाये, जिसमें कम से कम 100-200 समाज के लोगों को जोडें, आप उन्हीं का नाम जोड़ें जो आपको या आपके टीम के सदस्य को जनता हो..ऐसे व्यक्ति को ना जोड़ें जो आपसे जुड़ना ही नहीं चाहता हो, फिर आपको जन-सुराज की तरफ से एक किट भेजी जाएगी. जिसमें एक केरमबोर्ड, संविधान की प्रस्तावना, गाँधीजी और बाबा अम्बेडकर की एक-एक तस्वीर किट के साथ भेजी जाएगी.. आप स्थानीय युवाओँ को जोड़ें.. इसी तरह से गाँव में सेना में भर्ती के लिए सुबह-सुबह दौड़ने वाले युवाओँ, खेलने वाले बच्चों को उनकी जरूरत के समान जैसे खेलने के समान या t-shirt आदि दें, उनको प्रोत्साहित करें, प्रतियोगिता का आयोजन करें.. ताकि वह आपसे जुड़ जाए, आपको अच्छे से जानने लगे .. इसके साथ-साथ ही हर क्लब में गरीब बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था भी करें.. जन सुराज आपको इसके लिए आर्थिक मदद भी करेगा।
3. मेरा राजनीति से दूर-दूर को कोई सबंन्ध नहीं रहा - 10 साल संयुक्त राष्ट्र संध में काम किया। 10-11 साल कुपोषण पर काम किया, पहले भारत में था, फिर अमेरिका, फिर अफ्रिका में पांच साल काम किया था। फिर मुझे वापस भारत में काम करने का अवसर मिला ।
4. पैदल चलने (यात्रा) से दो फायदेः पैदल चलने से दो फायदे है कि समाज की समस्या को आंखों से देखना और उसको अनुभव करना और कुछ ऐसी बात सिखना जो पहले से नहीं सुना ना देख हो।
5. चुनाव में जितने के लिए लोग सैकड़ों करोड़ देते हैं - चुनाव जितने के लिए ये लोग मुझे बहुत पैसा देते थे, पांच-दस लाख नहीं, पांच-दस करोड़ नहीं चार हजार लड़के मेरे साथ काम करते थे । चुनाव में जीतने के लिए, लोग सैकड़ों करोड़ देते हैं ।
6. दल बनाने से पहले समाज को जोडें : मुझे लगा कि अब जीवन में यह काम नहीं करेगें। अब लोगों के जीवन बदलने का काम करें। ऐसा कुछ करें जिससे लोगों के जीवन में कुछ बदलाव करें। मेरे साथ यह दुविधा होती थी कि चुनाव जितने के बाद नेता अपने सारे वादे भूल जाते थे। मेरा दस साल का अनुभव रहा है कि दल बनाने से पहले समाज को जोडें, पहले लोगों को जोड़ें, फिर उनसे समझे कि दल कैसे बनाए ।
मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं- प्रशांत किशोर 11/04/2023
मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं, मानव सभ्यता के इतिहास आप पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा, इससे पूरी दुनिया में मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। फ्रांस की क्रांति को अपवाद के रूप में छोड़ दें, आंदोलन या क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ है। आंदोलन और क्रांति लोगों को सत्ता हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिये नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है जिससे वृक्ष तो काटा जा सकता है, पौधा नहीं रोपा जा सकता।
7. देश में मोतियाबिंद हो गया : मोतियाबिंद में लोगों को पाकिस्तान, हिन्दू-मुस्लिम दिखता है, घर का चूल्हा, गैस, पेट्रोल महंगा हो गया नहीं दीखता.. अब सबसे पहले लोगों का मोतियाबिंद का ईलाज जरूरी है।
8. मेरे पैदल चलने का कारण : मेरे पैदल चलने से आपको पक्की सड़क नहीं मिलेगी, आपके बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी, आपकी ग़रीबी दूर नहीं होगी, आपकी नाली-गली ना बनी, राशन कार्ड में राव नाम ना जुड़ाई, इंदिरा आवास ना मिली। आपके बच्चों की पढ़ाई ठीक नहीं होगी, रोजगार नहीं मिलेगा।
तो हम पैदल क्यों चल रहे? पैदल इस लिए चल रहें हैँ कि जिस समाज की, लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहतें हैँ, जाकर एक बार अपनी आंख से देखें कि आप किस कष्ट में ज़ी रहें हैं। आपके बच्चों को कितनी तकलीफ है। जब आदमी जानेगा ही नहीं कि आपको दिक्क़त क्या है, तो उसका उपाय क्या निकलेगा?
9. पुलवामा, जाति-धर्म, याद रहता है.. (18/01/2022)
लडके के पढ़ने की कोई व्यवस्था नहीं, काम नहीं, किसान के खेत में पानी नहीं है, फसल का दाम नहीं है, सड़क नहीं, लोगों को काम नहीं, अनाज नहीं मिल रहा, लोगों को आवास नहीं मिल रहा, कोई सुविधा नहीं है। यह पांच वर्ष आप बहुत चर्चा करतें हैं, पर चुनाव के दिन आप को कुछ याद नहीं रहता, अगला-पिछड़ा, हिन्दू-मुस्लिम, पुलवामा, जाति-धर्म, याद रहता है.. आपको अपने बच्चे का भविष्य भी याद नहीं रहता..
लोकतंत्र की ताकत
आप ने वोट दिया पुलवामा, पाकिस्तान के नाम पर तो आपकी गली-नाली ठीक कैसे होगी, सबकोई बोल रहा था ऊपर देखो ऊपर, मोदीजी को देखो, तो अब नीचे काहे को देखन तानी? मोदीजी के 56 इंची के सीना के वोट देई तो टीवी पर मोदीजी ना दिखाई तो रइवा की समस्या दिखाई? लोकतंत्र की यह ताकत है जिस चीज पर आप वोट डालेंगे आपको मिलेगी.. आपने राममंदिर पर वोट किया, आपको स्कूल तो नहीं मिलेगा, राममंदिर मिल गया।
नौ वर्ष से मोदीजी प्रधानमंत्री हैं -
बिहार के लोगों ने मोदी जी को 40 में 39 सीट दिए, 9 साल में हो गए मोदी जी को, एक घंटा भी बिहार के लिये समय दिए तो बतायें? आपने वोट दिया हिन्दू-मुस्लिम के जाल में फंस कर, फूलवामा के धोखे में आ कर, अच्छे दिन का सपना देख कर तो टीवी खोलेंगे तो यही सब ने दिखेगा? आपकी समस्या पर विचार करने का समय किसके पास है?
10. बिहार में पूरी शिक्षा व्यवस्था ही ध्वस्त है, (28/01/2023) स्कूल में खचड़ी बंट रहा है, कॉलेज में डिक्री बंट रहा है.. शिक्षा है ही नहीं.. मोटे तौर पर एक उधारण के रूप में एक तिहाई फण्ड नेतरहाट जैसी स्कूल खोल दी जाय तो पूरी व्यवस्था 10 साल में सुधर जाएगी.. पंजाब के लोगों ने खुद का विकास किया, बिहार की जमीन, पंजाब से ज्यादा उपजाऊ है, बिहार के किसान भी सम्पन्न हो सकतें हैं, यहाँ भी केरल जैसी शिक्षा व्यवस्थ हो सकती है.. यहाँ भी कल-कारखाने फल-फूल सकतें हैं। इसके लिये हमें अच्छे आदमी की जरूरत होगी, जो बिहार को बिहार बना सके..
11. घी से दीया जल सकता, घी से खाना नहीं बन सकता, (29/01/2023) खाना तो मंद लकड़ी की आंच से बनता है.. पद यात्रा तो पहला बुलेट है, अभी तो 6 में एक ही बुलेट चला है, इसी में सब दल घबड़ा रहा है, बीजेपी सोचती है महागठबंधन का वोट कटेगा, महागठबंधन सोचता है भाजपा का वोट कटी, उनको पता ही नहीं एक साल में इतना बड़ा जलजला पैदा कर दूंगा कि सब साफ हो जाएगा..- प्रशांत किशोर.
12. आप खुद ठगे जाने के लिए तैयार बैठे हैँ-
(14/02/2023)
जिस राज्य को, जिस समाज को हम सुधारना चाहतें हैं कि अपने आँख से देखें कि आपकी समस्या क्या है। ज़ब पदयात्रा समाप्त होगी तब हम बताएँगे कि आपकी समस्या का समाधान क्या है। आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा कैसे मिलेगी, बिहार के किसान की आमदनी पंजाब के किसानों के बराबर कैसे हो। हमारे युवाओं को कैसे रोजगार दिया जा सके। लेकिन वोट के दिन आपको जात, धर्म, हिन्दू-मुस्लिम, पुलवामा के नाम वोट देने लग जाते हैं। या फिर लालू के डर से बीजेपी को वोट देने लग जाते हैं. कि फिर लूटपाट न शुरू हो जाए.. मुसलमान हैं जो बीजेपी को वोट नहीं देंगे तो चलो लालू को वोट डाल दें... नेता को यह चिंता है कि कैसे दंगा हो जाए तो वोट हमको मिल जाए। यदि आप अपने बच्चों की चिंता नहीं करेंगे तो आपके बच्चे का चिंता कौन करेगा? आप तो जात का, धर्म का झंडा उठा रखें हैं। आप खुद ठगे जाने के लिए तैयार बैठे हैँ, तो नेता तो ठगने को तैयार ही बैठा है, आज ज़ब गाँव में चल रहा हूँ तो देखता हूँ गाँव में बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा तक नहीं है।
13. मेरा इस जन स्वराज का उद्देश्य (16/12/2022) : 2 अक्टूबर 2022 से पैदल चल कर आज 68 दिन पूरा हो गया, पुरे बिहार में एक-डेढ़ साल और लगेगा। इस यात्रा को सिर्फ चलते रहने का अभियान नहीं, सही लोगों की पहचान की जाय, हर पंचयात की समस्या का संकलन करना तथा उसकी अगले 10 साल की योजना बनाई जाएगी।
समाज को मथ कर एक ऐसा सगठन बनाना जो कि यह तय करे कि वह इस अभियान का संस्थापक सदस्य बनाना चाहता हो।
🙏🏻एक दार्शनिक था प्लेटो-
बिहार के हर लोग को स्वार्थी बनने की जरुरत है, अपने बच्चों के लिए स्वार्थी बनिए। ये लोग कभी कहतें हैं कि आपका बच्चा सी. एम बानेगा? कोई बोलता है, जाति पर वोट दो, कोई बोल रहा धर्म पर वोट दो। ग्रीस में एक दार्शनिक था प्लेटो, उसने लिखा था कि आप राजनीति में भागीदारी नहीं लेंगे तो मुर्ख आपका नेता बानेगा, और वह अपने बुद्धि से आपको नचाएगा।
14.मेरी पदयात्रा का मकशद: (17/12/2022): यह है कि समाज के मध्य से ऐसे लोगों को ढूंढ निकाला जाय, जो गाँधी विचारधारा को पुनर्जवित कर सके। विधायक का लड़का ही विधायक नहीं बानेगा, इस व्यवस्था को हम आपकी मदद से बदल देंगे। हम आपको जीता कर लाएंगे... तभी बनेगी जनता की सरकार, इसका नाम है जन स्वराज, इसके बैनर पर गाँधी ज़ी की फोटो लगी है.. हम आपका वोट लेने नहीं आये हैँ, यदि बिहार में कोई जीतेगा तो हम ही जीतेंगे, आज आपको निमत्रण देने आया हूँ.. जो दूर से देखना चाहतें हैं वह अपना वोट उसे ही देते रहें.. आप जिस भाजपा को हराना चाहतें हैं वह तो झाग है, असल तो आरएसएस की विचारधारा है.. बीजेपी को हराना है तो आरएसएस की विचारधारा पर चोट देना होगा.. जो गाँधी ज़ी की विचारधारा से पहले भी परास्त हुआ, आज भी होगा...
15. समस्या का समाधान विकास नहीं है: (17/02/2023)
हमने संकल्प किया है पैदल चल कर जायेंगे, पदयात्रा का पहला उद्देश्य है, बिहार के हर पंचायत की अलग योजना बनाएंगे.. समस्या का समाधान विकास नहीं है, हम उस योजना में हम ये बताएँगे कि आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा, रोजगार, किसान की समस्या पर भी काम करेंगे। हम समस्या नहीं गिनाएँगे, उसका निदान कैसे होगा, यह भी बताएँगे।
16. हम आप से पूछते हैँ राष्ट्रवाद के नाम पर वोट देंगे तो आपकी चिंता कौन करेगा? (02/03/2023) -तमिलनाडु आज देश में सबसे धनी राज्य है, मोदीजी ने तमिलनाडु बनाया? उसकी पार्टी तो वहाँ सरकार भी नहीं, नौ वर्ष में मोदी ने बिहार के विकास के लिये एक दिन भी विचार किया है कि बिहार की ग़रीबी कैसे दूर होगी? बुलेट ट्रैन के आने से बिहार का क्या विकास होगा? ट्रैन तो गुजरात के लिये बनेगी, आपको यह समझना होगा विकास के नाम पर वोट आपसे लेंगे, विकास गुजरात का होगा, तो आपका लड़का सूरत में जाकर मजदूर नहीं बनेगा तो क्या मालिक बनेगा? सारा विकास तो उनके लिये है। हम उछल कर वोट देने जातें हैं बुलेट ट्रैन आएगी, यहाँ तो पैसेंजर ट्रेन का भी पता नहीं है.. हम सबको इसका रास्ता खोजना होगा। हमें अपने बच्चों के लिये वोट करना होगा.. कोई नेता आये, जाय..
17. बिहार की गरीबी कैसे दूर होगी? (03/03/2023) : हम यह सोच रहें हैं कि हमलोगों की ग़रीबी दूर करने का हमारे पास सिर्फ तीन ही रास्ता है, शिक्षा, जमीन, या पैसा यह तीनों ही बिहार में नहीं है, इसलिए हम मजदूर बन गए, हर साल 40 हजार करोड़ सरकार खर्चा करती है हमारी पढ़ाई पर और 40 लकड़ा को भी नहीं पढ़ा पाती... बिहार में 100 में 5 आदमी ऐसे हैं जो खेती करतें हैं बाकी सब मजदूरी.. तीसरी बात है पैसा, बिहार में हर आदमी की असौतन 35 हजार रुपया सालाना आय, तो वो खाएगा क्या, बचाएगा क्या?, बिहार को ग़रीबी से निकलने के लिये, अच्छी शिक्षा, जमीन, पैसा ये सभी तभी आ सकता है जब बिहार में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था हो।
18. जन सुराज ना तो कोई दल है, ना कोई आंदोलन है। (05/03/2023):
जन सुराज ना तो कोई दल है, ना कोई आंदोलन है। यह एक प्रयास है..जो समाज के मदद से एक नई राजनीति व्यवस्था बनाई जाय, जिसमें दल तो बने, परन्तु जो समाज के सहयोग से सही लोगों का हो।
कुछ लोग कहतें हैं रोड जरूर अच्छा हो गया, पर 1200 गाँव पैदल चल कर यह बोल सकता हूँ, गाँवों में सड़क आज भी एक भी सड़क नहीं बनी है।
हम एक साल से निकले हैं, जबकि बिहार के अधिकांश परिवार ऐसे हैं कि साल-साल भर अपने बच्चों का मुँह भी नहीं देख पाते।
100 बच्चों में 100 बच्चों के शरीर पर आज भी कपड़ा नहीं.. बिहार में इतनी ग़रीबी है क्यों? पिछली सरकार क़ो दोष दे सकतें हैं.. बिहार में यह ढलान 1967 के बाद से है।1967- 1990 के बीच कुल 25 सरकार बनी, दो महीने, तीन महीने, छह महीने, कौन मुख्यमंत्री बने, कौन नहीं.. फिर लालूजी 1990 में आये, लेकिन 1990 से पहले ही बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज बन गया.. 1967 से 1990 के 23 साल के कालखंड में बिहार में अस्थिरता बनी रही। कुल 25 सरकार आई और गई, आपको जयप्रकाश नारायण का आंदोलन याद है, बिहार ने छः दिन का भी मुख़्यमंत्री देखा है.. दो महीने, तीन महीने, नौ महीने, बिहार के विकास क़ो पीछे किया और लोग इसी चक्कर में लगे रहे अब कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन अगला बनाना चाहता है।
लालू जी का काल देखे, उनका अपना नज़रिया था कि सामाजिक न्याय के जरिये बिहार क़ो सुधारा जा सकता है, जो लोग बिहार के जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं, इनको यह मानने में कुरेज नहीं होना चाहिए कि शुरुआती समय में समाज के वंचित लोगों क़ो कुछ आवाज़ मिली, इसे मानने में कोई दिक्कत नहीं है।
फिर आया नीतीश जी का राज आया नीतीश जी के राज क़ो दो काल में बाँट देते हैं.. नीतीश जी का अच्छा कार्यकाल सुशासन बाबू, फिर मोदी जी आये और फिर बिहार में अराजकता का कालखंड चला.. नीतीश कुमार वही है.. इस बात क़ो समझिये, बिहार की यह समस्या एक कालखंड की नहीं, मोदी जी के उदय के साथ बिहार में राजनीति अस्थिरता फिर से वापस आ गई। मैं सही गलत की बात नहीं कर रहा, यह बता रहा हूँ कि कैसे राजनीति अस्थिरता से बिहार का विकास नहीं हो सकता या तो हम बिहार की समस्या क़ो समझना ही नहीं चाहतें..।
मोदी जी के उदय के साथ बिहार में राजनीति अस्थिरता फिर से वापस आ गई। मैं सही गलत की बात नहीं कर रहा, यह बता रहा हूँ कि कैसे राजनीति अस्थिरता से बिहार का विकास नहीं हो सकता या तो हम बिहार की समस्या क़ो समझना ही नहीं चाहतें..।
19. जनता की सरकार बनाये। (09/03/2023)
आपको लगता है नेता ठगता है, आप वोट देते हैँ हिन्दूस्थान-पाकिस्तान पर, वोट देंगे पांच किलो अनाज पर, आपने वोट दिया है राम मंदिर पर, आपने वोट बेचा पांच किलो अनाज में तो नेता आपके बच्चों की शिक्षा पर काम करेगा कि हिन्द-मुस्लिम करेगा। मोदी जी बोले पाकिस्तान के सबक सिखाये, चलो भाजपा को वोट दिए, फूलवामा हो गयेल.. और मुसलमान बोलते हैँ चाहे जो हो भाजपा को वोट नहीं दे तो चलो लालटेन को दियल जाय..
नेता आता है तो बोलता है देश को देखिये, हिन्दू को बचाना है, हम कहतें हैँ आप स्वार्थी बनिए, अपने बच्चों के लिए वोट दीजिये.. 14 में हल्ला होवा था, मोदी आएंगे तो देश सुधर जाय ?
आपको खुला निमंत्रण दे रहा हूँ, नौ वर्ष में मोदी ने क्या किया, क्या नहीं किया, पर मुझे बतायेँ बिहार के लिये मोदीजी ने एक घंटा भी बैठक किया कि कैसे बिहार में सुधार हो? आप मुझे बता दें, कल से मोदीजी का झंडा लेकर घूमने लगूंगा।
मैं दल बनाने नहीं आया हूँ, गाँधी जी के आदर्श पर हमको चलना होगा, हर उस सही आदमी को खोज के निकालिये जो आपके बच्चों के लिये सोचे..
बिहार से हर साल दो करोड़ लड़के पुरे भारत में 10-12 हजार के लिये नौकरी के लिए प्रदेश, दूसरे राज्यों में भेंढ-बकरी की तरह ट्रैन में लदकर जातें हैं, बुलेट ट्रैन में चढ़ने के लिए पैसा ही नहीं इनके पास.. तो बुलेट ट्रैन के लिए वोट करने से क्या मिलेगा आपको? ट्रैन तो चली गुजरात के लोगों के लिए, वोट देवतानी मोदीजी को बिहार में।
लोकतंत्र में जनता हनुमान है, एक बार आप खड़े हो गए तो कोई आपको नहीं हरा सकेगा.. समाज जिसे चून कर हमें देगा, हम उसके ऊपर पूरी ताकत लगा देंगे.. जनता की सरकार बनाये।
आपका वोट मागने तो सब आते हैं, हम आपको न्योता देने आये हैं, निमंत्रण देने आये हैं। यह व्यवस्था जो मैं बना रहा हूँ, आप इसमें भागीदार बनिये, इसके हिस्सेदार बनिए, इसके मालिक बनिए। इसमें अपने बच्चों को भी जोड़िये, यह वह पौधा है, इसको बड़ा कीजियेगा, इसको सिंचियेगा, तो बड़ा होकर यही आपको फल भी देगा और आपको छाया भी देगा। (22/03/2023)
20. आप और हम सब पांच साल बैठ कर बात करतें हैं, (27/03/2023) लेकिन ज़ब वोट होता है सब बात भूल जातें हैं, बस चार बात ही याद रहता है, जात-पात, जो जात-पात से बचा वह धर्म के नाम पर फंस जाता है, या फिर ये लालटेन वाला है, मोदीजी की भाजपा, इसको दो या उसको दो, नीतीश जी तो ना इधर है ना उधर, चुनाव के बाद बस कुर्सी चाई, चौथा बचा मुसलमान भाई, जो बोलेगा कुछ भी हो मोदीजी को वोट नहीं देगें, तो बचा कौन? लालटेन तो वोट लालटेन को डाल दिया, नेता किसी को नहीं ठगता, ठगता तो एक बार, दो बार लेकिन 70 साल से जो ठगा रहा है यह नेता का दोष नहीं, आपका खुद का दोष है.. आप वोट डालते हैँ बुलेट ट्रैन का नाम सुनकर, पुलवामा के नाम पर, हिन्दू -मुस्लिम के नाम पर, आप विकास के नाम पर वोट डालते हैं, विकास हो रहा गुजरात में, तो आपका बच्चा गुजरात जाकर नौकरी ही करेगा न? मालिक नहीं बनेगा। बिहार यदि अलग देश होता तो दुनिया का 6ठा देश होता है सबसे बड़ी गरीबी का.. आप बोलते बिहार में विकास हो, अच्छी शिक्षा हो, आपने कभी शिक्षा के नाम कभी वोट दिए हैं, बिहार में वोट के समय हिन्दू-मुस्लिम, जात-पात पर ही वोट डालना है तो नेता आपको 5दिन यही बात करेगा, और आपका वोट लेकर गुजरात का विकास करेगा कि बिहार का? आपका बेटा मजदूर नहीं बानेगा तो कलेक्टर बनेगा?
21. जिसको आपने चुना है, जो बोया है, वो आप काट रहें हैं। -प्रशांत किशोर, 08/04/2023-
अब आदमी को नया बीमारी है, कहतें हैँ, विकल्प ही नहीं है क्या करें?
तो किसने मना किया था विकल्प बनाने से, तो जबाब था, आप बनायें, हम साथ देंगे.. अच्छा आप पीछे से सटक लेंगे, हम सूली पर चढ़ जायँ?
अरे जिस समाज में लोग अपने बच्चों के साथ नहीं खड़े हैँ, आप हमारे साथ खड़ा होने की बात करते हैँ? किसको मुर्ख बना रहें हैं आप?
हम ज़ब यात्रा में निकले तो देखा, सड़क पर बच्चों के शरीर पर कपड़ा नहीं, पांव में हवाई चप्पल नहीं, शिक्षा नहीं, रोजगार नहीं, मजदूरों को काम नहीं, आपके पास धन भी नहीं, वोट देते हैं जाति और धर्म के नाम पर, आपके दिमाग़ में जाति भरा है, धर्म चाहिए, पुलवामा चाहिए, हिंदुस्तान-पाकिस्तान चाहिए, राम मंदिर चाहिए, जो समाज अपने बच्चों के साथ नहीं खड़ा है, वह प्रशांत किशोर के साथ खड़ा होगा? किसको वेयकूफ़ बना रहें हैं?
22. बिहार में भूमिहीनों की संख्या सबसे अधिक है। (09/04/2023) 100 में 60 के पास जमीन नहीं है, 40 में भी 35 के पास 2 बीघा से कम जमीन है.. खेती पेट पालने के लिये कर रहा है, पैसा जमाने के लिए नहीं, पेट ही नहीं पल रहा तो जमायेगा कैसे? 100 में 5 आदमी ऐसा है जो खेती कर के सुखी है, बाकी आदमी या तो पेट भर रहा है या मजदूरी कर रहा है।
आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।
23. अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ- (11/04/2023)
आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।
आप सोचते हैं सरकार बनाने आये हैँ, इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरा, नेताओं के जितने से, दलों के जितने से आपका जीवन नहीं बदलता। जन-सुराज एक आईना है जो आपको, हमको, सबको अपने आपको आइना दिखाने का अभियान है।
मैं बहुत संघर्ष से आगे बढ़ा हूँ, पहली बार 11वीँ में अंग्रेजी बोलना सीखे, इसके बाद अंग्रेजी बोलते हैं, जर्मनी, फ्रेंच बोलते हैं। कई भाषा भी सीखी... अब बिहार आया हूँ, इस मिट्टी का कर्ज है उसे चुकाने आया हूँ.. नेताओं के जितने से आपका भाग्य नहीं बदलेगा, वो जीत कर चले जातें हैं, आपका कुछ नहीं बदलता, मैंने नेताओं को बहुतों को जिताया।
नेता ठग नहीं
आप बोलते हैं नेता आपको ठग रहा है, मैं कहता हूँ कोई नेता आपको नहीं ठगा, नेता यदि ठगता तो एक बार ठगता, दो बार ठगता, यहाँ तो आप 50 साल से ठगा रहें हैँ।
आप वोट जाति के नाम पर डाले, तो घर-घर में जाति की चर्चा हो ही रही है..
आप वोट दिए हैं राम मंदिर के नाम पर तो आयोध्या में राम मंदिर बन ही रहा है...
आप वोट दे रहें हैं पांच किलो अनाज पर तो बिहार में कितना भी भ्रष्टाचार हो, चार किलो अनाज तो मिल ही रहा है,
आप वोट डाले बिजली पर आपको बिजली मिल ही रही है, चाहे आपके पास 4 हजार -6 हजार का बिल आने लगा हो।
आपने अपने बच्चों के लिए वोट ही नहीं डाला तो इसमें नेता का क्या दोष, मंदिर बनाने का वोट डाले मंदिर बना दिया, स्कूल बनाने के लिए वोट डालते तब न बोलते नेता हमनी के ठग लिन। मुखिया के चुनाव में ₹500/- रूपये आप लेकर वोट डालते हैं, फिर बोलते हैं मुखिया चोर है.. आपको पैसा दिया वह उसको वसूलेगा की नहीं?
2 मई 2022 घोषणा की, इस दिन से शुरूआत की जनसुराज की। इसकी पहली यात्रा आपके जिले वैशाली से शुरू की, यह कोई चुनाव लड़ने का भी आंदोलन नहीं। जन आंदोलन भी नहीं।
मेरा आंदोलन में कोई यकीन नहीं, मानव सभ्यता के इतिहास आप पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा, इससे पूरी दुनिया में मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ। फ्रांस की क्रांति को अपवाद के रूप में छोड़ दें, आंदोलन या क्रांति से मानव सभ्यता का कोई भला नहीं हुआ है। आंदोलन और क्रांति लोगों को सत्ता से हटाने के लिये है, नई व्यवस्था बनाने के लिये नहीं है। आंदोलन एक तेज हथियार है जिससे वृक्ष तो काटा जा सकता है, पौधा नहीं रोपा जा सकता।
चुनाव जितना बड़ी बात नहीं, चुनाव जीत कर लोगों के कसौटी पर खरे उतरें यह बड़ी बात है।
बिहार की दुर्दशा इस लिए है क्योंकि बिहार के लोग अपनी समस्या के ऊपर वोट नहीं डालते।.. बिहार में पढ़ाई का कोई स्तर है ही नहीं स्कूल में खिचड़ी बंट रही है और कॉलेज में तीन वर्ष की डिक्री पांच साल में मिल रही है। बच्चा पहली बार कॉलेज जाता है नाम लिखाने, दूसरी बार एग्जाम देने, तीसरी बार डिक्री लेने जाता है.. बच्चा पढ़ेगा ही नहीं तो मजदूर नहीं बनेगा तो क्लेक्टर बनेगा ?
खेती भी हमारे यहाँ कमाने वाली नहीं, खाने वाली खेती बन चुकी है.आप खेत में वही उपजाते जिससे आप बच्चों का पेट भर सके. शिक्षा है नहीं, खेती है नहीं, तीसरा रास्ता है पूंजी, आपके पास पूंजी है ही नहीं तो काम करेंगे कैसे.?
कुछ लोग नया नया कहने लगे हैं कि यहाँ समुद्र नहीं तो कोई उनसे पूछे कि तेलंगाना, पंजाब में कौन सा समुन्दर है? यह बता दीजिये। TCS, इन्फॉफीस की ऑफिस आने से किस समुद्र, खनीज की जरुरत है? एक ऑफिस पांच लाख लोग क़ो रोजगार देती है। आप अराजकता क़ो कारण बताते हैं। यह ग़रीबी के कारण है, यहाँ शिक्षा, खेती, पूंजी तीनों छीन ली गई है। जब तक अच्छी शिक्षा, अच्छी खेती, पूंजी में सुधार नहीं होगा बिहार का विकास नहीं हो सकता।
बिहार में उद्योग नहीं होने की सबसे बड़ी समस्या है पूंजी। बिहार में प्रति व्यक्ति आय है 35 हजार, देश की प्रति व्यक्ति आय है 1लाख 45 हजार। बैंक में आप जमा करतें हैं उसका 30% हिस्सा यहाँ वापस मिलता है इसे CD रेसियो कहतें हैं.. जबकि दूसरे राज्य में 70 से 90% है।
अब 2022 में घोषणा की, कि में जन सुराज अभियान शुरू करूंगा.. यह ना कोई दल है न कोई आंदोलन नहीं, आंदोलन से सत्ता बदली जा सकता है, इससे आपका भविष्य नहीं बदलेगा...
आपको अपना भविष्य बदलना है तो आपको आगे आना होगा.. जिस रास्ते से आपने 50 साल अपने जीवन को नहीं सुधार सके, यही रास्ते में आगे भी चले तो, आगे भी 50 साल नहीं सुधार पाएंगे। गरीबी को दूर करने का दुनियां में तीन ही रास्ते हैँ, शिक्षा, खेती, पूंजी, जो बिहार में तीनों नहीं है।
24. अपने आत्मसम्मान को जगाये जय जय बिहार: (12-04-2022)
दस साल जिस जिस नेता, दल का हाथ पकड़ा था, उसे हारने नहीं दिया, इसबार संकल्प ले कर आये हैं, किसी दल या नेता का हाथ नहीं पकड़ा है, आपका हाथ पकड़ा है, आप भरोसा रखिए आपको भी हारने नहीं दूंगा। पद यात्रा तो पहला बुलेट है, अभी तो छः बुलेट है, पहला ही दागा है उसी में इतना हलचल, आप नये बिहार का संकल्प लीजिए..
जय बिहार- जय जय बिहार....।
इस नारे का अर्थ ऐसे नहीं लगा रहा हूँ.. बिहार शब्द गाली बन गई है देश में, हम लोगों की बेवकूफ़ी (बेवक़ूफ़ بےوقوف) से पुरे देश में हमारे बच्चे मजदूरी कर रहें हैँ। इसलिये कह रहा हूँ, अपने आत्मसम्मान को जगाइये नारा लगाएइये जय बिहार -जय जय बिहार।
जन सुराज के तीन महत्वपूर्ण आधार :
1. सही लोग 2. सही सोच और 3. सामूहिक प्रयास।
पदयात्रा के तीन मुख्य उद्देश्य :
1. समाज की मदद से जमीनी स्थर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतान्त्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना।
2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नागरों और पंचायतों की प्राथमिकताओं को सुचिबद्ध कर उसके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना।
3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझाव के आधार पर अगले 15 साल का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 8:43 pm 0 विचार मंच
Labels: जन सुराज, प्रशांत किशोर, बिहार
गुजरात चुनाव-2022 -शंभु चौधरी
आगामी माह गुजरात व हिमाचल प्रदेश की विधान सभाओं के चुनाव होने जा रहें हैं। इस बार के चुनाव में इन दोनों राज्यों में चुनाव त्रिकोणीय होने संभावना प्रवल
बनती जा रही है। मेरे इस लेख को गुजरात चुनाव तक केंद्रित कर लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बंगाल में वामपंथी दलों को शासन 35 साल चलां, लोगों को लगता था कि इनकी जड़ें इतनी मजबूत है कि इसे बंगाल से उखाड़ फैंकना नामुमकिन ही नहीं असंभव भी प्रतित होता है। इसके बावजूद ममता के नये संगठन ने उसे मिट्टी में मिला दिया। आज बंगाल में वामपंथियों को राजनीतिक रूप से नई जमीन तलाशनी पड़ रही है।
वामपंथियों की तरह ही गुजरात में भी पिछले 27 सालों से मोदी समूह (भाजपा) का एक छत्र राज्य कायम है। पिछले चुनाव में कांग्रस पार्टी ने पाटीदारों के वोट शेयर प्राप्त करने के बाद भी भाजपा से पिछड़ गई और कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायक साबीआई के खौफ से डर कर भाजपा में चले गए। आज इस बात को लिखने में जरा भी हिचक नहीं, भाजपा पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से ना तो चुनाव लड़ रही है ना ही लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता प्राप्त कर रही है। जिसके कई उदाहरण हमारे सामने है। विधायकों को तौड़ना, उन्हें विभिन्न एजेंसियों से धमका कर खरीदना, जिस दल के साथ समझौता करती है उसे तौड़ना, उसके संगठन को कमजोर करना और अपनी सत्ता की भूख मिटाना इस राजनीति दल का उद्देश्य बन चुका है। बिहार व महाराष्ट्र इसके ताजा उदाहरण है। दिल्ली
व पंजाब में भी इसकी कोशिश की गई थी तो सफल नहीं हो सकी ।
गुजरात विधानसभा की 182 सीटों का चुनाव अगले माह होने
जा रहा है यदि मोदी जी के गुजरात में या गुजरात चुनाव के संदर्भ में दिये गऐ ताजा
बयानों का ही जिक्र करें तो उनके अनुसार गुजरात में कोई बाहरी ताकतें रेवड़ी बांट
कर राज्य की अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगी । इस बयान को गुजरात की जनसंख्या पर नजर
डाल के देखतें हैं तो मैं पाता हूँ कि गुजरात में 90 प्रतिशत आबादी जिसमें ओबीसी
48 प्रतिशत, आदिवासी समाज 14.75 प्रतिशत, पाटीदार समाज 11 प्रतिशत, दलित
समाज 7 प्रतिशत, मुस्लीम समाज 9 प्रतिशत है । शेष 10.25 प्रतिशत में
क्षत्रिय, ब्राह्मण समाज, व बनिया वर्ग के अलाव संपन्न वर्ग के लोग आते हैं।
यदि इन मतदाताओं को आर्थिक रूप से बांट दिया जाय तो गुजरात में 70 प्रतिशत आबादी
गरीबी रेखा के अंदर गुजर-बसर करती है। वहीं 20 से 25 प्रतिशत मतदाता मध्यम श्रेणी
और शेष 5 प्रतिशत उच्च वर्ग में आतें हैं। उच्च वर्ग को तेल व गैस के दाम प्रभावित
नहीं करते ना ही उनके घरों में होने वाली बिजली के बिल से उन्हें कुछ भी फर्क पड़ता
है। इनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं। इन्हें अच्छी चिकित्सा भी प्राप्त है।
जबकि मध्यम वर्ग का एक तबका इससे प्रभावित होते हुऐ भी मोदी जी के हिन्दूवादी
कार्ड का शिकार बन चुका है। मोदी के गुजरात मॉडल में शेष 70 प्रतिशत लोगों के लिए
कोई सुविधा पिछले 27 सालों से मोदी की भाजपा सरकार ने नहीं दी, ऊपर से उनकी आमदनी
कम कर दी गई, नौकरी से निकाल दिए गए या इनकी आय इतनी नहीं कि किसी भी प्रकार से
परिवार का दैनिक खर्च वहन कर सके।
यह असंतोष पिछले चुनाव में साफ देखा जा रहा था। अब इन
पांच सालों में स्थिति और खराब ही हुई है। इस बार के 15वीं विधानसभा चुनाव में आम
आदमी पार्टी जिसका चुनाव चिन्ह झाड़ू है, ने गुजरात चुनाव में नये रूप से अपनी
उपस्थिति दर्ज की है। शुरूआती दौर में तो लगता था कि आम आदमी पार्टी की
स्थिति सामान्य राजनीतिक दलों की तरह है जो चुनाव के समय सक्रिय दिखती है और चुनाव
के बाद उस दल का कोई अता-पता नहीं होता। परन्तु आम आदमी पार्टी ने जिस
प्रकार पंजाब में जमी-जमाई राजनीतिक पार्टियों का सुपड़ा साफ कर दिया, दिल्ली में
मोदी के प्रचंड बहुमत को घूल चटा दी, से लगता है गुजरात में इसबार के विधानसभा
चुनाव में कुछ नया हो सकता है। विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों की बात से यह तो
अंदाज हो चुका कि गुजरात में एक तरफ कांग्रेस के मत प्रतिशत में तेजी से गिरावट
दर्ज की जा रही है वहीं आम आदमी पार्टी, भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाती सफल
दिख रही है। जिस रफ्तार से आम आदमी पार्टी गुजरात की पहली पसंद होती जा रही है
इससे मोदी के खेमें में हलचल तो पैदा हो ही चुकी है। 27 सालों से जिस शिक्षा की
बात मोदी जी ने कभी नहीं कि इस बार उनको शिक्षा मॉडल के डेमो देना पड़ा।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता भी प्रश्नचिन्ह अभी से साफ
दिख रहे हैं। हिमाचल में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई जबकि गुजरात में अभी
घोषणा की जानी है। कुल मिलाकर एक इंदिरा गांधी के आपातकाल जैसे हालात गुजरात में
चारों तरफ देखा जा रहा है। लोकतंत्र के नाम पर डर ही बना हुआ है। जो एक ऑटो चालक
को रातों-रात थाने में बुलाकर जिस प्रकार उसे डराया गया फिर उसे मोदी टोपी पहना कर
सामने लाया गया और डेमो स्कूल के पर्दाफास हो जाने पर आम आदमी पार्टी के लोगों को
घटनास्थल से उठाकर ले जाया गया। यह सब आपातकाल की घटना को दर्शाता है।
चुनाव परिणाम जिस किसी के पक्ष में आये। यह बात तो
मान लेनी होगी आम आदमी ने लोकतंत्र के पर्व में मोदी को खुली चुनौती तो ही डाली
है। - जयहिन्द।
लेखक: पेशे से अधिवक्ता और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से
मास्टर की शिक्षा प्राप्त की है एवं स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 1:43 am 0 विचार मंच
Labels: Arvind Kejriwal, Gujarat, modi