‘‘एक्जिट पोल’’ - अपना-अपना तुका
अंततः दुनिया के विशाल लोकतंत्र का चुनाव सात चरणों में कुल मिलाकर शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया। इसके साथ ही चुनाव आयोग में भी मतभेद सामने आ गये कि यहाँ भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा । इसके पूर्व में आरबीआई में भी यह घटना घट चुकी है। देश के सर्वोच्च अदालत के चार जजों ने प्रेस के सामने आकर देश को चेताया कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। फिर सीबीआई की घटना जगजाहिर है। कहने का अभिप्रायः है कि कुछ तो गड़गड़ है जो देश के लोकतंत्र को भीतर ही भीतर खाये जा रहा है।
आज जैसे ही चुनाव समाप्त हुआ देश की गोदी मीडिया अपनी-अपनी दुकान सजा कर बैठ गये कोई उत्तरप्रदेश में भाजपा को 57-58 सीटें देकर दिल्ली में मोदी की सरकार बनावा रहा था तो कोई बसपा-सपा को 57-58 सीटें बांट रहा था इनके चुनावी सर्वेक्षण की बात करें तो बंगाल में एक गोदी मीडिया भाजपा को 18 से 23 सीटें देकर उत्तरप्रदेश की भरपाई करते दिख रहा था । ये सभी आंकडे एक दूसरे से इतने विपरीत नजर आ रहे थे कि इनका कूल अंतर 90 से 98 सीटों के बीच का देखा जा रहा था । इंडिया टीवी और सीएनएस के सर्वे में एनडीए को 300, न्यूज24 और चाणक्य के एग्जिट पोल में एनडीए 350 (+/-14), इंडिया टुडे और एक्सिस के सर्वे में एनडीए को 339 से 365, सीएनएन और आईपीएसओएस के सर्वे में एनडीए को 336, व एबीपी और एसी निल्सन के सर्वे में एनडीए को 267 सीटें मिलने की बात बता रहें हैं।
इनकी बातों में ही अंतर इतना बड़ा है कि किस पर भरोसा किया जाए किस पर नहीं यह सोचने की बात है। यानि कि एनडीए को 267 से 365 के बीच सीटें मिल रही है। अर्थात इनकी बातों का ना तो आपस में सिर मिल रहा है ना पैर। सबके सब तुका लगा दिये कि बस जो लह गया तो लह गया, नहीं लहा तो कुछ दिन मुंह छुपा लेगें। जबकि दक्षिण भारत के इनके ही आंकड़े बता रहें हैं कि उन राज्यों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन रहा है। यानि कि कांग्रेस को फायदा होने की संभावना यही गोदी मीडिया जता रही है। उत्तरप्रदेश में एनडीए को नुकसान और अन्य सभी राज्यों में सिर्फ बंगाल और ओडिशा को छोड़कर कुछ ना कुछ नुकसान भले ही वे एक-दो सीटों का ही हो रहा है। गोदी मीडिया खुद मान रही है ।
इनके गणित का एक पेंच आप देखें कि जैसे ही एनडीए को कोई बड़ा नुकसान होता दिखता है तो उसे तत्काल किसी अन्य राज्य से भरपाई कर दे रहें हैं । जैसे उत्तरप्रदेश में 20-25 सीटें कम हो रही है तो उसे बंगाल से, 40 से 50 सीटें कम हो रही है तो बंगाल, ओडिशा से और 50-55 सीटों का अंतर आते ही उसे महाराष्ट्र व बिहार से भरपाई कर दे रहे थे। जो भी हो असली परिणाम तो 23 तारीख को ही आने हैं पर एक बात साफ हो गई कि इन ‘‘एक्जिट पोल’’ में झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है। सब अपना-अपना तुका चला रहे थे। इन लोगों ने जो धन लिया था उसे ब्याज सहित लौटा रहे थे और सबसे पहले कौन कितना वफादार है यह जता रहे थे। जयहिन्द ।
लेखक स्वतंत्र पत्रकार और विधिज्ञाता हैं। - शंभु चौधरी
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