रावण नहीं मरा इस बार
मेरे मन का रावण था
घर-घर में अब फैल गया,
एक सर को काटा तो,
दस ने जन्म लिया
दस का सौ,
सौ का हजार,
फैल गया जग में अब रावण
रावण नहीं मरा इस बार।
रामलीला में जल जाऐगा रावण?
मनलीला में जल जाए तब
समझो रावण निकला है।
रावण कभी मरा है जग से
वह तो एक सिर्फ पुतला है।
जड़ से जब तक जल न जाए
समझो अब भी जिन्दा है।
रावण नहीं मरा इस बार।
राम नहीं बचे अब जग में,
रावण अब भी जिंदा है।
बानर सेना छुप-छुप देखे
आंगना सूना-सूना है।
रावण नहीं मरा इस बार।
विजया दशमी की शुभकामनाओं के साथ
शंभु चौधरी, कोलकाता।
बुधवार, 5 अक्टूबर 2011
रावण नहीं मरा इस बार- शंभु चौधरी
प्रकाशक: Shambhu Choudhary Shambhu Choudhary द्वारा 9:29 am
Labels: रावण, शंभू चौधरी
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4 विचार मंच:
हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा
सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
आभार.
विजयदशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बढ़िया प्रस्तुति...
विजदयादशमी की सादर बधाईयाँ...
सफल प्रयास अपनी भावनाएं उकेरने में ........सराहनीय सृजन
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच 659,चर्चाकार-दिलबाग विर्क