जहां तक मेरी राजनीति समझ है भाजपा के नेताओं ने दिल्ली में सरकार का दावा ना प्रस्तुत कर ‘आप’ पार्टी को राजनीति जमीन प्रदान कर दी है। आज देशभर में ‘आम आदमी पार्टी’ की धूम मची हुई है। जो लोग भाजपा में आना चाहते थे वे सभी झूंड के झूंड ‘आप’ को ज्वाईन करने लगे। ‘आप’ द्वारा सरकार बनाने की घोषणा के महज चार दिनों में ‘आप’ को देशभर में जो समर्थन प्राप्त हुआ और दिल्ली में जिस प्रकार शपथ समारोह का दृश्य देशभर ने देखा इससे भाजपा की जमीन नीचे से हिल गई है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में डॉ. हर्षवर्धन जी के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव लड़ा। नीतिन गडकरी जी इस विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बनाये गए। चुनाव का वक्त ज्यों-ज्यों नजदीक आता गया विजय गोयल से चुनाव की कमान छीनकर भाजपा के सबसे शातिर नेता श्रीमान् नितिन गडकरी ने गोयल से यह कमान छीन ली और साफ-सुथरी छवि की आड़ में दिल्ली भाजपा की कमान खुद के खेमे के चापलूस नेता डॉ. हर्षवर्धन जी के हाथों थमा दी। दिल्ली भाजपा यह कवायद वह भी चुनाव के ऐन वक्त पर, जीत का बहाना था कि मोदी के विजय रथ को रोकने का? यह तो वक्त ही बतायेगा। हाँ! अब यह बात साफ हो चुकी कि दिल्ली भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन जी ने जिस प्रकार दावा प्रस्तुत किया कि उनकी पार्टी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होकर भी विपक्ष में बैठी है इसका अर्थ निकालना तो पड़ेगा ही।
दरअसल भाजपा के पक्ष में 32 सीटों के परिणाम जैसे ही घोषित हुए, डॉ. हर्षवर्धन जी ने बैगेर राजनीति विचार विमर्श किये ही बयान जारी कर अपने हाथ खड़े कर दिये बस यही पल भाजपा के लिए आत्मधाती निर्णय साबित हो गया। यह बात तो डॉ. हर्षवर्धन जी विधानसभा के भीतर भाजपा के पक्ष में विश्वास मत प्राप्त करने के वक्त भी कह सकते थे। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग ना कर राजनीति मैदान से भाग से भाग खड़े होने वाले डॉ. हर्षवर्धन जी को यह तो जबाब देना ही होगा कि आज देश भर में मोदी की लहर में ‘आप’ पार्टी को मजबूत आधार प्रदान कर देने के लिए सबसे प्रमुख दोषी कौन है?
जहां तक मेरी राजनीति समझ है भाजपा के नेताओं ने दिल्ली में सरकार का दावा ना प्रस्तुत कर ‘आप’ पार्टी को राजनीति जमीन प्रदान कर दी है। आज देशभर में ‘आम आदमी पार्टी’ की धूम मची हुई है। जो लोग भाजपा में आना चाहते थे वे सभी झूंड के झूंड ‘आप’ को ज्वाईन करने लगे। ‘आप’ द्वारा सरकार बनाने की घोषणा के महज चार दिनों में ‘आप’ को देशभर में जो समर्थन प्राप्त हुआ और दिल्ली में जिस प्रकार शपथ समारोह का दृश्य देशभर ने देखा इससे भाजपा की जमीन नीचे से हिल गई है।
इस सबके लिए मैं विशेष रूप से भाजपा को ही जिम्मेदार मानता हूँ। जितना आसान राह था मोदी का दिल्ली सफर, दिल्ली भाजपा ने उसके मार्ग में देशभर में कांटे उगा दिये। दिल्ली भाजपा के प्रभारी श्रीमान नितिन गडकरी ने राजनाथ सिंह से जो राजनैतिक बदला लिया इसके भनक भी शायद किसी को नहीं मिली होगी। दिल्ली के इस राजनैतिक चाल मे सह किसने किसको दिया यह तो वक्त ही बतायेगा पर मात तो साफ नजर आ रही है।
दिल्ली विधानसभा में विश्वासमत के दौरान डॉ. हर्षवर्धन जी भले ही नैतिकता की बात करते रहे हों, केजरीलवाल और मनीष सिसोदिया पर व्यक्तिगत अरोपों की झड़ी लगा दी। दिल्ली विधानसभा में कश्मीर का राग अलापते रहे हों पर दिल्ली की जनता के हित में बात कहने से बचते रहे। 30 सालों से दिल्ली की जनता को धोखा देने वाले राजनैतिक दल इससे ज्यादा बोल भी क्या सकते थे?
खैर! भले ही भाजपा के समर्थक डॉ. हर्षवर्धन के भाषण से खुश हो लें, साथ ही यह भी ना भूलें कि इसी (डॉ. हर्षवर्धन) व्यक्ति ने ‘आप’ को पूरे देश में रातों-रात फैला दिया है। दिल्ली चुनाव परिणामों के परिपेक्ष में देखा जाए तो जहाँ कांग्रेस ने ‘आप’ को समर्थन देकर दिल्ली में अपनी स्थिति को पहले से बेहतर बना ली है वहीं भाजपा ने सरकार का रास्ता ‘आप’ के लिए छोड़कर मोदी के साथ घोखा किया है।
जो काम कांग्रेस ने किया यही काम भाजपा भी कर सकती थी। पहली बात तो भाजपा को सरकार बनाने का दावा स्वयं प्रस्तुत करना चाहिये था। सदन के भीतर दोनों (आप एवं कांग्रेस) पार्टियों की स्थिति स्वतः साफ हो जाती। यह नहीं हुआ तो ‘आप’ को समर्थन देकर कांग्रेस को पूरे देश में घेरा जाना था। भाजपा दोनों जगह विफल रही और आज खुद पूरे देश में ‘आप’ की शिकार बन गई।
दिल्ली भाजपा कुत्ते की तरह दुम दबाकर भाग गई और नमो के सामने दूसरा संकट पैदा कर दी। दिल्ली भाजपा नमो को पुनः धोखा देगी। सावधान नमो!!
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