मुल्क के गद्दार
इन सब बातों को कड़ी दर कड़ी जोड़ दिया जाय तो पुलमावा की साजिश में मोदी सरकार और इमरान खान की मिली भगत का एक नमूना प्रतित होता है। अर्थात प्रधानमंत्री मोदी और इमरान खान इन दोनों ने मिलकर भारत की जनता को मुर्ख बनाने का प्रयास किया है। ये दोनों ही अपने-अपने मुल्क के गद्दार हैं ।
अब यह बात घीरे-धीरे सामने आ रही है कि पुलमावा में 14 फरवारी 2019 को हुए आतंकी हमले के समय मोदी जी और उनकी सरकार क्यों चुप थी?
1. पुलमावा में सैनिकों पर आतंकी हमला के दौरान प्रधानमंत्री को चार घंटे फिल्म की सुटिंग कराते रहना ।
2. फिर सुटिंग से निकलते ही जनता को संबोधन करना जिसमें पुलमावा घटना का कोई उल्लेख ना होना ।
3. शाम 5 बजे तक प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का गायब हो जाना ।
कई बातों को संदेह के कठघरे में खड़ा कर देता है कि 24 घंटा काम करने वाले देश के प्रधान सेवक जवानों की शहादत के समय आखिर क्या कर रहें थे? इसका जबाब अभी तक सीधे तौर पर नहीं दिया गया । फिर पुलमाव की घटना को दबाने के लिए मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मिलकर एक चालाकी की। ‘‘दोनों देश की जनता को ठगों योजना’’नकली एयर स्ट्राइक हमला 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना के बालाकोट के सूनसान ईलाके में किया गया। जिसकी दो तरह से पुष्ठि हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पुष्ठि भी हो चुकी है कि जिस मस्जिद को हमले में गिराये जाने का दावा गोदी मीडिया कर रही है वह सब झूठ है।
इस झूठ की सच्चाई इस प्रकार है-
1. पाकिस्तान की संसद में प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह ऐलान कि वह भारतीय पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान बिना किसी शर्त के रिहा करेगा। साथ ही बताया कि 'बालाकोट' में भारतीय हमला हुआ, उससे पाकिस्तान को कोई क्षति नहीं हुई है।
2. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने यह स्वीकार करना की भारतीय सेना को एयर स्ट्राइक के दौरान किसी भी पाकिस्तानी नागरिक या पाकिस्तानी सैनिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए यह भारत सरकार की तरफ से हिदायत दी गई थी।
3. 350 आतंकवादी सहित मसूद को छुड़ाने वाला युसूफ भी मारा गया।
4. अमित शाह ने कहा कि 250 आतंकवादी मारे गये।
5. सेना की तरफ से बयान आया कि उनका काम लाशें गिनना नहीं है। अर्थात कितने आतंकी मारे गये इसका उनके पास कोई आंकड़ा नहीं है।
6. भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन की बिना शर्त रिहाई और
7. इमरान खान का यह कहना कि मोदी को फिर सत्ता में आना चाहिये।
इन सब बातों को कड़ी दर कड़ी जोड़ दिया जाय तो पुलमावा की साजिश में मोदी सरकार और इमरान खान की मिली भगत का एक नमूना प्रतित होता है। अर्थात प्रधानमंत्री मोदी और इमरान खान इन दोनों ने मिलकर भारत की जनता को मुर्ख बनाने का प्रयास किया है। ये दोनों ही अपने-अपने मुल्क के गद्दार हैं ।
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