प्रशांत किशोर - जन सुराज अभियान -4
यह कहानी शुरू होगी बिहार से, पर रुकेगी नहीं बिहार तक.. प्रशांत किशोर
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22/04/2023
बिहार का मॉडल कैसा हो?
जब पूरी दुनिया के लोग बिहार आते थे पढ़ने, वो मॉडल लागू होना चाहिए जब पुरे देश की शासन व्यवस्था बिहार से चलती थी। वो मॉडल लागू होना चाहिए जब देश का सबसे गौरवशाली राज्य बिहार था, वो मॉडल नहीं चाहिए, जहाँ बिहार को अनपढ़ोँ का प्रदेश बना दिया गया। इस मॉडल से हमें बचना चाहिए जहाँ बिहार को मजदूरों की फैक्ट्री बना दी गई है। यह मॉडल बदलना चाहिए।
हमलोगों को ऊ.पी या मध्यप्रदेश देखने की जरुरत नहीं है, हमलोगों को उस बिहार को देखने की जरूरत है जिसे हमारे पूर्वजों ने इस राज्य के लिए बनाया था। हमलोगों को किसी दूसरे राज्य को देखने की जरुरत नहीं।
आप खुद को बिहारी बोलतें है, आपको पता ही नहीं आपके बच्चों को कभी ट्रैन में, कभी शहर में धर-पकड़ के दूसरे प्रान्त के लोग मार रहें हैँ। अभी में पांच माह से घर-द्वार छोडें है तो लगे उसी में हम हैंकड़ी मारने, आपके-हमारे बच्चे मजदूर बनने के लिये कितने साल से घर-द्वार छोडें हैं, उनके दर्द को देखा है किसी ने? - प्रशांत किशोर (25/04/2023)
कांग्रेस बिहार में है कहीं?
कॉंग्रेस के सन्दर्भ में बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि एज ए आर्गेनाइजेशन कांग्रेस बिहार में है कहीं? कोई नेता जमीन पर दिखा है, कुछ किया है, सरकार में शामिल है। सरकार में तो बहुत लोग शामिल है।
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को कैसे सुधारें?
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए यह समतामूलक शिक्षा व्यवस्था से अलग हट के, जहाँ पर आप विद्यालयों को बच्चों तक पंहुचा रहें हैं, हमलोग जो मॉडल बनाने की बात कर रहें हैं, उसमें बच्चों को अच्छे विद्यालयों तक की बात है, इसका मतलब है कि आप हर पंचायत, हर गाँव में स्कूल बनाने के बजाय, अगर प्रखंड स्तर पर, अच्छे से मैपिंग कर के पांच अच्छे स्कूल बना दिए जायँ तो हर बच्चे को 15 मिनिट में बस के माध्यम से स्कूल तक पहुँचाया जा सकता है। इसका फायदा यह होगा कि एक प्रखंड में आपने 20 विद्यालय बनाये, जो कोई नहीं चल रहा, इसकी जगह पांच अच्छे विद्यालय बनाये, विश्वस्तरीय विद्यालय बनाये, और लोगों को यह सुविधा दें कि वे बच्चों को विद्यालय तक बसों से भेज सके। ज्यादातर बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहें हैँ।
21/04/2023
जाति, धर्म, पुलवामा के नाम पर वोट
लोकतंत्र में यदि आपको अपनी जिंदगी सुधारनी है तो जब आप अपनी समस्याओं पर वोट दीजियेगा, अगर आप अपने बच्चों की चिंता नहीं करियेगा तो कोई नेता, कोई दल, कोई विचारधारा नहीं करेगा। हम सात महीना से 2000 गावों में पैदल चल कर गए हैं। मेरे सामने 50-100 बच्चे दौड़ते हैं, आधे से ज्यादा बच्चों के शरीर पर शुद्ध कपड़ा तक नहीं पहनने के लिए। ज्यादातर बच्चों के पैर में चप्पल तक नहीं है। लेकिन जब बिहार की जनता वोट करती है, तो वोट के दिन जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, लालू के डर से भाजपा को, भाजपा के डर से लालू को, आपका कहना है कि यह हम इसलिए करते हैं कि हमारे पास विकल्प नहीं है। अगर आपके पास विकल्प नहीं है तो, आपको, हमको किसने रोका है विकल्प बनाने से?
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