रविवार, 3 मई 2020

मंदिरों को काठ क्यों सूंघ गया ?

 तिरुपति बालाजी
जिस मंदिर ने जिंदगी भर इन मजदूरों को पेट पाला, देश के करोडों भक्तों को मालामाल किया आज कोरोनावायरस की इस महामारी के चलते इसकी नियत में भी खोट दिखाई देने लगी। सूचना मिली की  तिरुपती मंदिर ट्रस्ट ने 1300 लोगों को जो मंदिर के लिए और उनके प्रसाद की दुकान चलाने के लिए दिन-रात  भंडारा चलाते थे और  चौबिसों घंटों नोटों की बंडल गिना करते थे। अचानक सब के सब को हटा दिया गये । प्रधानमंत्री जी के उस अपील की भी कोई कद्र नहीं कि जिसमें प्रधानमंत्री ने आंसू बहाते हुए देशवासियों से अपील की थी कि आप अपने कर्मचारियों का ध्यान रखेंगें और किसी भी मजदूर को लॉकडाउन के चलते ना तो हटाया जाएगा ना ही उसकी सैलेरी काटी जाए । देश के मोदी भक्त जो  बात-बात में लोगों को ट्रोल किया करते  हैं आज मंदिर की इस धार्मिक और पूण्य  कार्य में कुछ तो जरूर सहयोग करेंगे।

एक बात ओर आपसे करनी है । आज तक देश की कोई बड़ी मंदिर जहां रोजाना के लाखों का चढ़ाआ आता है अभी तक कोई भी मंदिर का ट्रस्ट सामने नहीं आया कि वह भारत के इस संकट काल में अपना सब कुछ देने को तैयार है। भारत सरकार कोरोना की महामारी से लड़ने में किसी भी प्रकार की कमी न करें । परन्तु अफसोस है कि अभी तक मेरी जानकारी के अनुसार, स्वामी नारायण मंदिर सभी जगह से मिलकर 1.88 करोड़ रुपया, सांईबाबा संस्थान ट्रस्ट 51 करोड़ रुपया महाराष्ट्र सरकार को, बाबा रामदेव प्रधानमंत्री कोश में 25 करोड़ रुपया, श्री माता मानसी देवी, पंचकुला के द्वारा 10 करोड़ रुपये हरियाणा की सरकार को, जबकि पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। कुछ लोग यहां की संपत्ति का अनुमान लगाकर बताते हैं कि यहां एक खरब डॉलर के मूल्य की संपत्ति है। वेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति नवीनतम अनुमान के अनुसार तिरुमला मंदिर में स्वर्ण भंडार और 52 टन सोने के गहने हैं और प्रत्येक वर्ष यह तीर्थयात्रियों से हुंडी/दान बाॅक्स में प्राप्त प्रति वर्ष तीन हजार किलो सोने से राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ गोल्ड रिजर्व जमा के रूप में परिवर्तित हो जाता है।  शिर्डी साईबाबा का मंदिर, इनका सिर्फ सिंहासन 94 किलोग्राम सोने का बना है। यह मंदिर भारत के अमीर मंदिरों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर है। महज 51 करोड़ राज्य सरकार को दान देने की घोषणा की हे। वहीं वैष्णोदेवी मंदिर, जम्मू कश्मीर मंदिर में करीब 500 करोड़ की वार्षिक आय है। सिद्धि विनायक, मुंबई 100 करोड़ से अधिक की वार्षिक आय। पुरी का जगन्नाथ मंदिर, जिसकी आय सालान 50 करोड़ रुपये आंकी जाती है। आज इन मंदिरों के मठाधीशों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाता है कि यदि देश के लगभग सभी बड़े-छोटे व्यापारी घराने इस संकट के समय देश के साथ खड़े हैं इन मंदिरों को काठ क्यों सूंघ गया दान लेने में सबसे आगे दिखने वाले ये मंदिर आज दान देने में सबसे पीछे की पंक्ति में क्यों खड़े नजर आते हैं? रोजान धर्म के नाम पर जमा करने वाले इन धार्मिक पंडों से कोई सवाल तो करे कि इस धन का आखिर कब इस्तेमाल होगा? जयहिन्द !
देखें:  The Lallantop Fact check

India’s richest temple in Tirupati lays off 1300 contractual employees

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें