नानी सुनाएगी कहानी, दादी लोरी गायेगी,
बुआ-मासी मुझपे जैसे बलहारी जाएँगी......
बेटी हूँ तो क्या हुआ काम वो कर जाऊँगी ,
सबका नाम रोशन करूंगी, देश का गौरव कहलाऊँगी ,
पर..................?
सुन कर मेरा नन्हा हृदय कंपकपाया,
माँ का दिल कठोर हुआ कैसे, एक पिता यह फ़ैसला कैसे कर पाया,
"लड़की " हूँ ना इस लिए जन्म लेने से पहले ही नन्हा फूल मुरझाया ..!!!!!!!!!
रंजना भाटिया का हृदय जानने के लिये शीर्षक " नन्हा फूल मुरझाया " पूरी कविता नीचे लिंक में दिया हुआ है। आप भी भाग लेवें इस बहस में। आगे देखें - बहस : भ्रूण हत्या
bahut accha likha hai
जवाब देंहटाएंबढिया!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..रंजू जी को बधाई.
जवाब देंहटाएं