सुप्रीम कोर्ट को देश को बताना होगा कि देश कैसे चलेगा?
शंभु चौधरी
आज देश में चारों तरफ लोग हाहाकार कर रहें हैं। मरने वालों की संख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है किसी भी राज्य की स्थिति ले लें, सब तरफ हाहाकर मचा है। योगी सरकार तो एक कदम आगे ही निकल चुकी है मदद की गुहार लगाने वालों पर एफ.आई.आर कर रही है पुलिस के द्वारा परेशान किया जा रहा है। भारत सरकार विभिन्न सोशल प्लेटफार्म को नोटिस भेज रही है कि वे सभी सूचनाओं को हटा दे जो सरकार के विरुद्ध है । कुल मिलाकर देश आपातकाल की तरफ बढ़ चुका है।
NCT of Delhi (Amendment) Act, 2021
क्या जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के द्वारा या किसी मुनिम के द्वारा जो केन्द्र सरकार का मुनिम है। आज से केन्द्र सरकार ने दिल्ली एनसीटी (संशोधन) अधिनियम, 2021 एक्ट दिल्ली में लागू कर दिया। ऐसे में दो महत्वपूर्ण बातों की तरफ आपका ध्यान लेना चाहूंगा।
पहला कि भारत के संविधान में ‘‘स्टेट’’ की क्या परिभाषा दी गई है
दूसरा लोकतंत्र की प्रक्रिया में विधान-सभा के रहते राज्यपालों की क्या भूमिका होनी चाहिए।
पहला
भारत के संविधान का क्या कहता है?
अनुच्छेद 12
"परिभाषा: ‘राज्य’ इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, ‘राज्य’ के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य को सरकार और विधान-मंडल तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी हैं।"
अनुच्छेद 361-
"राष्ट्रपति और राज्यपालों और राज प्रमुखों का संरक्षण - राष्ट्रपति और किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय में किसी भी प्रकार की दांडिक कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी या चालू नहीं रखी जाएगी व उनके पदावधि के दौरान उनकी गिरफ्तारी या कारावास के लिए किसी न्यायालय से कोई आदेश ही जारी किया जा सकेगा।"
यहां महत्वपूर्ण शब्द है नोटिश जिसे कोई नहीं जारी कर सकता तो दिल्ली के उपराज्यपाल की जिम्मेदारी कैसे और कौन तय करेगी?
दूसरा
एस.आर.बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 356 और इससे जुड़े विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की थी। अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को इस फैसले के द्वारा रोक दिया था। इस ऐतिहासिक फैसलों के कारण केन्द्र सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को गिरा तो नहीं सकती क्योंकि बहुमत के आंकड़ों से कई गुण अधिक का समर्थन केजरीवाल सरकार के पास है, इसलिए चोर दरवाजे से दिल्ली की जनता को परेशान करने का रास्ता अख्तियार किया है । यह लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए कितना घातक होगा समय ही बता पायेगा।
दूसरा
एस.आर.बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 356 और इससे जुड़े विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की थी। अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को इस फैसले के द्वारा रोक दिया था। इस ऐतिहासिक फैसलों के कारण केन्द्र सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को गिरा तो नहीं सकती क्योंकि बहुमत के आंकड़ों से कई गुण अधिक का समर्थन केजरीवाल सरकार के पास है, इसलिए चोर दरवाजे से दिल्ली की जनता को परेशान करने का रास्ता अख्तियार किया है । यह लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए कितना घातक होगा समय ही बता पायेगा।
आज देश में चारों तरफ लोग हाहाकार कर रहें हैं। मरने वालों की संख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है किसी भी राज्य की स्थिति ले लें, सब तरफ हाहाकर मचा है। योगी सरकार तो एक कदम आगे ही निकल चुकी है मदद की गुहार लगाने वालों पर एफ.आई.आर कर रही है पुलिस के द्वारा परेशान किया जा रहा है। भारत सरकार विभिन्न सोशल प्लेटफार्म को नोटिस भेज रही है कि वे सभी सूचनाओं को हटा दे जो सरकार के विरुद्ध है । कुल मिलाकर देश आपातकाल की तरफ बढ़ चुका है।
देश की सभी बड़ी अदालतें दिन-रात देश के लोगो का सुरक्षा उनके प्राणों को बचाने के लिए अपने-अपने स्तर पर आदेश भी दे रही है । पर सोचना यह कि क्या सरकार केवल इसी काम के लिए है कि वह किसे कैसे परेशान किया जाए?
आज पूरा देश पागलों की तरह एक दूसरे से मदद मांग रहा हैं कोई मदद करेगा कि नहीं यह भी उनको पता नहीं । वहीं केन्द्र की मोदी सरकार अपने दलालों के माध्यम से पूरी घटनाक्रम को भटकाने में ताकि मरने वालों की बात गौण हो जाए ।
जयहिन्द।
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