गुरुवार, 20 सितंबर 2018
बागड़ी मार्केट
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:59 pm 0 विचार मंच
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बुधवार, 19 सितंबर 2018
तीन तलाक: साला मैं तो शाह बन गया !
यह बात सही है कि पीड़ित मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक को लेकर जानवर की जिंदगी जीने के लिये मजबूर हो जाती है । मुस्लिम समाज में तलाक के बाद उसकी गुहार सुनने के तमाम रास्ते बंद कर दिए जाते । न्याय देने की बात तो दूर की, कई महिलायें तो भेंट भी चढ़ जाती । एक प्रकार से समाज में दरिंदगी का माहौल बना हुआ है।
मोदी सरकार को किसी भी बात को या तो उसे सांप्रदायिक रूप में परिवर्तित कर देना या किसी बात का बचाव करना हो तो दूसरी बड़ी समस्या को सामने ला खड़ा करो ताकि जनता मुद्दों से भटक कर नई बातों में उलझ जाए । अभी देश में तेल के दामों और रुपये के गिरते मूल्य से भारत को रोजाना अरबों की क्षति पर बहस चल ही रहा था कि मोदी को अचानक से नया पैंतरा सूक्ष गया । तीन तलाक । बस ले आये आॅडिनेन्स ।
भला कौन नहीं चाहेगा कि तीन तलाक जैसी सामाजिक कुप्रथा को भारत जैसे गरीब देश से भी समाप्त किया जाए ? भारत के सुप्रीम कोर्ट ने तो पहले से ही शयरा बानू मामले में इसे गैर कानूनी करार दे दिया था । भारत सरकार को निर्देश भी दिया था कि संसद में इसपर कड़ा कानून लाया जाए ।
मोदी सरकार के दो विघिज्ञाता ने इसपर एक बिल तैयार कर संसद के पटल पर रख भी दिया और संसद में पारित भी करा दिया गया । पर समस्या राज्यसभा में आकर लटक गई । राज्यसभा में सरकार को बहुमत नहीं होने के कारण बिल अटक गया । विपक्ष इस सामाजिक समस्या में कई सुधार चाहता था । लोकतंत्र में बहस की गुजांइस होनी चाहिये । परन्तु शाह बानू मामले के समय में जैसे कांग्रेस ने किया ठीक सबकुछ वैसा ही मोदी जी ने शायरा बानू में किया ।
यह बात सही है कि पीड़ित मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक को लेकर जानवर की जिंदगी जीने के लिये मजबूर हो जाती है । मुस्लिम समाज में तलाक के बाद उसकी गुहार सुनने के तमाम रास्ते बंद कर दिए जाते । न्याय देने की बात तो दूर की, कई महिलायें तो भेंट भी चढ़ जाती । एक प्रकार से समाज में दरिंदगी का माहौल बना हुआ है।
परन्तु यह बात मोदी सरकार को सोचनी होगी कि तलाक पर तो उसने प्रतिबंध लगा दिया परन्तु दूसरी शादी पर तो प्रतिबंध नहीं लगा सके । समस्या और विकराल बन जायेगी । वह महिला जिसको तलाक नहीं मिला अब वह उसी के कोठे पर एक जानवर की जिंदगी जीने को मजबूर हो जायेगी या फिर व वकीलों की फीस चुकाते-चुकाते थक जायेगी । कोई दुबई में दूसरी शादी कर के मौज करेगा? कोई गुजरात में । कहने का अर्थ है तलाक नहीं देगा पर दूसरी, तीसरी या चौथी शादी कर के नाचेगा और अपनी हवस की आग बुझायेगा गाना गायेगा ‘‘साला मैं तो शाह बन गया !’’ -लेखक: शंभु चौधरी
दिनांक 20 सितम्बर 2018, कोलकाता ।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:30 pm 1 विचार मंच
Labels: तीन तलाक
शनिवार, 15 सितंबर 2018
2024 के बाद मोदी हिटलर शासक?
इन सबके बीच भाजपा की तरफ से एक बयान यह भी आया कि 2019 के चुनावी विजय के बाद भाजपा को अगले 50 साल तक सत्ता से कोई नहीं हटा पायेगा । क्या सच में ऐसा संभव है? या किसी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बयान है। इन दिनों मीडिया जगत में एक बात देखी जा रही है - सरकार को बचाने के लिये उनके सरकार के मंत्री नदारत रहतें हैं पर मीडिया सरकार का ऐसे बचाव करती है जैसे मोदी की सरकार मीडिया की मेहरबानी पर चल रही हो ।
कोलकाता 15 सितम्बर : पिछले सप्ताह दिल्ली में बने नए अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भाजपा की दो दिवसीय कार्यकारिणी बैठक संपन्न हुई । इस बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श किया गया, वहीं अपनी दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों और उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी मंथन किया गया । भाजपा ने अपने नये अध्यक्ष के चुनाव को भी 2019 के लोकसभा के चुनाव तक टाल दिया। संकेत साफ था कि भाजपा ने अगला लोकसभा का चुनाव भी मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में ही करने का मन बना लिया है।
इस कार्यकारिणी बैठक में मोदी के प्रभाव को लेकर अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग तरह के विचार दबे स्वर में आने लगे थे । जबकि एससी-एसटी बिल, राफेल सौदा, बढ़ते तेल के दाम, गिरते रुपये से लेकर विपक्ष के होते तेज हमले पर भी चर्चा हुई । साथ ही बिहार के सुशासन बाबू का बलात्कार, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की गाय प्रेम, राजस्थान में वसुंधरा राजे के कमजोर होती सत्ता, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह को लेकर साथ में उत्तर प्रदेष की राजनीतिक बदलते हालात पर भी चर्चा हुई। दबी ज़ुबान पर सबको इस बार इन राज्यों में लोकसभा की सीटों को लेकर आशंका बनी हुई है कि पिछले लोकसभा के चुनाव जैसे ही परिणाम क्या इन राज्यों में आ पायेंगें?
इधर अमित शाह ने बंगाल यूनिट से आगामी लोकसभा के चुनाव में कम से कम 24-25 सीटों को लाने का लक्ष्य बना के कार्य करने का संकेत कल की कोलकाता में होने वाली बंगाल राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद, संवाददाताओं को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने घोषणा की ।
इन सबके बीच भाजपा की तरफ से एक बयान यह भी आया कि 2019 के चुनावी विजय के बाद भाजपा को अगले 50 साल तक सत्ता से कोई नहीं हटा पायेगा । क्या सच में ऐसा संभव है? या किसी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बयान है। इन दिनों मीडिया जगत में एक बात देखी जा रही है - सरकार को बचाने के लिये उनके सरकार के मंत्री नदारत रहतें हैं पर मीडिया सरकार का ऐसे बचाव करती है जैसे मोदी की सरकार मीडिया की मेहरबानी पर चल रही हो ।
आयें अब भाजपा के इस ताजा बयान पर भी हम गंभीरता से विचार कर लें कि आलगे 50 सालों तक सत्ता में वे कैसे बने रहने का सपना संजो रहे हैं । दरअसल इसके पीछे राज्यसभा की उन सीटों की बात उनके दिमाग में चल रही है जो आगामी 2019-24 के सालों में खाली होने वाली है । अभी भाजपा राज्यसभा में बहुमत में नहीं है यही कारण है कि मोदी के तमाम तानाशाही फरमानों पर कई बार राज्यसभा रोक लग चुका है, जिसमें जमीन अधिग्रहण से लेकर तीन तलाक जैसे कई मुद्दे हैं जों राज्यसभा में भारी विरोध के कारण लटक गये। मोदी जी सत्ता को पकड़े रखने की कला के खिलाड़ी माने जातें हैं जिस प्रकार उन्होंने गुजरात में अपने तमाम विरोधियों को भले ही वे सत्ता पक्ष को हों या विरोधी पक्ष के, को किनारे कर दिया था ठीक इसी योजना के तहत वे अपना अगला कदम बढ़ाने की ओर अग्रसर दिखाई दे रहें हैं । इससे भाजपा के खुले विचारों के सांसदों में एक प्रकार से चिंता की लकीर साफ दिखाई पड़ रही है।
245 राज्यसभा की सीटों में भाजपा को इन चार सालों में अपनी बढ़त बनाते हुए बीजेपी-73 सीट के आंकडे पर पंहुच गई, जबकि कांग्रेस-50, टीएमसी- 13, एआईएडीएमके-13, समाजवादी- 13, बीजुद-9 , जद(यु)- 6, टीडीपी-6, तेलांगना- 6, आरजेडी- 5, सीपीएम- 5, डीएमके- 4, बीएसपी- 4, एनसीपी-4, षिवसेना- 4, आकालीदल-3, आमआदमी-3 सीपीआई-2, नोमिनेटेड- 4, व अन्य छोटी-छोटी पार्टियों के पास एक-एक सीटें हैं । कुल 25-30 सीटों के उलट-पुलट से राज्यसभा का यह खेल भाजपा के पक्ष में हो जायेगा ।
दरअसल भारत का लोकतंत्र इसी राज्यसभा के बल पर बचा हुआ जिसे भाजपा चाहती है अगले पांच सालों में पूर्ण रूपेन रूप से दखल कर ले। यह तभी संभव हो सकता है जब भाजपा लगातार दूसरी बार ना सिर्फ 2019 का लोकसभा का चुनाव 2014 के मुकाबले अधिक सीटों से जीतें वहीं राज्यों में होने वाले चुनावों में भी उनकी सीटों को आंकड़ा बढ़ सके। क्योंकि इन सीटों के अंक गणित ही मोदी को राज्यसभा और लोकसभा में क्रूर शासक बना सकता जिसका सपना पिछली कार्यकारिणी में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने देखा है।
इन सपनों को केरल की 3 सीट जो अभी वामपंथी दलों के पास है, कर्नाटक की तीन सीट, (6 सीट)- उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की 11 सीट जो 2020 से 2022 के बीच खाली होने वाली है। कांग्रेस की 8 सीटें जो विभिन्न राज्यों में है जो 2019-2020 में खाली हो जायेगी। इसी प्रकार बंगाल व उन सभी राज्यों को लक्ष्य किया जाएगा जहां से भाजपा को लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में भी बहुमत के आंकड़े को छूने में मदद कर सके । लोकतंत्र के ये आंकड़ें मोदी को 2024 तक हिटलर बना देने के लिये काफी होगा । जयहिन्द ! शंभु चौधरी, लेखक एक विधिज्ञात भी हैं।
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 3:29 am 2 विचार मंच
Labels: नरेन्द्र मोदी, मोदी
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